जुहू बीच पर बड़ी संख्या में ऑयली टार बॉल्स और जेलीफिश देखकर लोग हो गए हैरान!
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मुंबई: आज सुबह जुहू बीच पर बड़ी संख्या में ऑयली टार बॉल्स और जेलीफिश उतरे हैं, कुछ दिन पहले यहां पर जेलीफिश पहले भी देखी गई थी। यह लगातार पांचवें साल का चक्र जारी है जब टार बॉल यहां आई है। जेलीफिश यहां चार दिन पहले आई थी। दिलचस्प बात यह है कि यहां डूबने की बढ़ती घटना के बाद मुंबई महानगरपालिका प्रशासन ने जुहू बीच को सुबह छह बजे से 10 बजे तक पर्यटकों अनुमति दी गई थी। लेकिन जुहू बीच आज से पर्यटकों के लिए पूरी तरह से खोल दिया गया है और आज बड़ी मात्रा में ऑयली टार बॉल आ गई है जिसको आज सुबह जुहू के समुद्री तट पर देखा गया। उन्होंने यह भी कहा कि जेलीफ़िश आज फिर आ गई। इस दौरान उन्होंने पर्यटकों से समुद्र में नंगे पैर न जाने की अपील की। कनौजिया ने मांग की कि बीएमसी प्रशासन इस पर ध्यान दे और तार कोल हटाकर समुद्र तट की सफाई करवाई जाए यहां पर्यटकों पर कड़ी नजर रखने के लिए लाइफगार्ड तैनात किए गए हैं ताकि यहां कोई दुर्घटना न हो और वे पर्यटकों से अपील कर रहे हैं कि वे पानी में न उतरे और नंगे पांव न यहां पर न चले।
सी गार्डियन लाइफ गार्ड एसोसिएशन के संस्थापक सुनील कनौजिया ने मैक्स महाराष्ट्र को बातचीत के दौरान बताया कि जब समुद्र पूरा ग्रीन कलर टोंड में आ जाता है तो समझे की समुद्री तट पर जेलीफिश जरूर है। यह समुद्र के तह में होती है लेकिन समुद्र के हर तट पर पायी जाती है। विभिन्न भौतिक, रासायनिक और जैविक प्रक्रियाएं तेल की प्रकृति को बदल देते हैं। इन प्रक्रियाओं को आम तौर पर "अपक्षय" कहा जाता है। प्रारंभ में, इस तेल सिल्क में हल्के पदार्थ वाष्पित हो जाते हैं। ऐसे टार बॉल्स जल्दी टूटते नहीं हैं और कई किलोमीटर तक चलते हैं। बढ़ते तापमान के कारण, वे अधिक तरल और चिपचिपा हो जाते हैं। जो हाइड्रोकार्बन वे त्वचा पर एलर्जी का कारण बन सकते हैं। ये टार बॉल समुद्री जानवरों और पक्षियों के लिए विषाक्त हो सकते हैं। टार बॉल्स के बहुत से कारण है कि तेल से समुद्र में यह बनता है तेल के कई कारण है लेकिन इसकी सही वजह क्या है इसको लेकर किसी के पास कोई ठोस वजह नहीं है। पिछले कई सालों में गणेश विसर्जन के दौरान जेलीफिश के कारण लोगों को तकलीफों का सामना झेलना पडा है मुंबई के कई तटो पर विसर्जन के दौरान जेलीफिश के स्पर्श से लोगों को खुजली होने लगती है इंसान बेचैन हो जाता है
हर साल ऐसे टार बॉल जुहू और गिरगांव तटों पर ज्वार की लहरों के कारण बह जाते हैं। 2019 में वर्सोवा और दादर समुद्र तटों के साथ-साथ मरीन ड्राइव पर भी टैर बॉल की सूचना मिली है। पिछले चार वर्षों से मुंबई तट पर तट पर टारबॉल की बढ़ती घटना चिंता का विषय है। टार बॉल्स क्या है? समुद्र की सतह पर फैला कच्चा तेल इन टार बॉल्स में लहरों द्वारा घुसकर और पानी में तत्वों के रासायनिक उपचार द्वारा परिवर्तित हो जाता है। इन चिपचिपी गेंदों को समुद्र अपने तह के अंदर से रेत पर फेंक देता है क्योंकि उन्हें मानसून के दौरान समुद्र की तेज लहरों के हिलकोरे से टार बॉल्स चौपाटी के तट पर आ जाता है और जब वे रेत और कचरे के साथ मिल जाते हैं तो रेत पर एक परत जमा हो जाती है, जिससे उन्हें निकालना बहुत मुश्किल हो जाता है। जब कच्चा तेल समुद्र की सतह पर तैरता है, तो उसकी भौतिक विशेषताएं बदल जाती हैं। छलकने के पहले कुछ घंटों के दौरान, तेल एक पतली परत में फैल जाता है। ये तेल के टुकड़े हवा और लहरों के कारण एक विस्तृत क्षेत्र में फैल जाते हैं।