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राष्ट्रपति चुनाव में लिखी गई लोकसभा चुनाव की पटकथा, सपा का सहयोगियों ने नहीं दिया साथ

सपा की अपरिपक्वता आई सामने, राष्ट्रपति चुनाव में विपक्ष को भी एकजुट नहीं कर पाई सपा, खेमे के विधायकों ने भी दिया एनडीए प्रत्याशी को वोट। विधानसभा चुनाव के बाद ही महान दल ने तोड़ लिया था सपा से नाता, सुभासपा भी कभी भी तोड़ सकती है गठबंधन। पिछले चुनावों में बसपा और कांग्रेस को आजमा चुकी है सपा, लोकसभा चुनाव के लिए मात्र रालोद बचा सहारा

राष्ट्रपति चुनाव में लिखी गई लोकसभा चुनाव की पटकथा, सपा का सहयोगियों ने नहीं दिया साथ
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लखनऊ: राष्ट्रपति चुनाव ने उत्तर प्रदेश की राजनीति में लोकसभा चुनाव की पटकथा लिख दी है। राष्ट्रपति चुनाव में सपा मुखिया की अपरिपक्वता के कारण गठबंधन की सहयोगी दल सुभासपा उससे अलग हो गई और विधायक शिवपाल सिंह यादव ने भी सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव के खिलाफ विपक्ष के संयुक्त उम्मीदवार के बयान का मुद्दा उठाकर पार्टी को बैकफुट पर ला दिया। सपा के रवैये से पिछले कुछ दिनों से सहयोगी दल सुभासपा और शिवपाल यादव नाराज चल रहे थे, क्योंकि राष्ट्रपति उम्मीदवार यशवंत सिन्हा से होने वाली मुलाकात में नहीं बुलाया गया था। इसको लेकर ओमप्रकाश राजभर और शिवपाल यादव दोनों ने सपा पर मनमानी करने का आरोप लगाया था।


राष्ट्रपति चुनाव में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की रणनीति ने विपक्ष को पटखनी दे दी है। सीएम योगी ने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू के आगमन पर विपक्षी नेताओं को डिनर पर आमंत्रित कर बड़ी पहल कर दी थी। जबकि इससे पहले सपा मुखिया अखिलेश यादव ने विपक्ष के संयुक्त उम्मीदवार यशवंत सिन्हा की हुई प्रेस वार्ता में अपने ही गठबंधन के साथी सुभासपा को नहीं बुलाया था। राष्ट्रपति चुनाव में सपा अपने ही गठबंधन के साथी को एकजुट करने में भी नाकाम साबित हुई। इसके लिए सुभासपा नेता ओम प्रकाश राजभर ने सपा को ही जिम्मेदार ठहराया है। इसी तरह बैठक में नहीं बुलाने के कारण विधायक शिवपाल सिंह यादव ने भी सपा मुखिया को ही जिम्मेदार ठहराया। इतना ही नहीं, उन्होंने सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव को आईएसआई एजेंट बताने वाले विपक्ष के संयुक्त उम्मीदवार के समर्थन पर भी पुनर्विचार की मांग की और इसी आधार पर एनडीए प्रत्याशी को वोट दिया।


सुभासपा कभी भी तोड़ सकती है अब सपा से गठबंधन

सपा मुखिया ने जब से पार्टी की बागडोर संभाली है। उन्होंने एक-एक कर लगभग सभी दलों से गठबंधन कर लिया है। सबसे पहले उन्होंने 2017 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस से गठबंधन किया। इसके बाद उन्होंने 2019 के लोकसभा चुनाव में बसपा से गठबंधन किया। इसके बाद 2022 के विधानसभा चुनाव में सपा ने महान दल, सुभासपा और रालोद के साथ चुनाव लड़े, लेकिन चुनाव बाद ही सबसे पहले महान दल ने नाता तोड़ा और अब इसके बाद सुभासपा भी गठबंधन से बाहर जाने का संकेत दे रही है।

2017 से हर चुनाव में हार से हताश है सपा

समाजवादी पार्टी की कमान अखिलेश यादव ने अपनी सरकार के आखिरी दौर में पिता मुलायम सिंह यादव और चाचा शिवपाल सिंह यादव को हटाकर ली थी। इसके बाद से ही वह हर चुनाव में नए-नए प्रयोग कर रहे हैं, लेकिन सफल नहीं हो पा रहे हैं। अपनी हार के लिए भी वह जिम्मेदार सत्ता पक्ष को बताते हैं।

Updated : 18 July 2022 7:05 PM IST
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