आगामी 500 दिनों में नए 25,000 टावर लगाने के लिए 36,000 करोड़ रुपये स्वीकृत
राज्यों के सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रियों का तीन दिवसीय डिजिटल इंडिया सम्मेलन संपन्न। 2000 करोड़ रुपये के पूंजीगत व्यय के लिए राज्यों को विशेष समर्थन के लिए सहायता प्रदान की गई। सूचना प्रौद्योगिकी नियम, डेटा शासन, डिजिटल इंडिया भाषिणी, डिजिटल भुगतान, माई स्कीम और मेरी पहचान पर विशेष ध्यान केंद्रित। स्टार्टअप, उभरती प्रौद्योगिकियों, कौशल विकास, डिजिटल सुशासन और सेमीकंडक्टर इकोसिस्टम को बढ़ावा देने पर पैनल चर्चा। "राज्यों के सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) मंत्रियों का तीन दिवसीय डिजिटल इंडिया सम्मेलन" 1 अक्टूबर 2022 को नई दिल्ली में शुरू हुआ और कल इसका समापन हुआ।
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स्पेशल डेस्क, मैक्स महाराष्ट्र, नई दिल्ली: पहले दिन संचार, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी और रेलवे मंत्री अश्विनी वैष्णव की अध्यक्षता में राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों के साथ डिजिटल इंडिया पहल के प्रमुख प्राथमिकता वाले क्षेत्रों पर विस्तृत चर्चा हुई। इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी और कौशल विकास तथा उद्यमिता राज्य मंत्री, राजीव चंद्रशेखर और संचार राज्य मंत्री, देवुसिंह चौहान के साथ 12 राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों, अर्थात आंध्र प्रदेश, असम, बिहार, मध्य प्रदेश, गुजरात, गोवा, मणिपुर, उत्तराखंड, तेलंगाना, मिजोरम, सिक्किम और पुडुचेरी के आईटी मंत्री इसमें शामिल हुए।
अपने समापन भाषण में, अश्विनी वैष्णव ने कहा कि डिजिटल इंडिया और देश के हर कोने तक इसकी पहुंच के लिए सम्पर्क महत्वपूर्ण है। उन्होंने घोषणा की कि आगामी 500 दिनों में नए 25,000 टावर लगाने के लिए 36,000 करोड़ रुपये स्वीकृत किए गए हैं। उन्होंने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को पीएम गति शक्ति में तेजी से शामिल होने के लिए बधाई दी। उन्होंने यह जानकारी भी साझा कि 2000 करोड़ रुपये के पूंजीगत व्यय के लिए राज्यों को विशेष सहायता का समर्थन किया गया है। उन्होंने राज्यों को पहले से ही सक्रिय रहने और अपने राज्यों में व्यवसायों को आकर्षित करने के लिए व्यापार अनुकूल नीतियां बनाने के लिए प्रोत्साहित किया। सबका साथ और सबका विकास के आदर्श पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों, चाहे वे बड़े हों अथवा छोटे, की प्रतिबद्धताएं ही डिजिटल इंडिया को उच्च स्तर पर ले जाने तथा आत्मनिर्भर भारत और ट्रिलियन डॉलर वाली डिजिटल अर्थव्यवस्था को साकार करने के लिए महत्वपूर्ण हैं।
दूसरे दिन, 2 अक्टूबर 2022 को इलेक्ट्रॉनिक्स एवं आईटी मंत्रालय ने सूचना प्रौद्योगिकी नियम,ऑनलाइन गेमिंग और डेटा गवर्नेंस, डिजिटल इंडिया भाषिणी तथा डिजिटल भुगतान' और माईस्कीम और मेरी पहचान जैसे महत्वपूर्ण पहलुओं पर तीन सत्रों का आयोजन किया। माई स्कीम पर पात्रता/प्रोफाइल आधारित सेवा खोज पर एक डेमो की प्रस्तुति दी गई। अपनी समापन टिप्पणी में, इलेक्ट्रॉनिक्स एवं आईटी मंत्रालय में सचिव अलकेश कुमार शर्मा ने राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को प्रोत्साहित किया कि वे केंद्र सरकार द्वारा प्रकाशित एवं तैयार की जा रही नीतियों के अनुरूप ही अपनी –अपनी नीतियों को संरेखित करें। उन्होंने यह भी कहा कि राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को नागरिक केंद्रित एवं व्यवसाय केन्द्रित सेवाओं में सुधार के लिए केंद्र सरकार की नवीनतम पहलों का लाभ उठाना चाहिए ताकि जीवन और व्यापार करने में सुगमता हो।
