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क्या यह सच है कि बागी विधायकों की (हॉर्स मार्केटिंग) खरीद फरोख्त की कीमत 100 से 50 करोड़ रुपये है?

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मुंबई: क्या यह सच है कि बागी विधायकों की (हॉर्स मार्केटिंग) खरीद फरोख्त 100 से 50 करोड़ रुपये की है? यह आरोप हम नहीं लगा रहे वरिष्ठ पत्रकार फिल्म लेखक और कई राजनीतिक पार्टियों के प्रवक्ताओं द्वारा सोशल मीडिया पर खुले आम लिखा जा रहा है। कहीं न कहीं बातों में दम तो जरूर है इसका खुलासा होना जरूरी है कर्नाटक सरकार के समय बीजेपी के तरह से कांग्रेस विधायकों का होटल खर्च संभालने वाले भाजपा के कुछ नेताओं को असम गुवाहाटी में होने की बात भी सामने आयी है। आखिर इतना पैसा कहा से आ रहा है इन विधायकों के लिए होटल में रहने खाने पीने और हवाई जहाज से यात्रा करवाने का जो सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बना हुआ है।


जिस असम में 100-100 करोड़ में विधायकों की सौदेबाजी हो रही है, सैर के मशहूर उसी असम में शव तैर रहे हैं। याद रखिएगा- डर डर कर लगातार मर रहा लोकतंत्र, आम आदमी को ऐसे ही मुर्दा बना डालता है। यह विचार वरिष्ठ पत्रकार और फिल्म के लेखक विनोद कापडी के है। जिन्होंने अपनी लेखनी से और ज्वलनशील मुद्दों को लेकर किसी भी सरकार को नहीं बख्शा है। उनके अपने ट्वीट कई तरह के है जिसमें साफ मार्मिक बाते है कि लोकतंत्र का कैसे माहौल उडाया जा रहा है।




वही इन बागियों को कौन कर रहा भुगतान किया यह सीधा सवाल राकांपा के प्रदेश मुख्य प्रवक्ता महेश तापसे ने ट्वीट कर सवालिया निशान उठाया है। सूरत और गुवाहाटी में शिवसेना के बागी विधायकों के होटल बिल का भुगतान कौन कर रहा है स्पाइसजेट के बिल का भुगतान किसने किया? ऐसे कई सवाल महेश तापसे ने उठाए हैं। महेश तापसे ने यह भी कहा है कि अगर आयकर विभाग और ईडी यहां छापेमारी करती हैं तो काले धन का राष्ट्रगान बेनकाब हो जाएगा।


Updated : 25 Jun 2022 9:13 AM GMT
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