जीएसपी क्रॉप साइंस ने व्हाईट फ्लाई कीट का सामना करने के लिए अपने कीटनाशक सूत्रीकरण का विशेष पेटेंट जीता
पाइरीप्रोक्सी फेन और डायफेन्थुरान जो GSP SLR 525 SE के नाम से उपलब्ध है। उसके लिए सहक्रियाशील मिश्रित घोल का सूत्रीकरण तैयार करने वाली भारत की पहली कम्पनी।
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मुंबई: जीएसपी क्रॉप साइंस, एग्रो केमिकल कारोबार की अग्रणी और अपने R&D केंद्र में SE सूत्रीकरण करने वाली भारत की पहली कम्पनी को, पेटेंट और डिज़ाइन नियंत्रक प्रमुख कार्यालय द्वारा पाइरीप्रोक्सीफेन और डायफेंथियूरोन (GSP SLR 525 SE सूत्रीकरण के रूप में ब्रांडेड) के सहक्रियाशील मिश्रित घोल के सूत्रीकरण का विशेष पेंटेंट हासिल हुआ है, जो औद्योगिक नीति और संवर्धन विभाग के अधीनस्थ कार्यालय है।
एक प्रमुख उपलब्धि के रूप में, पेटेंट और डिज़ाइन नियंत्रक ने जीएसपी क्रॉप साइंस के कीटनाशक सूत्रीकरण के समर्थन में अपना आदेश पारित किया, जो देश में व्हाइटफ्लाई के घातक असर को नियंत्रित करेगा। जीएसपी क्रॉप साइंस पहली भारतीय कंपनी है जो भारत की स्थानीय तकनीक से डायफेंथियूरोन का उत्पादन कर रही है, और साथ ही कई देशों में इसका निर्यात कर रही है। किसी SEसूत्रीकरण में डायफेंथियूरोन + पाइरीप्रोक्सीफेन का एकमात्र सम्मिश्रण तैयार करने वाली पहली कम्पनी भी जीएसपी है।
कृषि, बागवानी और वानिकी फसलों की पैदावार में हुई प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष बरबादी का प्रमुख कारण व्हाईट फ्लाईस रही हैं, इसलिए, ये देश के कृषि क्षेत्र के लिए चिंता का प्रमुख विषय बन गई हैं। आंकड़ों के हिसाब से, भारत में नारियल और ताड़ के तेल का लगभग 1.35 हेक्टर इन व्हाईट फ्लाईस के कारण प्रभावित होता है। साथ ही ये खेतों में कपास कटाई की प्रक्रिया को भी बुरी तरह से प्रभावित करती हैं।
जीएसपी का नया कीटनाशक सूत्रीकरण SLR 525 SE किसानों का एक भरोसेमंद ब्रांड है और व्हाइट फ्लाई जैसे घातक कीट के नियंत्रण के लिए पहली पसंद बन चुका है। ये बहुत ही प्रभावी तरीके से घातक व्हाइट फ्लाई कीट के समस्त जीवन चक्र का नियंत्रण और संचालन करता है जिसने कपास को बरबाद किया है। ये सतह पर जल्दी फैलने और एक सतह से दूसरी तक समान रूप से पहुँचने के गुण के कारण पौधों की सतह पर काफ़ी प्रभावी होता है। ये जल-आधारित मिश्रण होने के कारण EC सूत्रीकरण में काम में लिए गए विलायकों के पर्यावरण पर होने वाले हानिकारक प्रभावों को नष्ट कर देता है।
जीएसपी क्रॉप साइंस प्राइवेट लिमिटेड- भारत की अग्रणी एग्रो केमिकल्स उत्पादन कंपनियों में से एक है। ये भारतीय कृषि और किसानों के समुदाय के लिए कीटनाशकों, फफूंद नाशकों, शाकनाशकों (फसल सुरक्षा सोल्यूशंस) की "टेक्निकल" व "सूत्रीकरण" और पौध नियंत्रकों की एक विस्तृत श्रृंखला का उत्पादन करती है। इस पेटेंट को हासिल करने के बाद, जीएसपी क्रॉप साइंस प्राइवेट लिमिटेड के, प्रबंध- संचालक, भावेश शाह ने कहा, "खून, पसीने और आंसुओं के क़रीब आठ वर्षों और हमारी R&D तथा क़ानूनी टीम की सहायता से, जीएसपी को ऐसे संयोजित उत्पाद के लिए पेटेंट दिया गया है जो किसानों के लिए बहुत फ़ायदेमंद होगा । हमारा उत्पाद SLR 525 जो कपास और सब्ज़ियों के हर चरण में व्हाईट फ्लाई कीट के हमलों से लड़ने में मदद करता है-भारतीय बाज़ार में अपनी किस्म का पहला उत्पाद है।
