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Ganesh Chaturthi 2020: गणेश चतुर्थी पर भूलकर भी ना करें यह गलती

Ganesh Chaturthi 2020: गणेश चतुर्थी पर भूलकर भी ना करें यह गलती
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देवा हो देवा गणपति देवा तुमसे बढ़कर कौन…

गणेश चतुर्थी 22 अगस्त से मनाया जाएगा. 10 दिन तक इस त्योहार पर गणपति की स्थापना और उनकी पूजा-पाठ का विशेष महत्व है. यह त्योहार पूरे भारतवर्ष में उमंग के साथ मनाया जाता है. मान्यता है कि भाद्रपद की चतुर्थी के दिन गणेश जी का जन्म हुआ था. गणेश जी को विध्नहर्ता कहा गया है. इनकी पूजा से कई बाधाएं दूर हो जाती हैं.इस पर्व की सबसे ज्‍यादा धूम महाराष्‍ट्र में देखने को मिलती है. लेकिन इस बार कोरोना वायरस के कारण गणेशोत्सव का रंग फीका पड़ जाएगा।

पौराणिक कथाओं के अनुसार एक बार माता पार्वती स्नान के लिए गयीं. उन्होंने द्वार पर गणेश जी को बिठा दिया. माता पार्वती ने गणेश जी को बिना उनकी इजाजत के किसी को भी अंदर नहीं आने देने को कहा था. इसी दौरान भगवान शिव पहुंचे और अंदर जाने की कोशिश करने लगें. जब गणेश जी ने उन्हें रोका तो क्रोधित होकर भगवान शिव ने गणेश जी का सिर धड़ से अलग कर दिया. जब माता पार्वती बाहर निकलीं तो यह देखकर व्याकुल हो उठीं. उन्होंने भगवान शिव से गणेश जी को बचाने के लिए कहा. भगवान शिव ने गणेश जी को हाथी का सिर लगा दिया. इस तरह भगवान गणेश गजानन के नाम से भी पूजे जानें लगे.गणपति की स्थापना करते समय कुछ जरूरी बातों का सबसे ज्यादा ध्यान रखनी चाहिए.

गणेश जी की मूर्ति का मुंह पूर्व की दिशा की तरफ होनी चाहिए. गणेश जी की पूजा शुरू करने से पहले संकल्प लेना होता है. इसके बाद भगवान गणेश का आह्वान किया जाता है. इसके बाद भगवान गणेश के मंत्रों के उच्चारण के साथ मूर्ति की स्थापना की जाती है. भगवान गणेश को धूप, दीप, फूल, फल, मोदक, वस्त्र, अर्पित किए जाते हैं. इसके बाद भगवान गणेश की आरती उतारी जाती है. प्रसाद में मोदक जरूर रखें. भगवान गणेश को मोदक काफी प्रिय है.
गणेश चतुर्थी को लेकर कई तरह की मान्यताएं हैं. एक मान्यता यह है कि इस दिन चंद्रमा का दर्शन करने से पाप लगता है. मान्यताओं के अनुसार जो व्यक्ति इस दिन चंद्रमा के दर्शन कर लेता है उस पर झूठा आरोप लगता है.गणेश चतुर्थी के दिन चांद को क्यों नहीं देखना चाहिए इसके बारे में आप जान गए. इसके बावजूद अगर आपने इस दिन गलती से चांद देख लिया तो घबराए नहीं. आपको इस दौरान एक खास मंत्र का जाप कर लेना चाहिए. ये मंत्र है-
सिंह: प्रसेन मण्वधीत्सिंहो जाम्बवता हत:,
सुकुमार मा रोदीस्तव ह्येष:स्यमन्तक:।
मान्यताओं के अनुसार जब भगवान गणेश को हाथी का सिर लगाया गया तो उन्होंने पृथ्वी की सबसे पहले परिक्रमा की और प्रथम पूज्य कहलाए. सभी देवताओं ने उनकी वंदना की, लेकिन अपने रूप के घमंड में चांद उन पर हंसने लगा. इससे गणेशजी ने गुस्से में आकर चंद्रमा को काले होने का श्राप दिया. चंद्रमा को गलती का अहसास हुआ, उसने गणेश जी से माफी मांगी. प्रसन्न होकर गणेशजी ने कहा कि जैसे-जैसे सूर्य की किरणें उन पर पड़ेंगी, चमक लौट आएगी.

ऐसी मान्यता है कि सभी देवों में प्रथम पूजनीय गणेश जी की उत्पत्ति इसी शुभ मौके पर हुई थी. गणेश चतुर्थी के दिन भक्त गणपति बप्पा को अपने घर लाते हैं और उन्हें स्थापित करते हैं. इसके बाद भक्त गणेश जी का विशेष आशीर्वाद पाने के लिए गणेश चतुर्थी पर पूजा अर्चना करते हैं. इस दौरान 10 दिन तक भगवान गणेश जी की सेवा की जाती हैं और उनसे जीवन में सुख समृद्धि और कामयाबी की कामना करते हैं. गणेश चतुर्थी के ग्यारहवें दिन भक्त उन्हें विसर्जित करते हैं और अगले बरस जल्दी आने की प्रार्थना करते हैं. गणपति बप्पा का आशीर्वाद मिलने से जीवन की कठिनाइयां दूर हो जाती हैं।

-प्रस्तुति>सुभाष गिरी

Updated : 21 Aug 2020 2:44 PM GMT
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