एकनाथ शिंदे गुट ने सुप्रीम कोर्ट में की याचिका दाखिल याचिका, याचिका में क्या उठाए गए है 5 बड़े सवाल
शिवसेना की ओर से अधिवक्ता कपिल सिब्बल और एकनाथ गुट की तरफ होंगे अधिवक्ता हरीश साल्वे
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मुंबई: महाराष्ट्र का सियासी घमासान सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। एकनाथ शिंदे गुट ने अपनी याचिका में डिप्टी स्पीकर और सरकार के बीच सांठगांठ का 5 बड़े सवाल उठाते हुए आरोप लगाया हैं। एकनाथ शिंदे की ओर से याचिका में कहा है कि उपसभापति सरकार के साथ मिलकर काम उनके कहने पर कर रहे हैं। महाविकास आघाडी सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए उपसभापति के पद दुरुपयोग करना जारी रखा है जिससे वह सत्ता में बने रहें। उपसभापति नरहरी झिरवाल द्वारा एकनाथ शिंदे और उनके समर्थकों के साथ जल्दबाजी में अयोग्य ठहराने के प्रयास में अयोग्यता नोटिस सरकार के कहने का एक पहला उदाहरण है। पहली याचिका एकनाथ शिंदे की ओर से है और अयोग्यता की कार्यवाही को लेकर है जबकि दूसरी याचिका विधायक भरत गोगावले की और से दाखिल की गई है।
राजनीतिक सूत्रों के मुताबिक एकनाथ शिंदे गुट ने अपनी याचिका की प्रति पहले ही इस मामले में प्रतिवादी महाराष्ट्र सरकार के पास भेज दी है ताकि कोर्ट में नोटिस का समय बचे और मामले को सुप्रीम कोर्ट में सुबह साढ़े दस बजे ही अवकाशकालीन पीठ और रजिस्ट्रार के सामने अर्जेंट सुनवाई के लिए मेंशन किए जाने की उम्मीद है। शिवसेना की ओर से अधिवक्ता कपिल सिब्बल और एकनाथ गुट की तरफ होंगे अधिवक्ता हरीश साल्वे।
एकनाथ शिंदे गुट की याचिका में 5 बड़े सवाल
1. अजय चौधरी को डिप्टी स्पीकर द्वारा शिवसेना विधायक दल के नेता के रूप में मान्यता देना अवैध और असंवैधानिक है. नाना पटोले के फरवरी, 2021 में पद से इस्तीफा देने के बाद से स्पीकर का पद खाली है. डिप्टी स्पीकर के पास अयोग्यता याचिका पर फैसला करने का कोई अधिकार नहीं है. यह सामान्य ज्ञान है कि राज्य में वर्तमान सरकार सदन में बहुमत खो चुकी है. शिवसेना विधायक दल के 38 सदस्यों ने अपना समर्थन वापस ले लिया है. यह सदन में बहुमत से नीचे है।
2. शिंदे ने संजय राउत की विधायकों को कथित धमकी पर खबर का हवाला दिया है. वहीं 15 बागी विधायकों की याचिका में कहा गया है कि उन्होंने शिवसेना की सदस्यता नहीं छोड़ी है. डिप्टी स्पीकर की कार्रवाई मनमानी अन्यायपूर्ण और अवैध है. डिप्टी स्पीकर सरकार के हाथों में खेलते हुए कार्यवाही कर रहे हैं।
3. याचिका में विधान सभा में शिंदे की जगह विधायक अजय चौधरी को शिवसेना विधायक दल का नेता और सुनील प्रभु को नया चीफ व्हिप बनाने को भी चुनौती दी गई है. इसमें विधानसभा में शिवसेना विधायक दल के नेता और चीफ व्हिप की नियुक्तियों में बदलाव को चुनौती दी गई है।
4. शिंदे शिविर ने अजय चौधरी की शिवसेना विधायक दल के नेता के रूप में नियुक्ति और डिप्टी स्पीकर के खिलाफ निर्दलीय और बीजेपी विधायकों की से भेजे गए अविश्वास प्रस्ताव को खारिज किए जाने को भी चुनौती दी गई है।
5. इनकी दलील है कि जब तक डिप्टी स्पीकर को हटाने के प्रस्ताव पर फैसला नहीं हो जाता तब तक कोर्ट डिप्टी स्पीकर को उनके खिलाफ अयोग्य घोषित करने के मुद्दे पर कोई कार्रवाई आगे नहीं बढ़ाने का निर्देश दे. एकनाथ शिंदे ने अपनी याचिका में कहा कि सभी 55 विधायकों ने उन्हें 2019 में शिवसेना विधायक दल के नेता के रूप में नियुक्त करने का प्रस्ताव किया था. लेकिन जब ठाकरे खेमे द्वारा उन्हें शिवसेना विधायक दल के नेता के रूप में हटाने का प्रस्ताव पारित किया गया तो 35 फीसदी से भी कम शिवसेना के विधायक मौजूद थे।