शिवसेना किसके साथ द्रौपदी मुर्मू या यशवंत सिन्हा?
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मुंबई: एकनाथ शिंदे की बगावत के बाद अब शिवसेना सांसद उद्धव ठाकरे पर बीजेपी के साथ जाने का दबाव बनाने की बात कर रहे हैं। इस पृष्ठभूमि के खिलाफ, शिवसेना के अधिकांश सांसदों ने सोमवार को पार्टी की एक बैठक में राष्ट्रपति पद के लिए भाजपा की द्रौपदी मुर्मू के समर्थन की मांग की। इस बैठक में क्या चर्चा हुई इसकी जानकारी शिवसेना सांसद संजय राउत ने दी है। संजय राउत ने कहा, 'शिवसेना में आदिवासी इलाकों में काम करने वाले कई कार्यकर्ता काम कर रहे हैं। बैठक में द्रौपदी मुर्मू पर चर्चा हुई, हमने सबकी राय समझ ली है।
राष्ट्रपति चुनाव में बीजेपी के साथ शिवसेना?
राजनीतिक जानकारों की मानें तो शिवसेना अपना वजूद बचाने की लड़ाई में उद्धव ठाकरे एक बार फिर बीजेपी के करीब आ सकते हैं। उद्धव ठाकरे राष्ट्रपति चुनाव के लिए एनडीए उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू को अपना समर्थन देने की खुले तौर घोषणा कर सकते हैं।
हालांकि राउत ने यह भी कहा कि एक-दो दिन में शिवसेना की भूमिका स्पष्ट हो जाएगी, उन्होंने कहा कि द्रौपदी मुर्मू का समर्थन करने का मतलब भाजपा का समर्थन करना नहीं है। साथ ही, शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे इस संबंध में अंतिम निर्णय लेंगे, राउत ने बताया। मुर्मू के समर्थन का संकेत देते हुए संजय राउत ने कहा कि देश में विपक्ष रहना चाहिए, राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा में भी सद्भावना है, लेकिन निर्णय जनता की भावना के अनुसार करना है। बैठक में मौजूद अधिकांश सांसदों ने उद्धव ठाकरे से एनडीए उम्मीदवार का समर्थन करने का आग्रह किया। गजानन कीर्तिकर ने कहा कि उद्धव ठाकरे एक-दो दिन में फैसला ले लेंगे। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति चुनाव को राजनीति से अलग देखा जाना चाहिए।
इससे पहले शिवसेना ने प्रतिभा पाटील का समर्थन किया था, लेकिन उस समय एनडीए उम्मीदवार का समर्थन नहीं किया था, राउत ने याद किया। संजय राउत ने कहा कि शिवसेना में इस तरह के फैसले लेने की परंपरा है, लेकिन शिवसेना पार्टी के नेता किसी दबाव में निर्णय नहीं लेते हैं। इस बीच शिवसेना के कुछ सांसद भी बैठक से नदारद रहे। चर्चा थी कि सांसद संजय राउत बैठक से निकल गए थे, लेकिन अब राउत ने सफाई देते हुए कहा कि सामना में काम के चलते वो मीटिंग में से गए थे। यह खबर देने के लिए एक तंत्र काम कर रहा था, इस पर भी संजय राउत ने टिप्पणी की।