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रेप विक्टिम की पहचान पर SC की है सख्त हिदायतें, फिर भी इन्होंने ये किया!

रेप विक्टिम की पहचान पर SC की है सख्त हिदायतें, फिर भी इन्होंने ये किया!
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नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट अफसोस ज़ाहिर कर चुका है कि बलात्कार पीड़िताओं को समाज में अछूतों जैसा बर्ताव सहन करना पड़ता है। पीड़िताओं से हमदर्दी जताते हुए शीर्ष कोर्ट की सख्त हिदायत है कि किसी भी सूरत में बलात्कार या यौन शोषण पीड़िता की पहचान को उजागर नहीं किया जा सकता, पीड़िताओं की मृत्यु के बाद भी और किसी सांकेतिक तरीके से भी नहीं. बलात्कार के मामलों को सनसनीखेज़ तरीके से पेश करने के लिए मीडिया को भी शीर्ष अदालत चेता चुकी है.

उत्तर प्रदेश के हाथरस में कथित दलित समुदाय से ताल्लुक रखने वाली एक युवती के साथ ​वीभत्स बलात्कार और नृशंस हत्याकांड के दौरान कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह, अभिनेत्री स्वरा भास्कर और अमित मालवीय पर पीड़िता की पहचान ज़ाहिर करने के आरोप लगे हैं. इन खबरों के बीच जानना ज़रूरी हो जाता है कि अगर ये आरोप साबित होते हैं तो सुप्रीम कोर्ट के किन निर्देशों और कायदों का सीधे उल्लंघन का मामला बनता है. कोर्ट ने दुख जताया था कि ऐसे मामलों में पीड़िता की कोई गलती न होने के बावजूद समाज उसका तिरस्कार और बहिष्कार करता है बजाय ऐसे जघन्य अपराध के अपराधी के. बेंच ने यह भी कहा था 'कुछ मामलों में तो परिवार तक पीड़ित को अपनाने से इनकार कर देता है.

कड़वा सच तो यह है कि कई बार रेप के मामलों में रिपोर्ट तक नहीं की जाती क्योंकि पीड़ित के परिवार को तथाकथित 'इज़्ज़त' और प्रतिष्ठा की चिंता होती है.'सुप्रीम कोर्ट के जजमेंट के मुताबिक 'कोई भी व्यक्ति प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक या सोशल मीडिया आदि किसी भी प्लेटफॉर्म से रेप पीड़ित की पहचान ज़ाहिर नहीं कर सकता और न ही ऐसी कोई जानकारी जिससे पीड़ित को पहचाने जाने की संभावना या रास्ता बनता हो।

Updated : 7 Oct 2020 8:02 AM GMT
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