बीएमसी आयुक्त से हरी झंडी मिलते ही मराठी में बोर्ड नहीं लगाने वाले दुकानदारों पर होगी कार्रवाई
यदि बोर्ड मराठी में नहीं हैं, तो प्रति कर्मचारी दो हजार रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा या जुर्माना नहीं देने वालों को अदालत में घसीटा जाएगा। इसके लिए महाराष्ट्र सरकार ने कैबिनेट में फैसला लिया जा चुका है इसको लागू बीएमसी को करना है। तीन बार समय सीमा को बीएमसी बढ़ा चुकी है, सरकार और बीएमसी की गाइडलाइन यही है कि दुकान दफ्तर के बाहर लगने वाला साइन बोर्ड पर आप किसी भी भाषा का इस्तेमाल करें लेकिन मराठी साइन बोर्ड पर मराठी भाषा होनी चाहिए वो भी दूसरी साथ में लिखी जाने वाली भाषा से उसका शब्द चोटे न हो
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स्पेशल डेस्क, मैक्स महाराष्ट्र, मुंबई: संभावना है कि अगले दो-तीन दिनों में जैसे ही मुंबई महानगरपालिका आयुक्त इकबाल सिंह चहल दुकान, होटल जैसी जगहों पर मराठी भाषा में बड़े अक्षरों में नाम बोर्ड नहीं लिखने वालों के खिलाफ आदेश देंगे, कार्रवाई शुरू कर दी जाएगी। दुकान आफिस हर वो बोर्ड जो व्यापार के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है। वो मराठी में लिखने की 30 सितंबर की समय सीमा शुक्रवार को समाप्त हो गई है।
हाल ही में मुंबई महानगर पालिका (बीएमसी) ने कई जगहों पर निरीक्षण किया और पाया कि समय सीमा बढ़ाने के बाद भी 50 प्रतिशत दुकानों और प्रतिष्ठानों ने अभी तक मराठी में अपना नाम बोर्ड नहीं लगाया है। महानगरपालिका अनुज्ञापन विभाग ने आयुक्त इकबाल सिंह चहल से दुकानदारों व प्रतिष्ठानों के खिलाफ कार्रवाई की अनुमति मांगी है। क्योंकि 31 सितंबर आखिरी मुद्दत की सीमा समाप्त हो गई है। महानगरनगर पालिका के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक लाइसेंस विभाग कार्रवाई के लिए तैयार है।
बीएमसी आयुक्त से स्वीकृति मिलते ही वार्ड स्तर पर हमारी टीम दुकानों का निरीक्षण कर कार्रवाई शुरू करेगी। साथ ही जिसने मराठी में साइन बोर्ड नहीं लगाया है, उसके खिलाफ दुकान में काम करने वाले कर्मचारियों की संख्या के हिसाब से प्रति कर्मचारी दो हजार रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा। व्यापारियों ने इसके लिए अदालत का भी दरवाजा खटखटाया लेकिन उन्हें कोई राहत नहीं मिली। सुप्रीम कोर्ट से कोई रोक नहीं है, इसलिए अगले दो-तीन दिनों में कार्यवाही फिर से शुरू की जानी चाहिए। यहाँ उल्लेखनीय है कि महाराष्ट्र विधानसभा ने मार्च के महीने में एक विधेयक पारित किया था, जिसमें बोर्ड पर नाम मराठी भाषा लिखना अनिवार्य कर दिया गया था। सभी दुकानें और प्रतिष्ठान देवनागरी लिपि में बड़े अक्षरों में हो इसके लिए समय सीमा 31 मई थी। हालांकि, विभिन्न व्यापारिक संगठनों ने समय सीमा बढ़ाने की मांग की। इसलिए समय सीमा 30 जून तक बढ़ा दी गई। हालांकि, उसके बाद एक बार फिर समय सीमा 30 सितंबर तक बढ़ा दी गई थी। लेकिन अब समय सीमा को आगे नहीं बढ़ाया जाएगा ऐसा माना जा रहा है।