Apple कंपनी के मालिक स्टीव जॉब्स की पत्नी बनी संत!
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महाकुंभ 2025, जो इस वर्ष भारतीय आध्यात्मिकता और सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक बन चुका है, में एक चौंकाने वाली और प्रेरणादायक घटना देखने को मिली। दुनिया के महानतम उद्यमियों में से एक स्टीव जॉब्स की पत्नी लॉरेन पॉवेल जॉब्स ने इस आयोजन के दौरान संन्यास ग्रहण कर लिया।
अध्यात्म की ओर झुकाव:
लॉरेन पॉवेल जॉब्स, जो अपने समाजसेवा कार्यों और परोपकारी गतिविधियों के लिए जानी जाती हैं, ने लंबे समय से भारतीय आध्यात्मिकता में रुचि दिखाई थी।
महाकुंभ मेले में उन्होंने विभिन्न संतों और महात्माओं के साथ समय बिताया।
यह माना जा रहा है कि लॉरेन पिछले कुछ वर्षों से योग और ध्यान का अभ्यास कर रही थीं और उन्होंने जीवन में गहरी शांति और सादगी पाने के लिए यह कदम उठाया।
संन्यास ग्रहण की प्रक्रिया:
लॉरेन ने एक प्रसिद्ध संत के सान्निध्य में संन्यास की दीक्षा ली।
दीक्षा समारोह में उन्होंने भगवा वस्त्र धारण किए और अपने भौतिक जीवन से पूरी तरह मुक्त होने का संकल्प लिया।
इसके साथ ही उन्होंने अपने पिछले जीवन की पहचान, संपत्ति और भौतिक सुख-सुविधाओं को त्यागकर सनातन धर्म के मार्ग पर चलने का निर्णय लिया।
महाकुंभ का प्रभाव:
महाकुंभ मेला, जो हर 12 वर्षों में आयोजित होता है, दुनिया भर से करोड़ों श्रद्धालुओं और योगियों को आकर्षित करता है।
लॉरेन पॉवेल जॉब्स ने यहां आने के बाद भारतीय अध्यात्म की गहराई और संस्कृति को महसूस किया।
यह आयोजन उनके जीवन में बदलाव लाने का एक महत्वपूर्ण कारण बना।
लोगों की प्रतिक्रिया:
प्रेरणा का स्रोत:
भारतीय और विदेशी दोनों समुदायों में लॉरेन के इस कदम को सराहा जा रहा है।
सोशल मीडिया पर लोग उनके इस फैसले को एक साहसिक और प्रेरणादायक कदम बता रहे हैं।
यह घटना दिखाती है कि भारतीय अध्यात्म की शक्ति कितनी गहरी है।
चर्चा का विषय:
महाकुंभ मेले में यह घटना चर्चा का प्रमुख विषय बन गई है।
लॉरेन का यह निर्णय यह दर्शाता है कि भौतिक सफलता के बाद भी आत्मिक शांति की खोज कितनी महत्वपूर्ण है।
संदेश:
लॉरेन पॉवेल जॉब्स का संन्यास ग्रहण करना यह साबित करता है कि धर्म, अध्यात्म और सादगी जीवन को एक नई दिशा दे सकते हैं।
यह घटना न केवल भारतीय संस्कृति की महानता को दर्शाती है, बल्कि यह भी बताती है कि सच्ची शांति और संतोष पाने के लिए भौतिक सुख-सुविधाओं का त्याग किया जा सकता है।
निष्कर्ष:
स्टीव जॉब्स की पत्नी लॉरेन पॉवेल जॉब्स का महाकुंभ 2025 के दौरान संन्यास ग्रहण करना इतिहास में एक अनोखी घटना के रूप में दर्ज हो गया है। यह घटना भारतीय अध्यात्म की शक्ति और उसके प्रभाव को वैश्विक स्तर पर पुनः स्थापित करती है।