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दिल्ली पुलिस कमिश्नर की नियुक्ति को दिल्ली हाई कोर्ट में दी गई चुनौती

गुजरात कैडर के विवादास्पद पुलिस अधिकारी राकेश अस्थाना की दिल्ली पुलिस आयुक्त के रूप में नियुक्ति अब दिल्ली विधानसभा से दिल्ली उच्च न्यायालय तक पहुंच गई है.

दिल्ली पुलिस कमिश्नर की नियुक्ति को दिल्ली हाई कोर्ट में दी गई चुनौती
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गुजरात कैडर के विवादास्पद पुलिस अधिकारी राकेश अस्थाना की दिल्ली पुलिस आयुक्त के रूप में नियुक्ति अब दिल्ली विधानसभा से दिल्ली उच्च न्यायालय तक पहुंच गई है.

वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषणने एक जनहित याचिका में नियुक्ति पर आपत्ति जताई है और दिल्ली विधानसभा पहले ही अस्थाना की नियुक्ति के खिलाफ एक प्रस्ताव पारित कर चुकी है. दिल्ली हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान प्रशांत भूषणने कहा कि, हमारी दिल्ली हाईकोर्ट में दायर याचिका को कॉपी पेस्ट कर अन्य एक संगठन ने भी याचिका दायर की है. कोर्टने अब दोनों याचिकाओं को मंजूर कर लिया है और मामले की सुनवाई जल्द की जाएगी.

राकेश अस्थाना गुजरात कैडर के आईपीएस अधिकारी है. उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह का करीबी माना जाता है. इससे पहले वह सेंट्रल क्रिमिनल इन्वेस्टिगेंशन ब्रांच में रहते हुए भी विवादों में रहे थे. आप की सत्ता रहनेवाले केंद्र शासित प्रदेश दिल्ली में सुरक्षा व्यवस्था केंद्र सरकार के गृह विभाग में निहित है. बीते दिनों दिल्ली दंगों के दौरान और उसके बाद के घटनायों के मुद्दे को लेकर दिल्ली राज्य सरकार और केंद्र के बीच बड़ा टकराव हुआ था.

पिछले महीने, दिल्ली विधानसभाने राकेश अस्थाना की दिल्ली पुलिस प्रमुख के रूप में नियुक्ति के खिलाफ एक प्रस्ताव बहुमत सें पारित किया था. केंद्र सरकारने दिल्ली पुलिस की बागडोर अस्थाना को सौंप दी है. जिनका कार्यकाल विवादास्पद रहा है. प्रस्ताव में उन्हें तत्काल हटाने और उनके स्थान पर एक नए अधिकारी की नियुक्ति की मांग की गई है.

एक पुलिस अधिकारी जिसके सेवानिवृत्त होने में कम से कम छह महीने शेष हैं, उसे पुलिस महानिदेशक या आयुक्त बनाना चाहिए. यह प्रकाश सिंह के खिलाफ भारत सरकार 2019 सुप्रीम कोर्ट के मामले में के फैसले का उल्लंघन है ऐसी दिल्ली सरकार और याचिकाकर्ताओं की भूमिका है. दिल्ली पुलिस आयुक्त का पद भारतीय पुलिस सेवा में अरुणाचल प्रदेश-गोवा-मिजोरम-केंद्र शासित प्रदेश (एजीएमयूटी) कैडर के अंतर्गत आता है.

अस्थाना को 2018 में सीबीआई के विशेष महानिदेशक के पद से अचानक हटा दिया गया था और उसके बाद सीबीआई के महानिदेशक पद के लिए उनके नाम पर विचार नहीं किया गया था. ऐसे एक अधिकारी को दिल्ली पुलिस का कमिश्नर नियुक्त किया गया है. इस अधिकारी का पिछला करियर भी संदिग्ध है, इसलिए इस अधिकारी के जरिए केंद्र सरकार दिल्ली सरकार के खिलाफ झूठे और फर्जी आरोप लगा सकती है. आम मांग है कि, ऐसा विवादित अधिकारी देश की राजधानी में पुलिस का नेतृत्व न करे.

याचिकाकर्ताओं ने यह भी बताया कि मई 2021 में, प्रधानमंत्री, विपक्ष के नेता और सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की एक समितिने सीबीआई महानिदेशक के पद के लिए अस्थाना की नियुक्ति को रोक दिया था. मुख्य न्यायाधीश रमना चयन समिति में हैं, इसलिए उन्होंने सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई से पीछे हटकर दिल्ली उच्च न्यायालय को सुनवाई करने का निर्देश दिया. रिटायर होने में चार दिन बाकी रहते राकेश अस्थाना का दिल्ली पुलिस आयुक्त के रूप में चयन को लेकर सेंटर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन (CPIL) मामले को सुप्रीम कोर्ट और अब दिल्ली हाई कोर्ट में ले गयी है.

Updated : 31 Aug 2021 11:45 AM GMT
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