रामदेव-एलोपैथी विवाद: सुप्रीम कोर्ट का निर्देश, मामलें का ओरिजिनिल वीडियो करें पेश
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मुंबई : एलोपैथी विवाद पर नया मोड़ आ गया है। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को योग गुरु रामदेव को एलोपैथी पर दिए गए उनके बयान का वास्तविक रिकॉर्ड अदालत में दाखिल करने को कहा है।
अदालत में चीफ़ जस्टिस एनवी रमन्ना ने योग गुरु की तरफ़ से पेश होने वाले सीनियर एडवोकेट मुकुल रोहतगी से सवाल पूछा, "जो रामदेव कहा है, उसका ओरिजिनल रिकॉर्ड कहां है? आपने बयान की पूरी तस्वीर सामने नहीं रखी है।"
इस पर मुकुल रोहतगी ने सुप्रीम कोर्ट की बेंच को जानकारी दी कि वो रामदेव के बयान का ओरिजिनल वीडियो और उसका ट्रांसक्रिप्ट अदालत में पेश कर देंगे। केस की इस बेंच में चीफ़ जस्टिस के अलावा जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस हृषिकेश रॉय भी शामिल हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने मुकुल रोहतगी को समय की इजाजत देते हुए मामले की सुनवाई को अगली तारीख यानि कि पांच जुलाई तक के लिए स्थगित कर दिया है।
बीते महीने कोरोना महामारी के दौरान हुई मौतों पर एलोपैथी चिकित्सा पद्धति पर रामदेव ने सवाल खड़ा किया था। जिसके बाद उनकी कथित विवादास्पद टिप्पणी को लेकर इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने बिहार और छत्तीसगढ़ में कई जगहों पर उनके ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज की गई थी।
रामदेव ने इन्हीं सब मामलों की कार्यवाही रुकवाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी जिसपर आज ये सुनवाई हुई।
आईएमए के पटना और रायपुर ब्रांच ने शिकायत दर्ज करवाई थी कि रामदेव की टिप्पणी को लेकर कोरोना महामारी के रोकथाम की प्रक्रिया पर नकारात्मक असर पड़ सकता है।
जिसके बाद पिछले हफ्ते रामदेव ने अपनी याचिका में पटना और रायपुर में दर्ज प्राथमिकी को दिल्ली ट्रांसफर करने का आवेदन किया था।
वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से हुई सुनवाई के दौरान मुकुल रोहतगी ने कोर्ट को बताया कि रामदेव एक पब्लिक फिगर हैं, जानी-मानी हस्ती हैं और वो योग और आयुर्वेद का प्रचार करते हैं। एक इवेंट के दौरान उन्हें व्हॉट्सऐप पर आया एक मैसेज आया था, जिसे उन्होंने पढ़कर सुनाया था।
साथ ही मुकुल रोहतगी ने कोर्ट को बताया कि रामदेव ने इस बात को लेकर स्पष्टीकरण भी दिया है उनके मन में डॉक्टरों या किसी के लिए किसा प्रकार का बैर नहीं है। लेकिन बावजूद इन सभी के अलग-अलग जगहों पर उनके ख़िलाफ़ शिकायतें दर्ज कराई गईं।