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बदल रही है तमिलनाडु की राजनीति, रजनीकांत व कमल हासन पर नजर

बदल रही है तमिलनाडु की राजनीति, रजनीकांत व कमल हासन पर नजर
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फाइल photo

तमिलनाडु की राजनीति में द्रविड़ कट्टरता हावी रही है. यहां की राजनीति की तुलना उत्तर भारत की राजनीति से नहीं हो सकती है.अगर आप करुणानिधि और जयललिता की व्यक्तिगत कड़वाहट से भरी तमिलनाडु की राजनीति की तुलना करें, तो मुलायम सिंह, मायावती, ममता बनर्जी और अरविंद केजरीवाल अपेक्षाकृत बहुत सरल हैं, पर अब यह कड़वाहट कम हुई है. तमिलनाडु विधानसभा की 234 सीटों के लिए अगले साल मतदान होना है.

अबकी बार पलानीस्वामी और एमके स्टालिन आमने-सामने होंगे. उनके बड़े नेता जयललिता और करुणानिधि के बगैर यह चुनाव होगा. कई लोगों का मानना था कि ये द्रविड़ पार्टियां अपने आप समाप्त हो जायेंगी, पर जयललिता के निधन के बाद पन्नीरसेल्वम के मार्गदर्शन में पालानीस्वामी ने अपने प्रभावी नेतृत्व में चार साल तक स्थायी सरकार दी है.

एमके स्टालिन ने भी 2019 के लोकसभा चुनाव में अपनी पार्टी का नेतृत्व किया और डीएमके 39 में से 23 सीटें जीतने में सफल रही, पर स्टालिन को यह अनुमान नहीं था कि नरेंद्र मोदी उत्तर में बड़ी जीत हासिल करेंगे. स्टालिन ने राहुल गांधी को ज्यादा आंकते हुए उन्हें यूपीए का प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार भी घोषित कर दिया था। तमिलनाडु में कई खिलाड़ी हैं. जयललिता के दौर में कथित रूप से बड़ी मात्रा में नगदी जमा करनेवाले शशिकला और टीटीवी दिनाकरण राज्य के दक्षिणी हिस्से में थेवर जाति पर बड़ा प्रभाव रखते हैं तथा वे अपने चिरशत्रु डीएमके को हराना चाहते हैं. डॉ एस रामादोस और वाइको भी अपनी पार्टियों के माध्यम से डीएमके के वोट काट सकते हैं.

एडीएमके भाजपा की स्वाभाविक सहयोगी है. भाजपा दक्षिण में अपनी स्थिति मजबूत करने की कोशिश में है और उसका लक्ष्य 2024 के लोकसभा चुनाव में छह दक्षिणी राज्यों में अपनी स्थिति मजबूत करना है. तमिलनाडु में भाजपा का मुख्य लक्ष्य डीएमके की हार सुनिश्चित करना है,.भाजपा ने तमिलनाडु के कुछ हिस्सों में अपनी पकड़ मजबूत की है. अमित शाह ने पुराने नेताओं को किनारे कर दलित और पिछड़ा वर्ग के नये नेतृत्व को आगे लाने की रणनीति अपनायी है.

तमिलनाडु भाजपा अध्यक्ष एल मुरुगन प्रभावी हैं और वे दलित भी हैं. राज्य के चुनाव में मुख्य मुकाबला डीएमके और एडीएमके के बीच ही है. रजनीकांत और कमल हासन जैसे बड़े फिल्मी सितारे चुनावी मैदान में अगर कुछ अधिक हासिल नहीं भी कर सके, तो भी द्रविड़ पार्टियों के वोट में सेंध जरूर लगायेंगे। इसके अलावा खुशबु सुंदर और विजयाशांति का भाजपा में शामिल होना साथ ही हैदराबाद नगर निगम चुनाव में बीजेपी की शानदार जीत होने वाले तमिलनाडु विधानसभा चुनाव में बड़े बदलाव के संकेत दे रहे हैं।

Updated : 7 Dec 2020 6:28 PM IST
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