आरक्षण के साथ मेरे जीवन साथी राजीव गांधी का सपना पूरा होगा- सोनिया गांधी
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महिला आरक्षण पर लोकसभा में जोरदार बहस शुरु हो चुकी है | कांग्रेस नेता सोनिया गांधी ने संसद में कहा , कि स्त्री के धैर्य का अंदाजा लगाना नामुंमकिन है , वह आराम को नही पहचानती और थक जाना भी नही जानती | हमारे महान देश की मॉ है- स्त्री | लेकिन स्त्री ने हमें सिर्फ जन्म ही नही दिया है , अपने आंसूओं , खून-पसीने से सीचकर अपने बारे में सोचने लायक , बुद्धिमान और शक्तिशाली भी बनाया है |
आजादी का लड़ाई और नए भारत के निर्माण के हर मौके पर स्त्री-पुरुष के साथ कंधे-से-कंधा मिलाकर चलती है | सरोजनी नायडू , सुचेता कृपलानी , अरुणा आसफ अली , विजया लक्ष्मी पंडित , राजकुमारी अमृत कौर और उनके साथ तमाम लाखों महिलाएं से लेकर आज की तारिख तक स्त्री ने कठिन समय में हर बार महात्मा गांधी , पंडित जवाहरलाल नेहरु , सरदार पटेल , बाबा साहेब अंबेडकर और मौलाना आजाद के सपनो को जमीन पर उतरकर दिखाया है | इंदिरा गांधी जी का व्यक्तित्व इस सिलसिले में एक बहोत ही रोशन और जिंदा मिसाल है |
सोनिया गांधी ने आगे कहा , कि पहली दफा स्थानीय इकाईयों में स्त्री की भागीदारी तय करने वाला संविधान - संशोधन मेरे जीवन साथी राजीव गांघी जी ही लाए थे | लेकिन वह राज्यसभा में 7 वोटो से गिर गया था | बाद में प्रधानमंत्री पीवी. नरसिंम्हा रावजी के नेतृत्व में कांग्रेस सरकार ने ही उसे पारित कराया | आज उसी का नतीजा है , कि देश-बार में स्थानीय इकाईयों के जरिए , हमारे पास 15 लाख चुनी हुई नेता है | राजीव गांघी जी का सपना अभी तक आधा ही पुरा हुआ है | इस बिल के पारित होने के साथ ही वह पूरी होगा | काग्रेंस पार्टी इस बिल का समर्थन करती है | हमें इस बिल के पास होने से खुशी है , मगर इसके साथ-साथ एक चिंता भी है |
मैं एक सवाल पूछना चाहती हुं | पिछले 13 वर्षो से भारतीय स्त्रियां अपने राजनितिक जिम्मेदारी का इंतजार कर रही है और अब उन्हें कुछ वर्ष ओर इंतजार करने के लिए कहा जा रहा है | कितने वर्ष ? 2 वर्ष ? 4 वर्ष ? 6 वर्ष ? 8 वर्ष ?
क्या भारत के स्त्रियों के साथ ऐसा बर्ताव उचित है | भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की मांग है , कि यह बिल फौरन लाया जाए | लेकिन इसके साथ ही जातिगत जनगणना कराकर अनुसूचित जाति (SC), अनुसूचित जनजाति(ST) , OBC की महिलाओं की आरक्षण की भी व्यवस्था की जाए | सरकार को इसे साकार करने के लिए भी जो कदम उठाने की जरुरत है , वह उठाने ही चाहिए | स्त्रियों के योगदान के स्वीकार करने और उसके प्रति आभार व्यक्त करने का सबसे उचित समय है | इस बिल को लागू करने में और देरी करना भारत के स्त्रियों के साथ घोर ना इंसाफी है |