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रेल दुर्घटना में दोनों पैर गंवाने वाले सत्यप्रकाश को मिला ध्यानचंद अवार्ड

रेल दुर्घटना में दोनों पैर गंवाने वाले सत्यप्रकाश को मिला ध्यानचंद अवार्ड
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मुंबई। सन 2020 का राष्ट्रीय खेल पुरस्कार ध्यानचंद पुरस्कार- पैरा बैडमिंटन खिलाड़ी सत्यप्रकाश तिवारी को मिला है। 1981 में हुई एक रेल दुर्घटना में अपने पैर गंवाने वाले सत्यप्रकाश तिवारी पूर्व बैडमिंटन खिलाड़ी को उनके रिटायरमेंट के 6 साल बाद लाइफटाइम अचीवमेंट के लिए ध्यानचंद अवार्ड से सम्मानित किया गया।

रेल दुर्घटना के समय मुंबई के घाटकोपर निवासी सत्यप्रकाश तिवारी उस समय मात्र 15 साल के ही थे। अपनी सकारात्मक सोच के बूते शारीरिक रूप से दिव्यांगजनों के खेल पैरा स्पोटर्स में कुछ कर दिखाने की ठानी। तिवारी ने पैरा बैडमिंटन ही नहीं, पैरा एथलेटिक्स में राज्य राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई सारे मेडल जीते।

ध्यानचंद पुरस्कार पाने के बाद सत्यप्रकाश ने कहा मेरी जिम्मेदारी और बढ़ गई है। 54 साल के तिवारी ने बताया कि पैरा स्पोटर्स में आने का विचार उन्हें राजाराम घाग से मिली जिन्होंने 80 के दशक में पैरा स्वीमर होने के बावजूद इंग्लिश चैनल पार की थी। 2002 से तिवारी बैडमिंटन खेल से जुड़े। राष्ट्रीय खेल दिवस के मौके पर लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार मिलने पर सत्यप्रकाश तिवारी ने खुशियां जाहीर की है।

एक नजर

1999 में पैरा एशियन गेम्स में शाटपुट और जैवलिन थ्रो में ब्रांज मेडल जीता
2002 में विश्व कप बैडमिंटन में पैरा डबल्स में सिल्वर मेडल
2006 में पैरा एशियन गेम्स में बैडमिंटन के डबल्स व्हीलचेयर इवेंट में ब्रांज मेडल
महाराष्ट्र सरकार के शिव छत्रपति पुरस्कार को बतौर खिलाड़ी और बतौर कोच जीता है।


पुराने वक्त को किया याद

रेल दुर्घटना के बाद जिंदगी कैसे बदली, इस पर सत्यप्रकाश ने कहा कि दोनों पैर गंवाने के बाद सभी लोगों ने मुझे हिम्मत दी। जिससे मेरे हौसले में जान आई।

Updated : 5 Sep 2020 8:09 AM GMT
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