किसानो को रोकना असंभव, लगातार बढ रहें दिल्ली कि ओर
. It is impossible to stop the farmers, they are continuously moving towards Delhi.
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किसानो ने एक बार फीर सरकार के खीलाफ आंदोलन करने का रासता चून लीया जिससे सरकार के हात पाव फूलते हूए नजर आ रहे है , सरकार ने सोचा था , की किसानों के मसीहा कहें जाने वाले चौधरी चरण सिंह और एम एस स्वामीनाथन को भारत रत्न दे कर देश के कीसानो को अपने पाले में करने में कामयाबी मिलेगी लेकीन अन्नदाता दिल्ली कुच की ओर लगातार आगे बढ रहें है ,उन्हें रोकने के लिए राजधानी में प्रवेस करने वाले सभी रासते को पूरी तरह बैरीकेटींग की गई है . इसके बावजूद कीसान लगातार आगे बढ रहे है दिल्ली की सीमा पर वार जोन जैसे हालात बने हुए है , पुलिस की ओर से किसानो पर टीयर गैस के गोले छोडे जा रहै है.
संयुक्त किसान मोर्चा ने 13 फरवरी को दिल्ली कूच का ऐलान किया था . किसान यूनियनों ने 'दिल्ली चलो' का नारा दिया है. मंगलवार को पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के लाखों किसान दिल्ली की ओर कूच कर रहे हैं. वहीं, संयुक्त किसान मोर्चा ने 16 फरवरी को एक दिन के लिए ग्रामीण भारत बंद का आह्वान भी किया है. ये पहली बार नहीं है जब किसान आंदोलन कर रहे हैं. दो साल पहले दिल्ली की सीमाओं पर किसानों का ऐतिहासिक आंदोलन हुआ था तब मोदी सरकार को किसानों के आगे घुटने टेकने पड़े थे और संसद से पारित तीन कृषि कानूनों को रद्द करना पड़ा था.
दो साल पहले सरकार ने न सिर्फ कानूनों को रद्द कर दिया, बल्कि एमएसपी पर गारंटी देने का वादा किया था . इसके बाद किसानों ने आंदोलन वापस ले लिया . लेकिन अब किसानों का कहना है कि सरकार ने एमएसपी को लेकर अपने वादे पूरे नहीं किए. 2021 के आंदोलन की तरह ही इस बार भी अपनी कई मांगों के लिए किसान विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. खास तौर से न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की गारंटी को लेकर कानून बनाने की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन करने का ऐलान किया है. न्यूनतम समर्थन मूल्य के लिए कानून बनाना उनकी सबसे बड़ी मांग है.
किसानो का कहना है कि वह केंद्र सरकार को सिर्फ उनके दो साल पहले किए गए वादों को याद दिलाने के लीए दिल्ली आ रहे है, जो किसानों से आंदोलन वापस लेने की अपील करते हुए सरकार ने किए थे. वो वादे अबतक पूरे नहीं हुए हैं. सरकार ने एमएसपी पर गारंटी का वादा किया था. किसानों के खिलाफ दर्ज मुकदमे वापस लेने की बात कही थी. आप को याद होगा की 2021 में लखीमपुरी खीरी में कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे चार किसानों को कथित तौर पर गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी की गाड़ी ने कुचल दिया था. किसान सरकार से उस घटना में मारे गए लोगों के परिवारो को नौकरी और दोषियों को सजा दिलाने की मांग कर रहे हैं.
किसानों के 'दिल्ली चलो' मार्च को देखते हुए राजधानी दिल्ली की सीमाओं पर सुरक्षा कड़ी कर दी गई है. यूपी, हरियाणा और दिल्ली पुलिस अलर्ट पर है. मार्च को रोकने के मकसद से सिंघु और गाजीपुर सहित सारी सीमाओं को सील कर दिया है. अंबाला के पास शंभू में पंजाब से लगी सीमा सील कर दी गई. विरोध-प्रदर्शन के मद्देनजर सभी सीमावर्ती रास्तों पर पुलिस और केंद्रीय बलों की टुकड़ियां तैनात की गई है. करीब 5 हजार सुरक्षा कर्मियों को तैनात किया गया है. जबकि कटीले और नुकीले तार लगातार किसानों का रास्ता रोकने की तैयारी है. सीसीटीवी और लाउडस्पीकर भी लगाए गए हैं. किसानों के दिल्ली कूच से दो दिन पहले ही हरियाणा के 7 जिलों में इंटरेनट और एसएमएस सेवा बंद कर दी गई. हरियाणा के अंबाला, कुरुक्षेत्र, कैथल, जींद, हिसार, फतेहाबाद और सिरसा जिले में तीन दिन तक के लिए इंटरनेट सेवा बंद रखने का फैसला हुआ है. कीसानो का आंदोलन अगर लंबा चलता है तो आने वाले लोकसभा चूनाव पर इसका असर पडना लाजमी है , लेकिन सरकार पूरा प्रयास करेगी की आंदोलन को खत्म किया जा सकें.