Home > ब्लॉग > बहुत कठिन है डगर पनघट की...

बहुत कठिन है डगर पनघट की...

महाराष्ट्र में महाविकास आघाड़ी सरकार के एक वर्ष पूरे

बहुत कठिन है डगर पनघट की...
X
फाइल photo

मुंबई। मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने 28 नवंबर को एक साल पूरा कर लिए हैं। अब ठाकरे महाराष्ट्र के सीएम हैं और खुद को राजनीति में घिरा महसूस कर रहे हैं। चूंकि सत्ता पर काबिज होते ही सीएम को सबसे पहले कोरोना का सामना करना पड़ा और इस मुसीबत से टक्कर अभी भी जारी है। महाराष्ट्र में तीन दल की सरकार है। शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस तीन पार्टियों से मिलकर बनी सरकार चलाना भी उनके लिए आसान नहीं हैं. दो दशकों में शिवसेना की राजनीति में बड़ा बदलाव आया है. साल 1995 में जब शिवसेना सत्ता में आई थी तब मुख्यमंत्री पद के लिए मनोहर जोशी और नारायण राणे सीएम बने. महाराष्ट्र में शिवसेना की यह रिमोट कंट्रोल सरकार थी, पर पार्टी के अंतर्विरोध के कारण शिवसेना को खुद शासक के रूप में जनता के सामने आना पड़ा. शिवसेना ने गठबंधन के दौर में खुद की राजनीति को बदला है और यही वजह है कि उद्धव ठाकरे ने तिपहिए की सरकार को बखूबी चला रहे हैं।



हालांकि भाजपा उनके रास्ते का रोड़ा बनकर सामने खड़ी है. उद्धव ठाकरे के एक साल के शासन में भाजपाई लगातार उन पर हमला बोल रहे हैं। विरोधियों का कहना है कि शिवसेना एक बंद कमरे में सरकार चला रही है. हालांकि महा विकास आघाड़ी सरकार के मंत्रियों ने भाजपा के इस विरोध को इस सिरे से खारिज करती आ रही है. मुख्यमंत्री ने पालघर में दो साधुओं की मौत पर सांप्रदायिकता फैलाने वालों पर बड़ी कार्रवाई की थी. वहीं कोरोना संकट में भाजपा ने शिवसेना को मंदिरों को खोलने के लिए भी दवाब डाला था, पर हालात के अनुसार सरकार के लिए ऐसा करना मुश्किल था. सत्ता के एक साल होने पर ठाकरे ने कहा कि शिवसेना का हिंदुत्व एक संस्कृति है, पर भाजपा में विकृति आ गई है. शिवसेना ने नागरिकता कानून को सही माना है, पर वह एनआरसी के खिलाफ है जो उसकी सांप्रदायिकता की छवि को कम करती है. क्योंकि पार्टी का भी मानना है कि एनआरसी हिंदू और मुस्लिम दोनों समुदायों को प्रभावित करेगा। भाजपा ने शिवसेना को सुशांत सिंह राजपूत की रहस्यमयी मौत पर भी घेरा था. बाद में सरकार को इस केस के लिए CBI जांच की मंजूरी देनी पड़ी. महाविकास आघाड़ी सरकार के सामने कई सवाल भी खड़े हैं. क्या अंतर्विरोध के बाद भी तिकड़ी सरकार के विचार आगे भी जमेंगे या नहीं? क्या शिवसेना का हिंदुत्व भाजपा से अलग होगा? कई सवाल हैं जो सत्ता के गलियारे में मंडरा रहे हैं।

वहीं दूसरी ओर पूर्व सीएम देवेंद्र फडणवीस लगातार सरकार पर हमले बोल रहे हैं। फडणवीस ने अमृता फडणवीस और शिवसेना नेता प्रियंका चतुर्वेदी के बीच हालिया ट्विटर लड़ाई का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा "हमने कभी व्यक्तिगत हमले नहीं किए। अगर हम व्यक्तिगत हमलों के बारे में बात कर रहे हैं, तो शिवसेना के नेताओं ने मेरी पत्नी पर हमला किया है, लेकिन मैंने इस पर कभी कोई बवाल नहीं किया है।"पत्रकार अर्नब गोस्वामी और बॉलीवुड अभिनेत्री कंगना रनौत के साथ सरकार के पतन के बारे में बात करते हुए फडणवीस ने कहा कि हम अर्नब गोस्वामी और कंगना रनौत के विचारों की जिम्मेदारी नहीं लेते हैं, पर हम सरकार के खिलाफ बोलने वालों को दबाने के रवैय्ये के खिलाफ हैं। अर्नब गोस्वामी के मामले में सुप्रीम कोर्ट और कंगना रनौत के मामले में हाईकोर्ट का फैसला हमने देखा है। जिस प्रकार से लोकतंत्र को समाप्त करके इनको टारगेट किया गया, इसका समर्थन नहीं किया जा सकता। हम इसकी भर्त्सना करते हैं।

-सुभाष गिरी

Updated : 28 Nov 2020 1:04 PM GMT
Tags:    
Next Story
Share it
Top