हम इस मोलेक्यूल को कुछ ही वर्ष में क़रीब 400 करोड़ रुपए का वार्षिकराजस्व पैदा करने वाले के रूप में प्रस्तुत करेंगे। हमें उम्मीद है कि इस उत्पाद का बाज़ार आगे और बढ़ेगा। हालंकि, जीएसपी क्रॉप साइंस के लिए इस विशेष पेटेंट को हासिल करना बहुत कठिन था। जीएसपी ने 27 जनवरी 2014 को " पाइरीप्रोक्सीफेन 5% और डायफेंथियूरोन 25% का एक सहक्रियाशील मिश्रित घोल सूत्रीकरण " अल्पकालीन पेटेंट निवेदन पत्र संख्या 284/ Mum/2014 दाख़िल किया था, जिसके बाद तुरंत ही दिसंबर 2014 में इसी से सम्बंधित पूरा ब्यौरा सूत्रीकरण और जैव क्षमता के साथ दिया गया।सूत्रीकरण की प्रगति पर काम 2015 में शुरू हुआ और पूरा विवरण (सूत्रीकरण, विषाक्तता और जैव क्षमता) CIB में जून 2017 में 9(3) के अंतर्गत नामांतरण के लिए दर्ज किया गया।9(3) के अंतर्गत इस सूत्रीकरण के लिए CIB स्वीकृति अगस्त 2018 में मिली।
जैसी उम्मीद थी, अलग-अलग विरोधियों द्वारा सात अनुमोदन-पूर्व विरोध दर्ज किए गए थे।बाद में, एक वापस ले लिया गया और बाक़ी छः को सितम्बर 2021 में दिल्ली के पेटेंट कार्यालय में नियंत्रक के सामने सुना गया और उन पर पूरी तरह बहस हुई। 8 अप्रेल, 2022 को, आख़िरकार पेटेंट दिया गया, बेयरिंग नंबर 394568, जो दाखिल करने वाली दिनांक से ( 27/1/2014) 20 वर्षों तक मान्य होगा, प्रतिवर्ष नियमित नवीनीकरण भुगतान की शर्त के साथ। अप्रेल 2022 में, एक विरोधी मामले को इस आधार पर दिल्ली हाई कोर्ट ले गया कि जीएसपी को ग़लत तरीके से पेटेंट दिया गया है। माननीय न्यायधीश महोदय के समक्ष मुद्दों पर बहस हुई और आख़िर में पेटेंट को आंशिक रूप में पेटेंट कार्यालय वापस करने के बाद अंतिम अनुमोदन आदेश में सिर्फ़ उन तीन ग़ायब मुद्दों पर विचार आमंत्रित किए गए जिन पर अनुदान-पूर्व विरोध के समय बहस की जा चुकी थी ( न्यायधीश महोदय ने किसी तरह के पुनर्विचार पर ज़ोर नहीं दिया था)। आख़िरकार 25 अगस्त, 2022 को, नियंत्रक ने अपने पिछले अनुमोदन को वैसे ही रखते हुए, नया अनुमोदन आदेश जारी किया।
भावेश शाह का मानना है कि जीएसपी क्रॉप साइंस वित्त वर्ष 22-23 में व्हाइट फ्लाई कारोबार में अपना मार्केट शेयर काफ़ी ज़्यादा बढ़ा सकती है। उन्होंने कहा " हमारे इस नायाब सूत्रण को मिले विशेष पेटेंट के बाद जीएसपी अपने तकनीकि नवीनीकरण लाने की क्षमता में मज़बूती दिखा पाएगी जिन्हें अंतर्राष्ट्रीय पहचान मिली है, साथ ही इस पेटेंट मिले उत्पाद को विशेष रूप से उपलब्ध करवाने के लिए एक ख़ास वितरण चैनल को बनाने की मज़बूत शुरुआत कर पाएगी, इससे हमारा वितरण नेटवर्क फैलेगा जो व्यापक चैनल के तौर पर आगे बढ़ने के लिए हमारे पोर्टफोलियो की स्वीकृती को मज़बूत करेगा।
1200 करोड़ रुपए के वार्षिक वित्तीय टर्न ओवर और गुजरात, जम्मू -कश्मीर में चार उत्पादन इकाइयों के साथ, जीएसपी क्रॉप साइंस के पास 70 से ज़्यादा ब्रांडेड उत्पाद हैं- जो 5,000 वितरकों, 30, 000 से ज़्यादा डीलरों और 34 डिपों के नेटवर्क के जरिए भारत में बेचे जाते हैं और 25 देशों को निर्यात किए जाते हैं।