सम्मेलन के तीसरे दिन इलेक्ट्रॉनिक्स एवं आईटी मंत्रालय ने टियर 2 शहरों में स्टार्टअप को आकर्षित करना और उन्हें बनाए रखना, लोक सेवाओं में उभरती हुई तकनीक का उपयोग, 'भारत को प्रतिभाओं का देश बनाने', 'राज्यों में डिजिटल सुशासन का निर्माण' तथा 'मेक-इन-इंडिया फॉर द ग्लोब-इंडिया इज सेमीकंडक्टर नेशन' शीर्षक से पांच पैनल चर्चाएं आयोजित कीं। मुख्य वक्ताओं में मैप माई इंडिया के मुख्य कार्यकारी अधिकारी श्री रोहन वर्मा, वाधवानी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी श्री प्रकाश कुमार,नैसकॉम की अध्यक्ष सुश्री देबजानी घोष, टाटा संस में सरकारी मामलों के वरिष्ठ अधिकारी तन्मय चक्रवर्ती, और टेक्सास इंस्ट्रूमेंट्स के महाप्रबंधक श्री संतोष कुमार शामिल थे। पैनल चर्चा का संचालन एमईआईटीवाई के वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा किया गया था और इस पैनल में राज्य सरकारों के वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल थे ।
अपनी समापन टिप्पणी में इलेक्ट्रॉनिक्स एवं आईटी मंत्रालय में सचिव अलकेश कुमार शर्मा ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को अपने राज्यों में डिजिटल इंडिया पहल की नवीनतम प्रगति को साझा करने के लिए बधाई दी। उन्होंने उद्योग के दृष्टिकोण और सर्वोत्तम वैश्विक प्रथाओं को साझा करने के लिए उद्योग प्रतिनिधियों के योगदान की भी सराहना की। उन्होंने कहा कि भारत सरकार टियर 1 शहरों से और आगे जा कर प्रौद्योगिकी स्टार्टअप को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है।उन्होंने सम्पन्नता की ओर बढ़ते हुए स्टार्ट-अप इकोसिस्टम बनाने के लिए राज्य स्तर पर सहयोग, स्टार्ट-अप अनुकूल नीतियों और प्रोत्साहन पर जोर दिया। उभरती हुई प्रौद्योगिकी का उल्लेख करते हुए उन्होंने एआई, ब्लॉकचैन, ड्रोन, आईओटी आदि का उपयोग करके डेटा संचालित निर्णय लेने और डेटा और प्रक्रिया संचालित नवाचारों पर बल दिया।
उन्होंने कहा कि प्रतिस्पर्धी मूल्य पर अत्यधिक कुशल संसाधन प्राप्त करने के लिए भारत पहली पसंद का गंतव्य स्थल है। उन्होंने कहा कि टीम इंडिया-सरकार, उद्योग और शिक्षाविदों को युवाओं तथा पेशेवरों को भविष्य के लिए तैयार करने एवं भारत के प्रतिभा राष्ट्र के रूप में स्थापित करने के लिए गहन प्रौद्योगिकियों पर लगातार प्रशिक्षित/पुनः: प्रशिक्षित करने के लिए मिलकर काम करना चाहिए। उन्होंने उल्लेख किया कि व्यक्तिगत और सक्रिय सेवाओं को बेहतर बनाने तथा वितरित करने के लिए 'डिजिटल बाय डिफॉल्ट' दृष्टिकोण तथा उपस्थिति-रहित, संपर्क रहित, पेपरलेस, कभी भी, कहीं भी और कम सेवाओं को आमंत्रित करने के सिद्धांत महत्वपूर्ण हैं।
उन्होंने कहा कि देश में सेमीकंडक्टर विनिर्माण इकोसिस्टम स्थापित करने और इस तरह रोजगार पैदा करने तथा डिजिटल अर्थव्यवस्था में मूल्यवर्धन में तेजी लाने के मामले में एक बड़े अवसर का दोहन किया जाना बाकी है। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि केंद्र सरकार द्वारा घोषित प्रोत्साहनों के अलावा, राज्य स्तरीय अनुकूल नीतियां और वित्तीय प्रोत्साहन उन कंपनियों को आकर्षित करने के लिए ऐसे मार्गदर्शक बल होंगे जो रोजगार और राजस्व उत्पन्न करेंगे। इलेक्ट्रॉनिक्स एवं आईटी मंत्रालय में संयुक्त सचिव सुशील पाल के धन्यवाद ज्ञापन के साथ इस सम्मेलन का समापन हुआ।