दहेज हत्या के मामलों पर SC ने जताई चिंता, कहा- कभी-कभी पति के परिवार वालों को बेवजह फंसाया जाता है...
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मुंबई : दहेज हत्या के प्रकरणों में अभियुक्तों के बयान दर्ज करते समय अक्सर ट्रायल कोर्ट द्वारा गंभीरता नहीं दिखा है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने आज (शुक्रवार) को चिंता व्यक्त की है। सर्वोच्च अदालत ने कहा ऐसे मामले में कभी-कभी पति के परिवार वालों को बेवजह फंसाया जाता है। सुप्रीम कोर्ट ने इस तरह की टिप्पणियों के साथ दिशा-निर्देश जारी किए हैं। इसके साथ ही शीर्ष अदालत ने एक मामले में आरोपी को बरी भी किया है।
सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एनवी रमण, जस्टिस अनिरुद्ध बोस और जस्टिस सूर्यकांत की पीठ ने कहा, "दंड प्रक्रिया संहिता (Code of Criminal Procedure) की धारा-313 के तहत दर्ज होने वाले बयान कई बार आरोपी से पूछताछ किए बिना ही दर्ज किए जाते हैं। दहेज हत्या के मामले में एक आरोपी को बरी करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि धारा-313 के तहत दर्ज होने वाले आरोपी के बयान को सिर्फ प्रक्रियात्मक औपचारिकता नहीं माना जाना चाहिए।
कोर्ट ने कहा कि धारा-313 के आरोपी को उसके खिलाफ मौजूद आपत्तिजनक तथ्यों पर स्पष्टीकरण देने में सक्षम बनाता है। इसलिए अदालत को निष्पक्ष और सावधानी के साथ आरोपी से सवाल पूछा जाना चाहिए। कोर्ट ने यह भी कहा कि वह दहेज हत्या के खतरों से भली-भांति अवगत है। दहेज हत्या की घटनाएं दिनोंदिन बढ़ रही हैं।
अदालतें सावधानी बरतें- सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, 'कभी-कभी पति के परिवार के उन सदस्यों को फंसाया जाता है, जिनकी अपराध में कोई सक्रिय भूमिका नहीं होती है, बल्कि वे दूर भी रहते हैं'। सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि ऐसे में अदालतों को सावधानी वाला रवैया अपनाने की ज़रूरत है। दहेज हत्या के मामलों का परीक्षण करते समय दुल्हन को जलाने व दहेज की मांग जैसी सामाजिक बुराई को रोकने की विधायी मंशा को भी ध्यान में रखा जाना चाहिए। इन बातों को ध्यान में रखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने दहेज हत्या के मामले के परीक्षण को लेकर कई दिशा निर्देश जारी किए हैं।