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पेड़ पर फंसे कौए को बचाने दौड़े खाकी वर्दी वाले, कौवे का रेस्क्यू ऑपरेशन

गीता में श्लोक है कि काक चेष्टा, बको ध्यानं, श्वान निद्रा तथैव च । अल्पहारी, गृहत्यागी, विद्यार्थी पंच लक्षणं॥ एक विद्यार्थी मे यह पांच लक्षण होने चाहिए..कौवे की तरह जानने की चेष्टा, बगुले की तरह ध्यान, कुत्ते की तरह सोना / निंद्रा, अल्पाहारी, आवश्यकतानुसार खाने वाला, और गृह-त्याग होना चाहिए जो पुलिस वालों के पास ही है। स्टोरी को कोई यथार्थ ना ले...

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सोलापुर: खाकी वर्दी को लेकर कई तरह की चर्चाएं पढ़ी-सुनी जाती हैं। ऐसा ही सुकून देने वाला वाकया सोलापुर में सामने आया है। जहां पर लोगों ने एक कौवे को पेड़ ऊंचाई वाली डाल पर मांजे से फंसे होने के बाद पुलिस को सूचित किया। पुलिस मुख्यालय के परिसर का मामला है। सूचना मिलने पर पुलिस वैन को भेजा गया साथ ही वाइल्ड नेचर केयर के संतोष धाकपाड़े को बुलाया गया। पुलिस ने पूरे मामले के देखा पुलिस वैन पर चढ कर लंबे बांस के सहारे कौवे के पैर में फंसे मांजे के तोडकर कौवे को नीचे उतारा गया।


सोलापुर ग्रामीण पुलिस बल में राजमार्ग पर एक पुलिस कांस्टेबल प्रदीप कदम मुख्यालय से बाहर निकलने वाले ही थे कि उन्हें एक फोन आया। जब उन्होंने फोन पर बात की तो कांबले नाम की एक महिला सहयोगी का फोन था, मुख्यालय प्रांगण में गुलमोहर के पेड़ पर पिंजरे में फंसा एक कौआ। बचने के लिए संघर्ष करते हुए वह लड़खड़ा गया। उसे सुरक्षित बाहर निकालने के लिए उन्होंने तुरंत वाइल्ड नेचर केयर के संतोष धाकपाड़े से कौवे को छुड़ाने के लिए चर्चा कर रेस्क्यू ऑपरेशन के लिए पुलिस वैन को भेज दिया।




इसके तुरंत बाद, वहां आयी पुलिस वैन ने निरीक्षण किया। कौवा कहां फंसा था वहा तक पेड पर चढ पाना बहुत मुश्किल वाला काम था। पुलिस कांस्टेबल प्रदीप कदम ने वाइल्ड नेचर केयर के संतोष धाकपाडे के आने के बाद पुलिस वैन को ठीक पेड़ के नीचे खड़ी करने को कहा और फिर पुलिस वैन पर खड़े होकर उन्होंने एक लंबे बांस की सहायता से शाखा को अपने पास खींच लिया। जैसे ही टहनी उसके हाथ में आयी, उसने धीरे उसे काटकर कौवे को छुड़ाया। कौवे ने मांजे से मुक्त होने के लिए सतत प्रयास जारी रखा था जिसमें उसकी जान भी जा सकती थी अगर रेस्क्यू की पहल नहीं की जाती। संघर्ष कौवे को मुक्त कराने के लिए पुलिस ने लिया अपने संघर्ष में कौवा विफल रहा।


अगर सबसे चालाक कहा जाने वाला सचेत होने वाला प्राणी फंस सकता है तो कोई भी इंसान किसी के जाल में फंस जाए तो उसमें अतिशयोक्ति क्या? काफी मशक्कत के बाद कौए को रेस्क्यू कर मुक्त कराया गया। सुरक्षित बाहर निकाला गया। इसके बाद कौए को उसके प्राकृतिक आवास में वापस छोड़ दिया गया। पौराणिक कथाओं के मुताबिक कौवा एक आंख से देखता है लेकिन 90 डिग्री में देखता है हर चीज की भनक उनके कानों तक आ जाती है। इसलिए कहते है कि कौवा से भी ज्यादा पारखी नजर पुलिस की होती है।

Updated : 8 July 2022 1:40 PM IST
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