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आदित्य ठाकरे पर मामला दर्ज करने के लिए एनसीपीसीआर का पुलिस आयुक्त को पत्र

आदित्य ठाकरे पर मामला दर्ज करने के लिए एनसीपीसीआर का पुलिस आयुक्त को पत्र
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मुंबई: रविवार को आरे कॉलोनी में में शुरू मुंबई मेट्रो के कारशेड बनाए जाने के विरोध में शिवसेना युवा नेता आदित्य ठाकरे ने विरोध प्रदर्शन करने वालों लोगों से मुलाकात की। जिसमें नाबालिग बच्चों का समावेश था आदित्य ठाकरे ने उनसे मुलाकात की और ट्विटर पर बच्चों और प्रदर्शन के 4 फोटो पेश पेश किए जो किसी तरह से आपत्ति जनक नहीं बल्कि मानव वेदना को हिला कर रख देने वाला था। आदित्य ने अपने ट्वीट पोस्ट में लिखा कि आरे हमारे शहर के भीतर एक अनोखा जंगल है।



उद्धव ठाकरे जी ने 808 एकड़ आरे को वन घोषित कर दिया और कार शेड को महाविकास आघाडी ने हटा दिया था। हमारे मानवीय लालच और करुणा की कमी, हमारे शहर में जैव विविधता को नष्ट करने की अनुमति नहीं दी जा सकती है। इसके बाद आदित्य ठाकरे के ट्विटर हैंडल को लक्ष्य बनाकर एनसीपीसीआर ने आदित्य ठाकरे पर मामला दर्ज करने के विभिन्न धाराओं के साथ मुंबई के पुलिस आयुक्त पत्र के माध्यम से निर्देश दिया है। फिलहाल लेटर पुलिस आयुक्त तक पहुंच गया है और लेटर वायरल भी होने लगा है। एनसीपीसीआर की रजिस्ट्रार अनु चौधरी द्वारा जारी किया है जिसमें इसे अध्यक्ष, एनसीपीसीआर के अनुमोदन से जारी करने की बात लिखी गई है।





पत्र में आदित्य ठाकरे के साक्ष्य के रूम में उनके ट्वीट लिंग का समावेश किया गया गया है। मुंबई के आदित्य ठाकरे, युवा सेना के अध्यक्ष और मुंबई जिला फुटबॉल एसोसिएशन के अध्यक्ष के खिलाफ तत्काल कानूनी कार्रवाई के लिए नाबालिग बच्चों को बाल श्रम के रूप में इस्तेमाल करने और तथाकथित "आरे बचाओ विरोध" के लिए राजनीतिक अभियान के लिए तत्काल कानूनी कार्रवाई करने के लिए पुलिस आयुक्त को कहा गया है।



श्री विवेक फणसाळकर, आईपीएस

कमिश्नर ऑफ पुलिस

मुंबई पुलिस, महाराष्ट्र

ईमेल: [email protected]

महोदय, राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (बाद में "आयोग" के रूप में संदर्भित) बाल अधिकार संरक्षण आयोग (सीपीसीआर) अधिनियम, 2005 की धारा 3 के तहत बाल अधिकारों और अन्य संबंधित मामलों की रक्षा के लिए गठित एक वैधानिक निकाय है। देश । आयोग को यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम, 2012, किशोर न्याय अधिनियम, 2015 और निःशुल्क और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार (आरटीई) अधिनियम, 2009 के उचित और प्रभावी कार्यान्वयन की निगरानी करना भी अनिवार्य है। सौंपे गए कार्यों के अलावा सीपीसीआर अधिनियम, 2005 की धारा 13 के तहत (1) (जे) के तहत बाल अधिकारों के अभाव और उल्लंघन से संबंधित मामलों का स्वत: संज्ञान लेने के लिए भी अनिवार्य किया गया है। आयोग के पास सीपीसीआर अधिनियम, 2005 की धारा 14 और सिविल प्रक्रिया संहिता, 1908 के तहत एक मुकदमे की सुनवाई करने वाली सिविल कोर्ट में अनुमति होने का जिक्र किया गया हैं।



2. आयोग को श्री धृतिमान जोशी, कानूनी प्रमुख, सह्याद्री राइट्स लिंक्स से शिकायत मिली है; फोरम ट्विटर ने https://twitter.com/AUThackeray/status/1546037147693715457?t=kxmvDnePinchKaG_Dw22Kg&s = 08 & https://archive.ph/Lu3g0 का हवाला देते हुए आरोप लगाया कि आदित्य ठाकरे, युवा सेना के अध्यक्ष और मुंबई जिला फुटबॉल एसोसिएशन के अध्यक्ष ने इस्तेमाल किया विरोध / राजनीतिक अभियानों में नाबालिग बच्चे और तथाकथित "आरे बचाओ विरोध" अभियान में लाया उक्त ट्विटर लिंक के माध्यम से बच्चों को तख्ती लिए हुए विरोध के हिस्से के रूप में देखा जा रहा है। स्व-व्याख्यात्मक शिकायत संलग्न है।



3. आयोग ने सीपीसीआर अधिनियम, 2005 की धारा 13(1(जे) के तहत मामले का संज्ञान लेते हुए विचार किया है कि इस तरह का कृत्य किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) की धारा 75 के उल्लंघन में प्रथम दृष्टया है। अधिनियम, 2015, बाल और किशोर श्रम (निषेध और विनियमन) अधिनियम, 1986, भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 (जीवन का अधिकार) और अनुच्छेद 23 (जबरन श्रम से सुरक्षा का अधिकार) और भारतीय दंड संहिता, 1860 की प्रासंगिक धाराएं की जिक्र किया है।



4. उपरोक्त को ध्यान में रखते हुए, आयोग आपसे अनुरोध करता है कि (आरोपी व्यक्तियों) के खिलाफ एक ही बार में प्राथमिकी दर्ज करके मामले की तत्काल जांच की जाए। बच्चों को उनके बयान दर्ज करने के लिए किशोर न्याय अधिनियम, 2015 के अनुसार बाल कल्याण समिति के समक्ष पेश किया जाना चाहिए।



5. इस पत्र की प्राप्ति के 03 दिनों के भीतर एफआईआर की प्रति और बच्चों के बयान के साथ एक कार्रवाई रिपोर्ट आयोग के साथ साझा की जा सकती है। इसे अध्यक्ष, एनसीपीसीआर के अनुमोदन से जारी किया जाता है।

Updated : 11 July 2022 7:46 PM IST
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