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कांग्रेस में बड़ा फेरबदल, महासचिव बदले, राहुल गांधी का कद बढ़ा

कांग्रेस में बड़ा फेरबदल, महासचिव बदले, राहुल गांधी का कद बढ़ा
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नई दिल्ली। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने बड़े पैमाने पर संगठन के भीतर बदलाव कर डाला। इनमें जहां कांग्रेस वर्किंग कमिटी से लेकर राज्यों के प्रभारी महासचिव और प्रभारी सचिव तक बदले गए, वहीं कांग्रेस के भीतर संगठन चुनाव की प्रक्रिया भी शुरू कर दी गई।
सोनिया गांधी ने नए अध्यक्ष के चुनाव के मद्देनजर सीनियर लीडर मधूसूदन मिस्त्री की अध्यक्षता में पार्टी के भीतर सेंट्रल इलेक्शन अथॉरिटी का ऐलान भी कर दिया। चिठ्ठी में अध्यक्ष के कामकाज में मदद करने के लिए जिस सिस्टम की मांग की गई, उस स्पेशल कमिटी का भी गठन किया गया, जिसमें अहमद पटेल, एके एंटनी, अंबिका सोनी, मुकुल वासनिक, के सी वेणुगोपाल, रणदीप सुरजेवाला को रखा गया। इस बदलाव ने राहुल गांधी के कमान लेने की संभावना को पुख्ता किया है।
9 महासचिव और 17 प्रभारी बनाए गए
महासचिवों में मुकुल वासनिक, हरीश रावत, ओमन चांडी, प्रियंका गांधी, तारिक अनवर, रणदीप सुरजेवाला, जीतेंद्र सिंह, अजय माकन और केसी वेणुगोपाल हैं। हरीश रावत से असम की जिम्मेदारी लेकर पंजाब दे दिया गया जबकि वासनिक से तमिलनाडु और पुद्दुचेरी जैसे प्रभार लेकर उन्हें मध्य प्रदेश दिया गया। अभी तक वह अतिरिक्त प्रभार देख रहे थे। इनमें चौंकाने वाले नाम तारिक अनवर और सुरजेवाला रहे, जिन्हें क्रमश: केरल - लक्षद्वीप एवं कर्नाटक जैसे अहम राज्य दिए गए।
राज्यों के प्रभारी ये नेता
दूसरी ओर प्रभारियों में रजनी पाटिल, पीएम पुनिया, आरपीएम सिंह, शक्ति सिह गोहिल, राजीव सातव, राजीव शुक्ला, जितिन प्रसाद, दिनेश गुंडूराव, माणिकम टैगोर, चेल्ला कुमार, एच के पाटिल, देवेंद्र यादव, विवेक बंसल, मनीष चतरथ, भक्त चरणदास और कुलजीत नागरा शामिल हैं। इनमें रजनी पाटिल, पुनिया, सातव, गोहिल जैसे नेता पहले से प्रभारी रहे हैं। पाटिल से हिमाचल का प्रभार लेकर उन्हें जम्मू कश्मीर दे दिया गया। गौरतलब है कि प्रभारियों की लिस्ट में तमाम नाम ऐसे हैं, जो राहुल के पिछले कार्यकाल में प्रदेशों के प्रभारी सचिव का कामकाज देख चुके हैं।
गुलाम नबी की छुट्टी
गुलाम नबी आजाद, मल्लिकार्जुन खड़गे, अंबिका सोनी, मोतीलाल वोरा, लुजिन्हो फलेरो से संगठन महासचिव की जिम्मेदारी ले ली गई, वहीं दूसरी ओर आशा कुमारी, अनुग्रह नारायण सिंह, आशा कुमारी, गौरव गोगोई और रामचंद खूंटिया से भी प्रदेश प्रभार वापस ले लिया गया। दूसरी ओर इस बदलाव में तमाम ऐसे नाम सामने आए, जो लंबे समय से संगठन और पार्टी के भीतर हाशिए पर चुपचाप चल रहे थे। वोरा जैसे सीनियर और परिवार के भरोसेमंद व्यक्ति से संगठन के प्रशासन की जिम्मेदारी लेकर यह जिम्मेरारी पूर्व केंद्रीय मंत्री पवन कुमार बंसल को दी गई।

Updated : 12 Sep 2020 9:12 AM GMT
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