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सर्वोच्च न्यायालय के फैसले से खुश एकनाथ शिंदे ने कहा- असली शिवसेना की जीत हुई

सर्वोच्च न्यायालय के फैसले से खुश एकनाथ शिंदे ने कहा- असली शिवसेना की जीत हुई
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मुंबई: महाराष्ट्र में जारी राजनीतिक उठापटक के बीच एकनाथ शिंदे ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर ट्वीट किया है। कोर्ट ने 16 बागी विधायकों की अयोग्यता पर 11 जुलाई तक रोक लगा दी है। इससे एकनाथ शिंदे के खेमे में खुशी का माहौल है। फैसले के बाद शिवसेना के बागी विधायक ने ट्वीट कर इसे बालासाहेब ठाकरे के हिंदुत्व की जीत बताया। उन्होंने मराठी में ट्वीट किया, जिसका अर्थ है, 'यह हिंदुत्व सम्राट बालासाहेब ठाकरे के हिंदुत्व और धर्मवीर आनंद दिघे साहब के विचारों की जीत है...'। उन्होंने हैशटैग 'असली शिवसेना की जीत' भी लिखा है। इस जीत के बाद एकनाथ शिंदे गुट ठाणे भर में पटाखे फोड़ रहे है। मामले फिर से १२ जुलाई को सुवाई होनी है।

उनके ग्रुप को असली शिवसेना बताते हुए साफ कर देते हैं कि वे पार्टी पर मुकदमा कर रहे हैं. एकनाथ शिंदे गुट का कहना है कि शिवसेना के दो तिहाई से अधिक विधायक उनके समर्थन में हैं। ऐसे में पार्टी पर उनका अधिकार है। वह पहले भी कई बार पार्टी से अपने दावे के बारे में बोल चुके हैं। उन्होंने यह भी कहा कि डिप्टी स्पीकर की ओर से बागी विधायकों को अयोग्य घोषित करने का नोटिस गलत था क्योंकि बहुमत उनके पास था। एक तरफ एकनाथ शिंदे ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को असली शिवसेना की जीत करार दिया है, वहीं दूसरी तरफ संजय राउत या उद्धव ठाकरे समेत कोई भी नेता शिवसेना खेमे से किसी नेता का बयान नहीं आया है।


भाजपा कोर कमेटी की बैठक शुरू

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद से बीजेपी भी सक्रिय है। पूर्व सीएम देवेंद्र फडणवीस के आवास पर बीजेपी की कोर कमेटी की बैठक चल रही है। इसमें हिस्सा लेने के लिए प्रदेश अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल भी पहुंच गए हैं। इस बीच सड़क पर शिवसैनिकों का गुस्सा देखने को मिल रहा है। निर्दलीय विधायक विनोद अग्रवाल के कार्यालय पर सोमवार को हमला किया गया। सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार से सभी विधायकों की सुरक्षा की जिम्मेदारी लेने को कहा है। बता दें कि विनोद अग्रवाल भाजपा के समर्थक हैं और बागी एकनाथ शिंदे भी समूह का समर्थन कर रहे हैं।


उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट ने डिप्टी स्पीकर के नोटिस पर सवाल उठाया है। सुप्रीम कोर्ट ने डिप्टी स्पीकर को मामले में हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है। शीर्ष अदालत ने डिप्टी स्पीकर की ओर से पेश अधिवक्ता राजीव धवन से पूछा कि अगर विधायकों से अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस मिला है तो उन्हें बर्खास्त क्यों किया गया। शीर्ष अदालत ने इस पर कठोर टिप्पणी की कि कैसे उन्होंने खुद अपने खिलाफ मामले की सुनवाई की और खुद न्यायाधीश बन गए।

Updated : 27 Jun 2022 2:43 PM GMT
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