Home > न्यूज़ > कोर्ट के बाहर बेंच पर बैठकर संजय राउत ने लिखा मां को मार्मिक पत्र, नई क्रांति की चिंगारियां उड़ेंगी, आजादी की जय जयकार होगी

कोर्ट के बाहर बेंच पर बैठकर संजय राउत ने लिखा मां को मार्मिक पत्र, नई क्रांति की चिंगारियां उड़ेंगी, आजादी की जय जयकार होगी

संजय राउत ने मां को लिखा पत्र, प्रदेश की राजनीति पर किया कमेंट। घर से जेल जाने तक तक के सारे उतार चढाव के बारे में किया पत्र में जिक्र। संजय राउत को फिलहाल शिवसेना की तोप के नाम से जाना जाता है। संजय राउत को ईडी ने पात्रा चाल गबन मामले में गिरफ्तार किया है। मां को लिखे गए पत्र को संजय राउत के सोशल मीडिया अकाउंट ट्विटर के जरिए वायरल किया गया है। संजय राउत पिछले 2 महीने से ईडी की हिरासत में थे। लेकिन अब उनकी ईडी हिरासत खत्म हो गई है और उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है। इस बार उन्होंने कोर्ट के बाहर बेंच पर बैठकर अपनी मां को चिट्ठी लिखी है। इस पत्र में उनका क्या कहना है, जानने के लिए पढ़ें यह खबर!

कोर्ट के बाहर बेंच पर बैठकर संजय राउत ने लिखा मां को मार्मिक पत्र, नई क्रांति की चिंगारियां उड़ेंगी, आजादी की जय जयकार होगी
X

प्रिय माताजी,

जय महाराष्ट्र,

कई वर्षों तक पत्र लिखने का अवसर नहीं मिला। मैं हर दिन सामना के लिए संपादकीय पेज लिखता था, कॉलम लिखता था, लेकिन जब मैं ​पार्टी​ के दौरे पर पर नहीं होता तो आप और मैं रोज मिलता था। आप दौरे के दौरान सुबह-शाम फोन पर बात करती रहती थी तो, आपको एक विस्तृत पत्र लिखने के मौका नहीं मिला। अब केंद्र सरकार ने यह पत्र लिखने का मौका दिया है। अभी-अभी मेरा ईडी प्रवास समाप्त हुआ। मैं आपको यह पत्र न्यायिक हिरासत में जाने से पहले कोर्ट के बाहर बेंच पर बैठे हुए लिख रहा हूं। आपको पत्र लिखे हुए कई साल हो गए हैं।

स्पेशल डेस्क, मैक्स महाराष्ट्र, मुंबई:​ ​रविवार (1 अगस्त) को जब 'ईडी' के अधिकारी घर में दाखिल हुए तो आप माननीय बालासाहेब ठाकरे की तस्वीर के नीचे मजबूती से बैठी थी। जब ईडी के अधिकारियों ने आपके कमरे और मंदिर, साथ ही रसोई में रखे नमक, मसाले और आटे के बक्से की तलाशी ली, तब भी आप सब कुछ त्याग के भाव से सहन करती रही। आपको शायद यकीन हो गया था कि यह घटना आपके साथ घटित होने वाली है। लेकिन शाम को तुमने मुझे गले से लगा लिया और मुझे ले जाते हुए रो​ ​पडी। तुमने अचानक अपने कलेजे लगा लिया और भभक आपकी आंखों से आंसू गिरने लगे ! शिवसेना के सैनिक बाहर नारेबाजी कर रहे थे, उन सैनिकों के नारेबाजी के बीच भी आपको रोता देख आपका चेहरा मेरे मन में वेध गया। आपने कहा 'जल्दी वापस आ जाओ'। तुमने मुझे खिड़की से देखती रही। ठीक वैसे ही जैसे आप हर दिन मेरे 'सामना' दफ्तर या दौरे पर जाते समय करती थी। उस कठिन परिस्थिति में भी आपने अपने आंसू रोक लिए और बाहर जमा हुए शिवसैनिकों को भी हाथ दिखाया। आपका हाथ तब तक ऊपर था जब तक मुझे ले जाने वाली गाडी बाहर बाहर नहीं आ गई।

