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'भरोसा सेल' पर निर्भर हजारों जोड़े; पिछले साल 39 फीसदी मामलों में हुआ सुलह...तलाक लेने की सोच रहे हैं ? यह पढ़ लें पहले

तलाक के बाद न सिर्फ जीवन साथी से रिश्ता टूटता है, बल्कि परिवार का साथ, उनका प्यार उसका एहसास के साथ कई सहूलियतें भी छूट जाती हैं। इंसान के जीवन में कुछ बचता है तो वो है मायूसी निराशा और अकेलापन, लेकिन तलाक जिंदगी के आखिरी विकल्प नहीं है, लेकिन जीवन के हर पल पूरानी यादों का झरोखा कहीं ना कहीं आपको झझकोरता रहता है, एक जीवन साथी को छोड़कर दूसरे के साथ जीवन यापन की बहुत कम लोगों को रास आती है...

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 सीमा सुर्वे, पुलिस निरीक्षक भरोसा सेल, नागपुर शहर पूरे मामले पर दे रही है जानकारी

नागपुर: तलाक शादी के बाद पति और पत्नी के बीच वैध वैवाहिक संबंधों को कानूनी रूप से जोड़ने की प्रक्रिया है। हालांकि तलाक शादी को खत्म करने की आजादी देता है, लेकिन यह कई गंभीर समस्याएं भी पैदा करता है। इसमें मुख्य रूप से इस जोड़े के बच्चे शामिल हैं। अगर इस बढ़ती हुई समस्या को प्राथमिक स्तर पर सुलझा लिया जाए तो भविष्य में तलाक की दर को कम करने में मदद मिलेगी। इस उद्देश्य के लिए नागपुर पुलिस ने कुछ साल पहले एक भरोसा सेल की स्थापना की थी। नागपुर - घरेलू हिंसा, छोटे-मोटे विवाद और असहमति सहित कई कारणों से पिछले कुछ वर्षों में तलाक की संख्या में काफी वृद्धि हुई है। तलाक विवाह के बाद पति और पत्नी के बीच (वैध वैवाहिक) दांपत्य संबंधों को कानूनी रूप से समाप्त करने की प्रक्रिया है। हालांकि तलाक शादी को खत्म करने की आजादी देता है, लेकिन यह कई गंभीर समस्याएं भी पैदा करता है। इसमें मुख्य रूप से इस जोड़े के बच्चे शामिल हैं।


अगर इस बढ़ती हुई समस्या को प्राथमिक स्तर पर सुलझा लिया जाए तो भविष्य में तलाक की दर को कम करने में मदद मिलेगी। इसके लिए नागपुर पुलिस ने कुछ साल पहले ट्रस्ट सेल की स्थापना की थी। आज हर साल सैकड़ों परिवार अपने तर्कों और मतभेदों को भुलाकर इस ट्रस्ट सर्कल के कारण दुनिया में खुशियां मना रहे हैं। पिछले साल ट्रस्ट रूम में प्राप्त कुल शिकायतों में से 39 प्रतिशत का निस्तारण किया गया। इस साल मिली कुल शिकायतों में से 30 फीसदी दंपति की जिंदगी वापस पटरी पर आ गई है. इस साल के अंत तक ट्रस्ट विभाग के अधिकारियों ने इस अनुपात को 40 से 45% तक ले जाने का लक्ष्य रखा है।



आपसी सहमति से तलाक लेने के लिए हिंदू मैरिज एक्ट

1955 की धारा 13B (Hindu Marriage Act/Section 13 B) के तहत एक प्रावधान (Provision) दिया गया है. इसमें कुछ शर्तें दी गई हैं जिन्हें दोनों पक्षों की ओर से पूरा किया जाना जरूरी है। पहले तो दोनों को मामला अदालत में जाने के बाद दोनों की एक दो बार फिर से विचार करने को कहा जाता है दोनों की काउंसलिंग की जाती है तब जाकर उसकी प्रतिक्रिया पूरी होती है।


तलाक मांगा जाता है:-

पिछले कुछ सालों में बहुत छोटी-छोटी बातों को लेकर काडीमोड (तलाक) की संख्या में इजाफा हुआ है। प्रेम विवाह में यह अनुपात थोड़ा अधिक होता है। इसलिए तलाकशुदा जोड़ों को इस बात का अंदाजा होना चाहिए कि तलाक शब्द कितना विस्फोटक है। आजकल मोबाइल फोन और सोशल मीडिया जैसे मुद्दों के आधार पर भी तलाक की मांग की जा रही है। इसके अलावा घरेलू हिंसा, दहेज, मानसिक प्रताड़ना, व्यसन और छोटे-मोटे झगड़े के आधार पर भी तलाक की अर्जी दी जा रही है. तलाक की बढ़ती दर हमारे समाज के लिए एक गंभीर समस्या बन गई है। इसलिए नागपुर पुलिस ने कुछ साल पहले इनमें से कुछ समस्याओं का प्रारंभिक समाधान खोजने के लिए एक ट्रस्ट सेल की स्थापना की है।


7 माह में निपटाए गए 940 मामले:-

हर माह लगभग 130 से 170 मामले शिकायतों के रूप में प्राप्त होते हैं। इसमें पारिवारिक कलह, पति-पत्नी के झगड़े और उससे उत्पन्न होने वाली समस्याओं पर आधारित शिकायतें सबसे आम हैं। चालू वर्ष के सात माह में न्याय प्रकोष्ठ में 1341 प्रकरण दर्ज किये गये हैं, जिनमें से 940 प्रकरणों का निराकरण किया जा चुका है। इसमें भरोसा चैंबर ने 402 मामलों को सुलझाने में बड़ी सफलता हासिल की है। इन आंकड़ों के प्रतिशत पर नजर डालें तो यह राशि 30 फीसदी है। इसके अलावा 401 मामलों में काउंसलिंग की प्रक्रिया चल रही है और इनमें से ज्यादातर मामलों का सफलतापूर्वक निपटारा कर दिया जाएगा। इसलिए अधिकारियों का मानना है कि इस साल सुलह प्रतिशत 40 से 45 फीसदी तक जाएगा। साथ ही 64 मामले पुलिस कार्रवाई के लिए भेजे गए हैं। घरेलू हिंसा अधिनियम के तहत कुल 22 मामले अदालत में भेजे गए हैं। आवेदकों के अनुसार, 339 मामलों को बंद कर दिया गया है।



पिछले साल 39 फीसदी मामलों में हुआ सुलह:-

2017 में शुरू किए गए भरोसा विक्रम के कारण कई लोगों का समर्थन मिला है। छंटनी के दौरान पारिवारिक विवाद, हिंसा और गाली-गलौज की घटनाओं में इजाफा हुआ। पिछले साल ट्रस्ट कार्यालय में कुल 2,050 शिकायत आवेदन दाखिल किए गए थे। जिसमें से 795 शिकायत आवेदनों का निराकरण किया जा चुका है। यह अनुपात 39 प्रतिशत के बराबर है। इसके अलावा 155 मामले पुलिस कार्रवाई के लिए भेजे गए थे। इसके अलावा घरेलू हिंसा अधिनियम के तहत 34 मामलों को अदालत में भेजा गया है जबकि 794 मामलों को आवेदकों के अनुसार बंद कर दिया गया है।

Updated : 2 Aug 2022 12:25 PM GMT
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