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कोरोना काल में नौकरी से निकालना सही नहीं

कोरोना काल में नौकरी से निकालना सही नहीं
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मुंबई। टाटा समूह के संरक्षक रतन टाटा ने इंटरव्यू के दौरान कोरोना महामारी की वजह से हो रही छंटनी को लेकर नाराजगी जताई। उन्होंने कहा कि कोरोना के मुश्किल दौर में लोगों के प्रति कंपनियों की जिम्मेदारी बनती है। जिन्होंने आपको लिए काम किया, आपने उन्हें ही छोड़ दिया। उन्होंने कहा, ‘‘उद्यमियों और कंपनियों के लिए लंबे समय तक काम करने और अच्छा प्रदर्शन करने वाले कर्मचारियों के प्रति संवेदनशीलता जरूरी है। महामारी के दौर में आप अपने कर्मचारियों के साथ ऐसा बर्ताव करते हैं, क्या यही आपकी नैतिकता है?’’ उन्होंने कहा, ‘‘जब देश में वायरस का प्रकोप शुरू ही हुआ था, तभी हजारों लोगों को नौकरी से निकाल दिया गया। क्या इससे समस्या हल हो सकती है? मुझे नहीं लगता कि ऐसा हो सकता है। आपको बिजनेस में नुकसान हुआ है, ऐसे में लोगों को नौकरी से निकाल देना सही नहीं है, बल्कि उनके प्रति आपकी जिम्मेदारी बनती है। रतन टाटा ने महामारी के चलते प्रवासी और दिहाड़ी मजदूरों की स्थिति के बारे कहा कि आय का कोई सोर्स नहीं होने के कारण लॉकडाउन के दौरान प्रचंड गर्मी में बिना किसी साधन के उन्होंने घर वापसी की। देश की सबसे बड़ी श्रमशक्ति को कह दिया गया आपके लिए कोई काम नहीं है और आपको घर भेजने की व्यवस्था भी नहीं है। उनके रहने-खाने की कोई व्यवस्था नहीं की गई। ऐसा करने वाले आप कौन होते हैं?’’ ‘‘ये वे लोग हैं, जिन्होंने आपके लिए काम किया है। ये वही लोग हैं, जिन्होंने अपने पूरे करियर के दौरान आपकी सेवा की है, इसलिए आप उन्हें बारिश में रहने के लिए छोड़ देते हैं? आप अपनी लेबर फोर्स के साथ इस तरह का बर्ताव करते हैं, क्या आपकी नैतिकता की यही परिभाषा है?’’

Updated : 24 July 2020 10:57 AM GMT
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