मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सज्जाद नोमानी ने तालिबान को दी बधाई...
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मुंबई : ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य मौलाना सज्जाद नोमानी ने तालिबान का समर्थन करने के लिए उनकी प्रशंसा की। "उन्होंने कहा तालिबान ने दुनिया की सबसे शक्तिशाली सेना को हरा दिया है।"
आजतक से बात करते हुए मौलाना सज्जाद नोमानी ने तालिबान को अफगानिस्तान पर कब्जा करने के लिए बधाई दी है। 'हिंदी मुसलमान उन्हें सलाम करते हैं।' उन्होंने आज तक से बातचीत में यही कहा है। "मैं तालिबान को सलाम करता हूं"। तालिबान ने पूरी दुनिया की सबसे ताकतवर सेनाओं को पराजित कर दिया है। इन युवकों ने काबुल की भूमि को चूमा है और अल्लाह का शुक्रिया अदा किया है। " "एक बार फिर यह तारीख आ गई है। एक निहत्थे समुदाय ने दुनिया के सबसे मजबूत सेना को हरा दिया है। वे काबुल के राज भवन में दाखिल हो चुके है और उनकी भविष्यवाणी को पूरी दुनिया देख रही है। उनमें कोई गर्व या अहंकार नहीं था। कोई बड़ा शब्द नहीं था।"
इस बीच ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने नोमानी के बयान पर सफाई देते हुए ट्वीट किया और लिखा मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्यों के व्यक्तिगत बयानों को बोर्ड से नहीं जोड़ा जाना चाहिए। ऐसा उन्होंने अपने स्पष्टीकरण में कहा है।
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने तालिबान और अफ़ग़ानिस्तान की राजनीतिक स्थिति पर कोई टिप्पणी नहीं की है। कुछ मीडिया चैनल बोर्ड के कुछ सदस्यों की निजी राय को बोर्ड का स्टैंड मानकर ग़लत बात पर बोर्ड को ज़िम्मेदार ठहरा रहे हैं। यह बात पत्रकारिता मूल्यों के विपरीत है। (1/2)
— All India Muslim Personal Law Board (@AIMPLB_Official) August 18, 2021
इससे पहले मंगलवार को उत्तर प्रदेश के संभल निर्वाचन क्षेत्र से समाजवादी पार्टी के सांसद शफीकुर रहमान बर्क ने काबुल पर तालिबान के प्रभुत्व की तुलना भारत के स्वतंत्रता आंदोलन से की और बर्क ने संवाददाताओं से बातचीत करते हुए कहा: "जब हमारा देश ब्रिटिश शासन के अधीन था, तो पूरा भारत आजादी के लिए लड़ रहा था, यहां तक कि अमेरिका ने भी उस पर कब्जा कर लिया था, इसलिए वे हमारे देश को स्वतंत्र बनाने की कोशिश कर रहे थे। हालांकि, तालिबान एक ताकत बनकर सामने आया है और उन्होंने अमेरिका को वहां पर पैर जमाने नहीं दिया।"
इसी बयान के बाद बर्क पर राजद्रोह का आरोप लगाया गया है। बता दे कि 15 अगस्त रविवार के दिन तालिबान ने अफगानिस्तान की राजधानी काबुल पर कब्जा कर लिया है। इसके बाद तत्कालीन राष्ट्रपति अशरफ गनी देश छोड़कर भाग चुके हैं।