अन्ना हजारेने की संपादक के खिलाफ शिकायत, झूठी खबर देने का आरोप, केस दर्ज
औरंगाबाद के अखबार 'लोकपत्र' में 'नहीं, तो शिक्षक स्कुल जाकर क्या उजाला करते है? : अन्ना हजारे' शीर्षक के तहत खबर प्रकाशित हुई थी. हालांकि अन्ना हजारेने दावा किया है कि उन्होंने ऐसा कोई बयान नहीं दिया.
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औरंगाबाद के अखबार 'लोकपत्र' में 'नहीं, तो शिक्षक स्कुल जाकर क्या उजाला करते है? : अन्ना हजारे' शीर्षक के तहत खबर प्रकाशित हुई थी. हालांकि अन्ना हजारेने दावा किया है कि उन्होंने ऐसा कोई बयान नहीं दिया. लोकपत्र अखबार के कार्यकारी संपादक रवींद्र विट्ठलराव तहकीक और प्रकाशक अंकुशराव नानासाहेब कदम के खिलाफ पारनेर में मामला दर्ज किया गया है.
इस संबंध में अहमदनगर जिला कला शिक्षक संघ के अध्यक्ष बाबासाहेब पाठकने शिकायत दर्ज कराई है. इसके बाद पुलिसने मामला दर्ज कर लिया है और आगे की कार्रवाई की जा रही है. इसी बीच अन्ना हजारेने इन सभी मुद्दों पर प्रेस रिलीज जारी की है.
क्या कहा गया है प्रेस रिलीज में ?
औरंगाबाद के अखबार 'लोकपत्र' में ''नहीं, तो शिक्षक स्कुल जाकर क्या उजाला करते है? : अन्ना हजारे' शीर्षक के तहत खबर पढ़ी. खबर पढ़ कर आश्चर्य हुआ. मैंने जो बयान दिया ही नहीं, वो फैलाया जा रहा है. इससे ऐसा लगता है कि ऐसी झूठी खबरें समाज में नफरत की भावना पैदा करने के लिए प्रकाशित की गई. आगे की पूछताछ से पता चला कि, यह खबर केवल औरंगाबाद के एकमात्र अखबार 'लोकपत्र' में प्रकाशित हुई है और इस अखबार के औरंगाबाद संस्करण के कार्यकारी संपादक 'रवींद्र तहकिक' इसके लिए जिम्मेदार है.
इससे पहले भी 'दैनिक लोकपत्र' में मेरे और जन आंदोलन के बारे में कई झूठी खबरें और लेख आ चुके हैं. हमारे वकील श्याम असावाने 13 नवंबर 2019 को लोकपत्र के रवींद्र तहकीक को इस तरह की झूठी खबर प्रकाशित करने के लिए कानूनी नोटिस जारी किया था. नोटिस मिलने के बाद उन्होंने सार्वजनिक रूप से माफी भी मांगी थी. इसलिए उसके बाद हमने इसे नजरअंदाज किया और कार्रवाई करने से परहेज किया. लेकिन अब एक बार फिर उन्होंने इस तरह की झूठी खबरें प्रकाशित कर शिक्षकों, अभिभावकों और छात्रों के बीच गलतफहमियां फैलाने की कोशिश की है.
समाज में शिक्षक की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है. देश के भविष्य के लिए एक नई पीढ़ी बनाने का काम यही शिक्षक करते हैं. इसलिए समाज में शिक्षकों के प्रति सम्मान की भावना है. मेरे मन में भी शिक्षकों के लिए हमेंशा सम्मान रहा है. लेकिन कल लोकपत्र में प्रकाशित खबर से मुझे दु:ख हुआ. सोशल मीडिया पर यह भी देखने को मिला कि पूरे शिक्षक वर्ग में असमंजस की स्थिति बनी हुई है. यह समाज के लिए अच्छा नहीं है. मैं हमेशा कहता हूं कि, बढ़ती नफरत समाज और देश के लिए खतरनाक है. कुछ अज्ञानी लोग लगातार समाज में विभाजन, घृणा और दरार पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं. इससे समाज का काफी नुकसान होता है.
वास्तव में पत्रकारिता को लोकतंत्र का चौथा स्तंभ माना जाता है. इसलिए पत्रकारों और मीडिया को बहुत जिम्मेदारी से व्यवहार करना चाहिए. लेकिन खबर यह भी बताती है कि इस क्षेत्र में कुछ अज्ञानी है. इसलिए ऐसी झूठी खबरें फैलाई जाती हैं. औरंगाबाद के अखबार लोकपत्रने पहले भी कई बार मेरे और मेरे शिक्षकों के बारे में झूठी खबरें प्रकाशित की हैं. लेकिन समाज में जागरुक रहकर ऐसी प्रवृत्तियों कोई स्थान नहीं देना चाहिए. समाज में माहौल सौहार्दंपूर्ण बना रहे यह सोचना चाहिए. शिक्षकीं पेशा एक पवित्र पेशा है. शिक्षकों को ऐसी खबरों पर विश्वास नहीं करना चाहिए. बिना गलतफैमी करते ज्ञान प्रदान करने का अपना पवित्र कार्य जारी रखना चाहिए.
हमारे वकीलने लोकपत्र के कार्यकारी संपादकों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू कर दी है और उन्हें जल्द ही नोटिस दिया जाएगा और उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी
अन्ना हजारे
रालेगण सिद्धि, ता. पारनेर, जिला.अहमदनगर