तबलीग़ी जमात के लोगों पर केस चलाना घोर अन्याय होगा – मुंबई हाईकोर्ट
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Mumbai : म्यांमार के रहने वाले जमात से जुड़े लोगों ने दिल्ली में 2 से 6 मार्च के बीच दिल्ली में तबलीग़ी जमात में हिस्सा लिया था. उसके बाद वे वहां से नागपुर गए थे. और उन्हें नागपुर में हिरासत में ले लिया गया था. जिसको लेकर इस मामले की सुनवाई करते हुए मुंबई हाईकोर्ट के जस्टिस वीएम देशपांडे और अमित बी बोरकर की नागपुर बेंच ने कहा है “इन लोगों को इनके ऊपर लगाई गयी धाराओं में सज़ा देना न्याय की प्रक्रिया के दुष्प्रयोग के समान होगा.”बेंच ने कहा है कि इन लोगों पर जो आरोप लगाए गए हैं, उसके अधीन इन पर केस चलाना घोर अन्याय होगा.
म्यांमार से आए तबलीग़ी जमात के लोगों पर आरोप लगाए गए कि वे अपने धर्म का प्रचार करके अपने वीज़ा के नियमों का उल्लंघन कर रहे थे. उन पर IPC की धारा 188, 269 और 270, फ़ॉरेनर्स एक्ट की धारा 14, एपिडेमिक डिज़ीज एक्ट की धारा 3, और डिज़ास्टर मैनेजमेंट एक्ट की धारा 51 के तहत केस दर्ज किया गया था. वीज़ा नियमों के उल्लंघन की बात पर कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि मरकज़ में हिस्सा लेने वाले केवल भारतीय इस्लामिक परम्परा और अपनी भाषा की लिपि के बारे में जानकारी ले रहे थे. गवाहों के बयान के अलावा कोई भी सबूत पेश नहीं किया गया है, जिससे साबित होता है कि ये वीज़ा के नियमों का उल्लंघन है. ज्ञात हो कि मरकज़ से जुड़े लोगों पर जानबूझकर कोरोना सम्बंधी आरोप भी लगाए गए थे. इस पर कोर्ट ने कहा है कि ऐसा कोई साक्ष्य नहीं मौजूद है, जिसकी बिना पर ये कहा जा सकता हो कि मरकज़ से जुड़े लोगों ने जानबूझकर कोरोना फैलाया है.
कोर्ट ने कहा कि कोर्ट के सामने जो दस्तावेज़ पेश किए हैं, उससे ये भी तय नहीं होता है कि मरकज़ में शामिल होने वाले लोगों ने डिज़ास्टर मैनेजमेंट एक्ट का उल्लंघन किया है. इसके साथ ही कोर्ट ने उनके खिलाफ़ दायर की गयी FIR को रद्द कर दिया.