जो मेरे साथ हुआ वो किसी के साथ न हो,तीन मृत बच्चों के बाद आई थी खुशियां, काश...
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मुंबई। भनारकर दंपति के घर विवाह के चौदह साल और तीन मृत बच्चों के जन्म के बाद पिछले सप्ताह एक बच्ची के जन्म से खुशियां लौट आई थीं, पर भंडारा जिले के अस्पताल में लगी आग ने उनकी खुशियां मातम में बदल गई। अस्पताल में शनिवार को लगी आग में उनकी बेटी के अलावा नौ अन्य शिशुओं की मौत हो गई. हीरकन्या भनारकर विवाह के बाद के वर्षो में एक के बाद एक, तीन मृत बच्चों को जन्म दिया था. उसने 6 जनवरी को अंतत: एक जीवित बच्ची को जन्म दिया जिससे दंपति की खुशी का कोई ठिकाना न था. पर अस्पताल में लगी
आग ने उनकी इस बच्ची को भी उनसे छीन लिया. हीरकन्या के पति हीरालाल भनारकर ने भंडारा में अकोली सार्वजनिक स्वास्थ्य केंद्र के बाहर संवाददाताओं से कहा, ''ऐसा किसी के साथ नहीं हो... हंसते-खेलते बच्चों से ही जीवन में खुशी मिलती है.'' बच्ची को खोने के गम से पूरी तरह टूट चुकी हीरकन्या इस समय PHC में भर्ती हैं और किसी से भी बात करने में असमर्थ हैं.एक नर्स ने कहा, '' वह (हीरकन्या) गहरे सदमे में है.'' यह श्रमिक दम्पत्ति भंडारा की सकोली तहसील के उस्गांव गांव का रहने वाला है.
नर्स ने कहा, ''बच्ची का जन्म समय से पहले गर्भावस्था के सातवें महीने में ही हो गया था और उसका वजन कम था, जिसके कारण उसे जन्म के ही दिन भंडारा जिला अस्पताल की विशेष नवजात देखभाल इकाई में भर्ती किया गया था.'' इस गरीब दम्पत्ति के घर में शौचालय नहीं है, जिसके कारण बच्ची का जन्म समय से पहले हो गया था.नर्स ने कहा, ''जब मां शौच के लिए गई थी, तो वह गिर गई थी जिसके कारण बच्ची का समय से पहले जन्म हो गया।