राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा को हुए १ साल !
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11 जनवरी 2024, एक तारीख जो भारतीय इतिहास में स्वर्णाक्षरों में लिखी जाएगी। यह वह दिन था जब राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा का महान कार्य संपन्न हुआ था, और अब, 11 जनवरी 2025, इस दिन के एक साल बाद, हम उस ऐतिहासिक घटना को याद करते हुए गर्व से महसूस करते हैं कि भारतीय संस्कृति और धर्म का एक अनमोल प्रतीक फिर से हमारे बीच में खड़ा है।
राम मंदिर की नींव: एक सपना, एक संघर्ष
राम मंदिर का सपना सिर्फ एक मंदिर बनाने का नहीं था, बल्कि यह एक ऐसा प्रतीक था, जो भारत के हजारों साल पुरानी संस्कृति और धार्मिक आस्था को पुनः जीवित करता। अयोध्या में स्थित भगवान श्रीराम का मंदिर, जो सदियों तक विवादों और संघर्षों का हिस्सा रहा, अब एक महान धरोहर बन चुका है। यह संघर्ष सिर्फ एक स्थान पर नहीं, बल्कि समग्र भारतीय समाज और संस्कृति के अस्तित्व को बचाने की लड़ाई थी।
राम मंदिर का निर्माण 1992 में बाबरी मस्जिद को ध्वस्त करने के बाद से ही एक संवेदनशील और कड़े राजनीतिक मुद्दे के रूप में उभरा था। लेकिन सच्चे आस्थावान लोगों के संघर्ष और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में यह सपना अब वास्तविकता बन चुका था।
प्राण प्रतिष्ठा का महापर्व
11 जनवरी 2024, राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा का दिन था। यह दिन उस आस्था और श्रद्धा का प्रतीक था, जिसे भारतीय समाज ने अपने ह्रदय में समेट रखा है। इस दिन मंदिर के गर्भगृह में भगवान श्रीराम के चरणों की प्रतिष्ठा की गई और उनके साथ भगवान लक्ष्मण, माता सीता और हनुमान जी के प्रतीकों को भी प्रतिष्ठित किया गया। यह दिन पूरे देश के लिए ऐतिहासिक था, क्योंकि इस दिन से राम मंदिर न केवल एक स्थल बल्कि पूरे हिंदू समाज के धार्मिक और सांस्कृतिक गौरव का प्रतीक बन गया।
पूरे भारत के विभिन्न हिस्सों से लोग अयोध्या आए थे। भव्य शाही सजावट, मंत्रोच्चारण और वैदिक रीति-रिवाजों के साथ मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा की गई। यह दृश्य अत्यंत दिव्य और अद्भुत था। जैसे ही भगवान श्रीराम की मूर्ति को गर्भगृह में स्थापित किया गया, हर व्यक्ति की आँखों में आंसू थे—आंसू, जो उस संघर्ष और तपस्या का परिणाम थे, जो सदियों से इस दिन के लिए किया गया था।
राम मंदिर: एक प्रतीक और एक सपना
राम मंदिर का निर्माण एक मात्र धार्मिक स्थल का निर्माण नहीं था। यह भारतीय संस्कृति, एकता और विश्वास का प्रतीक था। यह हमें यह याद दिलाता है कि भारतीय समाज की धारा सदियों से सशक्त रही है और यह सदियों तक ऐसे ही शक्तिशाली और समृद्ध रहेगी। राम मंदिर सिर्फ एक इमारत नहीं, बल्कि भारतीय समाज के अदम्य साहस, संघर्ष और आस्था की कहानी है।
11 जनवरी 2025 को, जब हम इस ऐतिहासिक दिन की पहली सालगिरह मना रहे हैं, हम न केवल राम मंदिर की पूजा करते हैं, बल्कि उस समर्पण और संघर्ष को भी याद करते हैं जो हमें यह प्राप्ति दिलाई। यह दिन हमें यह भी याद दिलाता है कि धार्मिक आस्थाएँ कभी भी राजनीति से ऊपर होती हैं और भारत की विविधता में एकता ही हमारी असली ताकत है।
नव वर्ष की शुरुआत: एक नई दिशा
राम मंदिर का प्राण प्रतिष्ठा 11 जनवरी 2024 ने एक नई दिशा दी है। यह एक प्रेरणा है, एक विश्वास है, और एक आस्था है जो हमें हमारे धर्म, संस्कृति और मूल्यों के प्रति गर्वित करता है। यह हर भारतीय के लिए गर्व का क्षण है, जो अपनी धरती और धर्म से प्रेम करता है।
राम मंदिर का यह महान कार्य न केवल हमारे धार्मिक विश्वासों को पुनः जीवित करता है, बल्कि यह हमें यह सिखाता है कि जब हम किसी उद्देश्य के प्रति ईमानदारी और एकजुटता से काम करते हैं, तो कोई भी शक्ति हमें उसे प्राप्त करने से रोक नहीं सकती। इस दिन की पहली सालगिरह पर हम अपनी आँखों में नए सपने और विश्वास की लौ लेकर आगे बढ़ते हैं, और यह मानते हैं कि भगवान श्रीराम की कृपा हमारे साथ हमेशा रहेगी।
जय श्री राम!