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बंद कमरे में उस "गुप्ता चर्चा" को लेकर रावसाहेब दानवे ने किया खुलासा?

कई दावे और जवाबी दावे किए जा रहे हैं, जो शिवसेना और भाजपा में मुख्यमंत्री पद का फॉर्मूला था। लेकिन अब केंद्रीय मंत्री ने उस फॉर्मूले की घोषणा करते हुए दावा किया है कि वह इस बैठक में मौजूद थे।

बंद कमरे में उस गुप्ता चर्चा को लेकर रावसाहेब दानवे ने किया खुलासा?
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मुंबई: उद्धव ठाकरे बार-बार भाजपा पर चुनाव के बाद ढाई साल तक मुख्यमंत्री पद के फॉर्मूले को अमान्य करने का आरोप लगाते रहे हैं। इसलिए उद्धव ठाकरे बार-बार कह चुके हैं कि उन्होंने भाजपा छोड़ महा विकास अघाड़ी में शामिल हो गए। इन सबकी पृष्ठभूमि में केंद्रीय मंत्री रावसाहेब दानवे ने एक बड़ा गुपचुप धमाका किया है। तत्कालीन मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इस मामले पर कुछ न कहने का निर्णय ले रखा था कि क्या शिवसेना और बीजेपी के बीच का फॉर्मूला मूल रूप से ढाई साल के लिए तय किया गया था। फडणवीस ने पहले ही स्पष्ट कर दिया था कि यह पता नहीं है कि अमित शाह ने उद्धव ठाकरे के साथ क्या चर्चा की थी। हालांकि अमित शाह ने उद्धव ठाकरे के इस आरोप का जवाब देने से इनकार करते हुए कहा था कि वह बंद कमरे में हुई चर्चा को सार्वजनिक नहीं करना चाहते।

लेकिन अब बीजेपी के तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष और अब केंद्रीय मंत्री रावसाहेब दानवे ने उस बंद कमरे में हुई चर्चा में आखिर क्या फैसला हुआ, इसकी जानकारी का खुलासा किया है। जिसने राज्य की राजनीति को एक अलग मोड़ दे दिया। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे आज दिल्ली के दौरे पर हैं, रावसाहेब दानवे ने कुछ केंद्रीय मंत्रियों के साथ मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे से मुलाकात की। रावसाहेब दानवे ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि उद्धव ठाकरे खुद मुख्यमंत्री बनना चाहते थे, इसलिए वह कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस के साथ गए। वह अमित शाह और उद्धव ठाकरे के साथ बंद कमरे में हुई बैठक में भी मौजूद थे, क्योंकि वह तब भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष थे। उस बैठक में फार्मूला था कि जिसके पास ज्यादा विधायक उसका मुख्यमंत्री होगा। उन्होंने दावा किया है कि सीट आवंटन को लेकर चर्चा हुई लेकिन मुख्यमंत्री पद को लेकर कोई चर्चा नहीं हुई। उन्होंने कहा कि इस राजनीतिक विस्पोट समझों कोई अर्थ लगाओं जो सच है वो मैं कह रहा हूँ, उध्दव ठाकरे को मुक्यमंत्री बनना था इसलिए वो महाविकास आघाडी में भाजपा का साथ चोडकर गए।


कहा से आयी भाजपा शिवसेना के रिश्ते में खटास

भाजपा और शिवसेना का गठबंधन काफी पुराना है 20 दशक वाला। 1995 में लेकिन पहली बार शिवसेना के कारण ही सत्ता में भाजपा महाराष्ट्र में आयी। पहली बार मुख्यमंत्री बने शिवसेना के मनोहर जोशी मुख्यमंत्री बने और उपमुख्यमंत्री भाजपा से गोपीनाथ मुंडे, चुनाव में शिवसेना ने 73 और भाजपा ने 65 सीटें जीती थीं। इस गठबंधन की सरकार में ज्यादा सीट पाने वाली पार्टी का मुख्यमंत्री पद की दावेदारी की बात तय हुई थी, तब भाजपा की कमान अटल बिहारी वाजपेयी और लालकृष्ण आडवाणी जैसे नेताओं के हाथ में थी। जहां मुख्यमंत्री पद शिवसेना के पास था, तो वहीं उपमुख्यमंत्री भाजपा का था। अब 21 साल बाद भाजपा और शिवसेना फिर सरकार बना पाती है, इस बात को लेकर आज तक फिलहाल कशमकश जारी है। शिवसेना ने पहली बार भाजपा के साथ सत्ता में आने के बाद मनोहर जोशी को 4 साल और नारायण राणे को एक साल के लिए मुख्यमंत्री बनाया। उसके बाद 15 साल महाराष्ट्र की सत्ता से बेदखल रही भाजपा शिवसेना, कांग्रेस के साथ शरद पवार ने गठबंधन कर सरकार को चलाया। इसके बाद अलग हुए अलग होकर चुनाव लडे लेकिन साथ में सरकार बनाई होकर सरकार फिर.....चुनाव के बाद महाविकास आघाडी की सरकार स्थापना उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री ३१ महीने सरकार चली और गिर गई २० जून से राजनीतिक उठापटक चालू है।

Updated : 19 July 2022 5:13 PM GMT
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