26 जनवरी 1950 को जब देश ने अपने संविधान को अंगीकार किया था, तो वह अवसर था गौरव का. आज भी जब हम गणतंत्र दिवस मनाते हैं। हम नमन करते हैं उन महानुभावों को जिनकी बदौलत हमें इतना बेहतरीन संविधान मिला, जिसके दम पर यह देश सुरक्षित और एकजुट है।
डॉ बाबासाहेब आंबेडकर :डॉ बाबासाहेब आंबेडकर संविधान का मसौदा तैयार करने वाली कमेटी के अध्यक्ष थे। संविधान निर्माण में इनकी सबसे अहम भूमिका है। इन्होंने ही स्त्री अधिकारों, विवाह,अनुसूचित जाति और जनजाति के लोगों के अधिकारों को लेकर भी संविधान सभा में काफी बहस की और उनके प्रयासों से दलितों और महिलाओं का उनका हक मिला।
पंडित जवाहर लाल नेहरू : पंडित जवाहर लाल नेहरू ने आधुनिक भारत की नींव रखी थी और उनके निर्णयों और प्रयासों से आज भारत इस मुकाम तक पहुंच पाया है. वे संविधान सभा में राज्यों की समिति, संघीय शक्ति समिति और संघीय संविधान समिति के अध्यक्ष थे।
सरदार पटेल : संविधान निर्माण में सरदार पटेल की भूमिका भी महत्वपूर्ण है। देसी रियासतों के एकीकरण का महत्वपूर्ण काम किया और पूरे देश को एकता के सूत्र में बांधा. अपने निर्णयों की वजह से उन्हें लौह पुरुष कहा जाता है।
सरोजिनी नायडू : संविधान सभा की महिला सदस्यों में सरोजिनी नायडू सर्वप्रमुख थीं. बंगाल विभाजन के दौरान ये कांग्रेस में शामिल हुईं और आजादी की लड़ाई में सक्रिय रहीं.इन्होंने संविधान सभा में महिला अधिकारों की भरपूर वकालत की जिसकी वजह से महिलाओं को अधिकार मिले.
आचार्य कृपलानी : आचार्य कृपलानी संविधान सभा में मूलभूत अधिकारों की उपसमिति के अध्यक्ष थे. ये मशहूर गांधीवादी, समाजवादी, पर्यावरणविद् और जमीन से जुडे़ स्वतंत्रता सेनानी थे. इन्होंने बिहार के मुजफ्फरपुर कॉलेज, बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में अध्यापन कार्य किया था.
डॉ राजेंद्र प्रसाद : डॉ राजेंद्र प्रसाद भारत के पहले राष्ट्रपति थे और संविधान सभा के अध्यक्ष थे. संविधान का निर्माण पूरी तरह इनकी देखरेख में ही हुआ था।