एक मराठा लाख मराठा: महाराष्ट्र में गरमाई सियासत, पुनर्विचार याचिका दायर
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मुंबई। मराठा आरक्षण को लेकर महाराष्ट्र सरकार ने SC में पुनर्विचार याचिका दाखिल की, सुप्रीम कोर्ट ने एक आदेश देते हुए साल 2018 में पारित मराठा आरक्षण के कानून पर रोक लगा दी है. इस रोक के बाद सरकारी नौकरियों में शिक्षा में मराठा को आरक्षण Reservation मिलता है. SC के इस फैसले के बाद महाराष्ट्र सरकार लगातार यह कोशिश कर रही है कि मराठों के हक में फैसला हो.
महाराष्ट्र सरकार की सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीट के समक्ष दायर याचिका पर क्या फैसला होता है यह तो वक्त के साथ ही पता चलेगा लेकिन इसे लेकर अब राजनीति तेज है. भाजपा के राज्यसभा सांसद उदयनराजे भोसले भी मराठा आरक्षण के पक्ष में खड़े हुए और यहां तक कह दिया कि अगर मराठा आरक्षण के मुद्दे पर राज्य सरकार के पक्ष में फैसला नहीं होगा और आरक्षण पर संकट होगा तो वह इस्तीफे के लिए तैयार हैं. भोसले ने सतारा में कहा, 'मैंने इस मुद्दे पर कोई राजनीति नहीं की है. अगर इस मुद्दे को लेकर जरूरत पड़ी तो मैं इस्तीफा भी दे दूंगा. भोसले ने यह भी कहा कि बात मराठा आरक्षण की नहीं है बात है न्याय की।
सुप्रीम कोर्ट ने 9 सितंबर के अपने एक अंतरिम आदेश में कहा है कि साल 2020-2021 में नौकरियों और शिक्षण संस्थानों में एडमीशन के दौरान मराठा आरक्षण का लाभ नहीं मिलेगा. तीन जजों की बेंच ने इस मामले को विचार के लिए एक बड़ी बेंच के पास भेजा है. कोर्ट ने कहा कि यह बेंच मराठा आरक्षण की वैधता पर विचार करेगी.
बता दें कि सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्ग (SEBC) अधिनियम, 2018 को नौकरियों और एडमीशनों के लिए महाराष्ट्र में मराठा समुदाय को आरक्षण देने के लिए लागू किया गया था. बॉम्बे हाई कोर्ट ने पिछले साल जून में कानून को बरकरार रखते हुए कहा कि 16 प्रतिशत आरक्षण उचित नहीं है. उसने कहा कि रोजगार में आरक्षण 12 प्रतिशत और एडमीशन में 13 प्रतिशत से अधिक नहीं होना चाहिए. बाद में कानून को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी.अब उस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई.