एक नहीं सैकडो फर्जी भुक्त भोगी थे महेंद्र शेलार के कहर का
‘करोड़पति दरोगा’ का खेल खत्म ! काली कमाई से कालकोठरी तक ले जाने की एंटी करप्शन ब्यूरो की तैयारी शुरू ! हवलदार के गिरफ्तार होते ही फरार हुआ आर्थिक अपराध शाखा का पुलिस इंस्पेक्टर जल्द गिरप्तारी की संभावना, एसीबी खेलेगी काली कमाई का राज !
X
स्पेशल डेस्क मैक्स महाराष्ट्र /मुंबई- पैसे दो केस नहीं होगा कोई गिरफ्तारी नहीं होगी मामला कितना भी बडा हो साहब का हाथ है ना तुम्हारे ऊपर. इस तरह की बाते करके वो वो लोगों को अपनी तरफ आकर्षित करता और जिनसे पैसे मिल सकते उन्ही लोगों को पहले पास बुलाता बाते करता फिर झूठे मामले दर्ज करता और पैसे की डिमांड करता. पैसे नहीं देने पर गिरफ्तारी दबिश और फिर उसमें सेक्शन बढाने की धमकी देकर और पैसे की डिमांड करता. कहानी बहुत लंबी है भ्रष्ट पुलिस अधिकारी महेंद्र शेलार की कुछ संक्षिप्त में आपके समक्ष जानकारी.
मीरा भाईंदर- वसई विरार पुलिस आयुक्तालय आर्थिक अपराध शाखा, (ईओडब्ल्यू) के एक पुलिस हवलदार को रिश्वत की पहली किस्त 15 लाख लेते हुए रंगे हाथ गिरफ्तार किया गया है. लेकिन यह रिश्वत उसने नहीं मांगी थी बल्कि उसको लेने के लिए पुलिस इंस्पेक्टर महेंद्र शेलार साहब ने कहा था जो उसके गिरफ्तार होते ही फरार हो गए हैं. मीरा भाईंदर- वसई विरार कमिश्नरेट में सबसे ज्यादा पैसे वाला पुलिस इंस्पेक्टर महेंद्र शेलार किसी को कुछ समझता ही नहीं था. पैसे दो जो काम करवाना चाहे वो करवाओं अगर उनके लपेटे में आ गए तो साहब का जो मुंह खुल गया वो पूरा करो नहीं तो वो अधूरा (अधर) में कर कर देते थे. वो कैसे पैसे दो नहीं तो फर्जी केस में फंसा देते थे. कई लोगों ने इसकी शिकायत पुलिस के आलाधिकारियों तक की लेकिन कुछ नहीं हुआ. कुछ लोगों ने एसपीसीए और कुछ लोगों ने हाईकोर्ट में शेलार के खिलाफ याचिका दाय़र की है।
महेंद्र शेलार के दबंगई की बात करे तो पहले पुलिस आयुक्त सदानंद दाते जो एकदम कडक नियम से चलने वाले बताए जाते थे उनके पास भी दर्जनभर से ज्यादा शिकायतें शेलार खिलाफ आयी लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई. वर्तमान कमिश्नर साहब के पास भी लोगों ने शिकायत की लेकिन उन्होंने जांच के आदेश तो दिए लेकिन ढाक के तीन पात कुछ हुआ ही नहीं. महेंद्र शेलार के खिलाफ रामबाबू, प्रवेश पांडेय, सुनील घरत सहित दर्जनों लोगों पर फर्जी एफआईआर दर्ज उसने लाखों रुपए वसूले जिसकी एसपीसीए, एसीबी, हाई कोर्ट इन लोगों ने गुहार लगाई है न्याय पाने के लिए.
अपने खबरी अकबर के कहने पर उसने पेल्हार स्टेशन में प्रवेश पांडेय पर फर्जी एफआईआर दर्ज किया खबरी ने प्रवेश पांडेय की प्रापर्टी पर जबरन कब्जा किया था. लेकिन प्रवेश पांडेय ने उनके खबरी पर एफआईआर दर्ज करवा दी शेलार कुछ कर नहीं पाए. लेकिन अपने हर मामले में शेलार पुलिस स्टेशन की एक महिला पुलिस अधिकारी को जांच अधिकारी बनाता था. शेलार ने अकबर की लिखित शिकायत पर जांच का हवाला देते हुए अपनी महिला पुलिस अधिकारी के जरिए प्रवेश पांडेय को पुलिस स्टेशन बुलाया बयान देने के नाम पर और उनके साथ तीन लोगों को गिरफ्तार कर लिया. मामला दर्ज किया गया 379 और राइटिंग का. जिसके नाम पर महेंद्र शेलार ने मामला दर्ज खिया शिकायतकर्ता बनाकर उसने कोर्ट और पुलिस स्टेशन में एफिडेविट दिया कि मैं प्रवेश पांडेय को जानता तक नहीं. पेल्हार पुलिस स्टेशन में प्रॉपर्टी से रिलेटेड जितने भी मामले पेल्हार पुलिस स्टेशन में आते थे उसकी पूरी निगरानी शेलार की होती थी और केस की जांच अधिकारी मनीषा पाटील को बनाता था. राम बाबू, सुनील घरत पर एमपीआरडी के तहत मामला दर्ज कर महेंद्र शेलार ने रामबाबू से 23 लाख और सुनील घरत पर हप्ता मांगने (एक्शट्रार्शन) का झुठा मामला दर्ज कर 20 लाख रूपए लिए. इसके बाद भी इन लोगों को सताना नहीं छोडा. एक एक करके कुल 5 से ज्यादा फर्जी मामले इन लोगों पर दर्ज किए गए.
नाम न छापने की शर्त पर महेंद्र शेलार के बारे में एक अधिकारी ने बताया कि शेलार ने एक व्यक्ति से 1 करोड़ की मांग की थी जिसने उसे अनसुना कर दिया तो उसके उपर गंभीर मामला दर्ज करके इतना परेशान कर दिया कि उसको आखिर में सुप्रीम कोर्ट से जमानत लेनी पड़ी. एमआरटीपी के मामले में एमपीआरडी दर्ज किया. कानून में बैठे ना बैठे शेलार पैसे के लिए कुछ भी करता था सब जानते थे फिर कोई क्यों कुछ बोलता और करता नहीं था यह अब तक समझ के परे है.
50 लाख की रिश्वत मांगने वाले पुलिस निरीक्षक महेंद्र शेलार पर मामला तो दर्ज हो गया है. लेकिन वो अब तक फरार है, इसे क्या कहे मीरा भाईंदर वसई विरार पुलिस की नाकामी या फिर उस शेलार को पुलिस का समर्थन. शेलार ने पुलिस निरीक्षक का प्रमोशन पाने के बाद ज्वाइनिंग नए कमिश्नरेट में पहली पोस्टिंग तुलिंज पुलिस स्टेशन में की, उसके बाद पेल्हार पुलिस स्टेशन में क्राइम पीआई बनकर की और लाखों तो छोड़ो साहब करोड़ों कमाया,इस तरह की बात इसके भुक्तभोगी हुए शिकायतकर्ता बताते है. कई शिकायतों के बाद पेल्हार पुलिस स्टेशन में नए सीनियर पीआई लब्दे के आने के बाद शेलार को कुछ दिनों के कंट्रोल रूम में भेजा गया था, लेकिन पेल्हार पुलिस स्टेशन फिर से सेटिंग लगाकर वो वापस आ गया. लेकिन पेल्हार पुलिस स्टेशन से हमेशा की बदली होने पर कई लोगों ने मिठाई बांटकर जश्न मनाया था. पुलिस स्टेशन दो साल की बदली के बाद उसे पुलिस विभाग के आलाधिकारियों ने मेहरबान होकर आर्थिक अपराध शाखा में नियुक्त करते है. एक पुलिस इंस्पेक्टर एमजी हेक्टर, फॉर्चूनर जैसी कार से कमिश्नरेट और पुलिस स्टेशन रोजाना आता था.
हम करे सो कायदा, लोगों को भयभीत करके पैसे कमाने वाले पुलिस निरीक्षक पर एंटी करप्शन ब्यूरो ने दूसरी बार शिकंजा कसा है। देखना अब यह होगा कि क्या यह पहली बार की तरह अपने खिलाफ दायर होने वाली चार्जशीट को मैनेज करने में सफल हो पाता है नहीं। लेकिन कहते है ना कि पाप का घडा जब भरता है तो उसका टूटना स्वाभाविक है।