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लॉकडाउन हटाने की वकालत करने वाले मौतों की जिम्मेदारी लेंगे क्या?

लॉकडाउन हटाने की वकालत करने वाले मौतों की जिम्मेदारी लेंगे क्या?
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मुंबई। मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने लॉकडाउन को एक साथ हटाने के बजाए धीरे-धीरे हटाए जाने के अपने फैसले को सही ठहराया। जो लॉकडाउन को पूरी तरह से हटाने की वकालत कर रहे हैं, क्या वे लोग संक्रमण से होने वाली मौतों की जिम्मेदारी लेंगे? महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने शनिवार को कहा कि वह राज्य में कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए लगाए लॉकडाउन को केवल आर्थिक चिंताओं के कारण पूरी तरह से हटाने के पक्ष में नहीं हैं। वैश्विक महामारी से पैदा हुई चुनौती पर विचार करते हुए स्वास्थ्य और अर्थव्यवस्था से जुड़े मुद्दों के बीच संतुलन बनाने की जरूरत है। उन्होंने कहा, 'मैं कभी नहीं कहूंगा कि लॉकडाउन को पूरी तरह से हटाया जाएगा। लेकिन मैंने कुछ चीजों को धीरे-धीरे फिर से खोलना शुरू कर दिया है। एक बार फिर से खुलने पर इसे दोबारा बंद नहीं किया जाना चाहिए। इसलिए मैं चरणबद्ध तरीके से कदम उठाना चाहता हूं। आप सिर्फ अर्थव्यवस्था या स्वास्थ्य के बारे में ही नहीं सोच सकते। दोनों के बीच संतुलन बनाने की जरूरत है।' ठाकरे ने मुखपत्र 'सामना' में प्रकाशित एक साक्षात्कार में यह बयान दिया। राज्य में लागू लॉकडाउन 31 जुलाई तक चलेगा। जून के बाद से सरकार ने अपनी 'मिशन बिगिन अगेन पहल के तहत चरणबद्ध तरीके से पाबंदियां हटानी शुरू कर दी थीं। मुख्यमंत्री ने कहा, 'यह महामारी एक वैश्विक युद्ध है। इसने पूरी दुनिया पर असर डाला है। जिन देशों ने यह सोचकर जल्दबाजी में लॉकडाउन हटा दिया था कि यह बीमारी खत्म हो गई है वे इसे फैलने से रोकने के लिए फिर से पाबंदियां लगाने पर मजबूर हैं। ऑस्ट्रेलिया में उन्हें सेना की सहायता लेनी पड़ी।'

Updated : 25 July 2020 9:55 AM GMT
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