सुप्रीम कोर्ट ने मोदी सरकार को फटकार लगाते हुए कहा है, ''जब कोरोना की तीसरी लहर खत्म हो जाएगी तो क्या कोरोना पीड़ितों के वारिसों की मदद के लिए केंद्र सरकार की ओर से कोई गाइडलाइन आएगी?'' अदालतने यह भी सवाल किया कि कोरोना के कारण मरने वालें नागरिकों के परिजनों को सहायता प्रदान करने के लिए कोई दिशा-निर्देश क्यों नहीं बनाए गए हैं. इससे पहले की सुनवाई में अदालत ने केंद्र को दिशानिर्देश तैयार करने के लिए चार सप्ताह का समय दिया था. दो हफ्ते बाद कोर्टने सरकार से कहा कि वह कोरोना से मरने वालों के मृत्यु प्रमाण पत्र पर दिशा-निर्देशों के लिए एक हलफनामा दाखिल करे. लेकिन कोर्टने एक बार फिर केंद्र के अनुरोध पर नाखुशी जाहिर की है. कोर्टने यह भी पूछा कि 30 जून के आदेश के बावजूद नियम क्यों नहीं बनाए गए. सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि यह मामला अभी भी सरकार के विचाराधीन है.
कोर्टने केंद्र को 11 सितंबर तक का समय कोरोना से मरने वाले लोगों के मृत्यु प्रमाण पत्र पर नियम बनाने के लिए दिया है. केंद्र सरकारने कोरोना को अधिसूचित आपदा घोषित किया है. अत: 6 वर्ष पूर्व के केन्द्र के आदेश के अनुसार अधिसूचित आपदा में मृत्यु होने पर मृतक के उत्तराधिकारियों को 4 लाख रुपये का प्रावधान हैं. लेकिन केंद्रने कोरोना की मदद के लिए ऐसा कोई फैसला नहीं किया है. इसलिए, इस के पहले की सुनवाई में, अदालतने यह स्पष्ट कर दिया था कि केंद्र को मृतक के उत्तराधिकारियों को सहायता प्रदान करनी होगी. हालांकि, अदालतने स्पष्ट किया है कि, सहायता की राशि राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरणद्वारा तय की जानी चाहिए न कि अदालत को.