माँ, मैं अवश्य वापस आऊँगा। महाराष्ट्र और हमारे देश की आत्मा जैसा कोई भारत में आसानी से नहीं आएगा। देश के लिए लड़ रहे हजारों सैनिक सीमा पर खड़े हैं और महीनों घर नहीं आते। कुछ कभी नहीं आते। लड़ना ही ऐसा होता है। मुझे भी अन्याय का सामना करना पड़ता है। शिवसेना महाराष्ट्र के दुश्मनों के आगे नहीं झुक सकती। मैं अन्याय के खिलाफ लड़ रहा हूं। इसलिए मुझे तुमसे दूर जाना पड़ा। क्या मुझे आपसे यह कठोरता और कठोरता नहीं मिली? भुजबल, राणे के शिवसेना छोड़ने के बाद भी मैंने आपका गुस्सा देखा है। अब फिर जब शिंदे नाम का एक गुट फूट पड़ा और उद्धव ठाकरे पर हमला करने लगा, ''कुछ करो, शिवसेना को बचाओ!'' आप ही थे जिन्होंने ऐसा कहा था। "ये लोग क्यों टूट गए? वे क्या याद कर रहे थे?" आप भी खबर देखकर ऐसा सवाल पूछ रहे थे। शिवसेना को बचाने के लिए हमें लड़ना होगा। वीर शिवाजी हर बार पड़ोसी के घर क्यों पैदा होते हैं? ये भी एक प्रश्न है।

मैंने आपसे बचपन से ही शिवसेना का और स्वाभिमान लिया। महाठी बनना मैंने आपसे सीखा। यह आप ही थे जिन्होंने हमारे मन में यह बात बैठा दी कि हमें कभी भी शिवसेना और बालासाहेब के साथ बेईमानी नहीं करनी चाहिए! तो अब उन मूल्यों के लिए लड़ने का समय आ गया है और इसमें 'संजय' कमजोर पड गया, अगर वह आत्मसमर्पण कर देता तो हम बाहर क्या चेहरा दिखाएंगे? तुमने मुझे मेरे घुटनों पर स्वीकार नहीं किया होता। 'ईडी', 'इनकम टैक्स' आदि के डर से कई विधायकों ने शिवसेना छोड़ दी। मैं बेईमानों की लिस्ट में नहीं जाना चाहता..किसी को तो डटे रहना ही होगा। मुझमें वह साहस है। आदरणीय बालासाहेब और आपने वह साहस दिया। सब को पता है। मुझ पर झूठ और झूठे आरोप लगाए गए। यहां मेरे सामने बंदूक की नोंक पर आतंक और दबाव से मेरे खिलाफ फर्जी बयानबाजी की जा रही है। अप्रत्यक्ष रूप से ठकाटों का समर्थन छोड़ने का सुझाव दिया जा रहा है। तिलक और सावरकर समेत कई लोगों को इस तरह का अत्याचार सहना पड़ा। कई शिवसैनिकों ने पार्टी के लिए अपने घरवालों पर तुलसी पत्र लगाया, संपत्ति पर प्रतिबंध लगा दिया। जान गंवाई। तो मेरे जैसा आपका नेता कैसे युद्ध के मैदान से भाग जाए जब वह पार्टी संकट में हो? दुबला क्यों? उद्धव ठाकरे मेरे प्रिय मित्र और सेनापति हैं। इतने कठिन समय में अगर मैं उन्हें छोड़ दूं तो कल बालासाहेब को क्या चेहरा दिखाएंगे?

आज राज्य षडयंत्रकारियों के हाथ लग गया है। वे शिवसेना के अस्तित्व और महाराष्ट्र के गौरव को कुचलना चाहते हैं। पर्दे के पीछे बहुत कुछ चल रहा है। ऐसे समय में आप अपने हाथ बंधे हुए और अपनी गर्दन नीचे करके गुलाम की तरह कैसे रह सकते हैं? मैंने अभी सुना, 'नेशनल हेराल्ड मामले में सोनिया और राहुल गांधी को भी परेशान किया जा रहा है। रोहित पवार को भी परेशान किया जा रहा है। इसी उत्पीड़न से नई क्रांति की चिंगारियां उड़ेंगी और नई आजादी का जश्न मनाया जाएगा। लोकतंत्र का पुनर्जन्म होगा।




शिवसेना हम सभी की मां है क्योंकि आप मेरी मां हैं। मुझ पर अपनी मां के साथ बेईमानी करने का दबाव डाला गया। सरकार के खिलाफ मत बोलो, महंगा पड़ेगा। ऐसी थी धमकियां। मैं आज आपसे केवल इस कारण से दूर हूं कि मैंने इन दबावों और धमकियों के आगे समर्पण नहीं किया। फिर भी चिंता मत करो, मैं आऊंगा। तब तक, उद्भव ठाकरे और कई शिवसैनिक आपकी मेरी तरह आपके बेटे की तरह देखभाल करेगें। अपना ध्यान रखना!

आपका अपना,

संजय (बंधू) 18 अगस्त, सत्र न्यायालय, मुंबई.

Updated : 12 Oct 2022 10:56 AM GMT
Tags:    
Next Story
Share it
Top