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नई सरकार का ट्रेलर …महाराष्ट्र को कौन सी 'पिक्चर' दिखाएगा?

शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना के लिए संपादकीय से सरकार को आडे हाथों फिर से लिया है। विधान सवन के बाहर से धक्का मुक्की हुई उसको लेकर सरकार और उनके विधायकों पर सामना से संपादकीय के जरिए हमला किया है।

नई सरकार का ट्रेलर …महाराष्ट्र को कौन सी पिक्चर दिखाएगा?
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विश्वासघात करके पैदा हुई सरकार के महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ होने के बाद से वैध मार्ग से कामकाज चलाने की बजाय धमकी और मारपीट जैसी गुंडागर्दी के तरीकों का प्रयोग ही अधिक बढ़ गया है। बुधवार को विधानभवन परिसर में भी ठीक यही हुआ। सत्तारूढ़ व विरोधी विधायकों के बीच अभूतपूर्व घमासान हुआ। विधानभवन की सीढ़ियों पर सत्ताधारी व विरोधियों के बीच पहले घोषणा युद्ध हुआ और उसकी परिणति पहले तू-तू, मैं-मैं और बाद में धक्का-मुक्की के रूप में हुई। विधानमंडल परिसर में आज तक कभी नहीं घटी, ऐसी यह शर्मसार करनेवाली घटना पूरे महाराष्ट्र ने देखी। राष्ट्रवादी कांग्रेस के विधायक अमोल मिटकरी और शिंदे गुट के विधायक महेश शिंदे के बीच जबरदस्त घमासान हुआ। दोनों पक्ष एक-दूसरे के ऊपर हमलावर हो ही गए थे, फिर भारी गुत्थम-गुत्थी भी हुई।

विपक्ष के नेता अजीत पवार ने संयम बरतते हुए हालात को संभाला इसलिए आगे एक तरह का भयंकर अनर्थ टल गया अन्यथा विधान भवन परिसर में क्या हुआ होता, यह कोई भी कह नहीं सकता। असभ्य शब्दों का इस्तेमाल किया गया। आपत्तिजनक गालियां और छीना-झपटी तथा धक्का-मुक्की की घटना देखकर विधान भवन की निर्जीव दीवारों ने भी निश्चित तौर पर आंसू बहाए होंगे। उस पर हैरानी की बात यह है कि इतना सब करने के बाद भी सत्तारूढ़ शिंदे गुट के एक विधायक ने सीधे मीडिया से बात करते हुए कहा कि 'ये तो एक ट्रेलर था, पिक्चर अभी बाकी है।' ऐसी धमकी ही दी, इसे सत्ता का घमंड नहीं तो और क्या कहना चाहिए! '५० खोखे, एकदम ओके, सूखा अकाल घोषित करो, बाढ़ग्रस्तों की मदद करो, झांसा देना बंद करो,' ऐसे नारे विपक्षी विधायक लगा रहे थे।



राष्ट्रवादी के विधायक अनिल पाटील ने जनता को सिर्फ गाजर दिखानेवाली सरकार का निषेध दर्ज कराने के लिए गले में गाजर की माला पहनी थी। इस माला को छीनने का प्रयास शिंदे गुट के विधायकों ने किया। उसके बाद आगे का पूरा शर्मसार करनेवाले प्रकरण को सत्तारूढ़ गुट ने अंजाम दिया। 'हमारी खोखे को लेकर की गई नारेबाजी सत्ताधारियों को कड़वी लगी और उन्होंने धक्का-मुक्की की', ऐसी प्रतिक्रिया विपक्ष के नेता अजीत पवार ने दर्ज कराई। घटित घटनाक्रम इसी प्रतिक्रिया को बल देनेवाला है। महाराष्ट्र के विधानमंडल ने कई महान और विद्वान जनप्रतिनिधि, मुख्यमंत्री, मंत्री और तेज-तर्रार विपक्ष का नेता भी देखा। सभागृह और सभागृह के बाहर विरोधी उस समय भी आक्रामक होते थे, लेकिन उस लड़ाई में व्यक्तिगत कटुता कभी भी नहीं थी।



सत्तारूढ़ पार्टी और विरोधी दोनों पक्षों ने शालीनता कभी नहीं छोड़ी। लेकिन महाराष्ट्र के विधानभवन परिसर में बुधवार को जो घटित हुआ, वो उस शालीनता के चीथड़े उ़ड़ानेवाली घटना है। सत्ता के सामने होशियारी नहीं चलती है, यह सत्य है। लेकिन सत्ता में बैठे लोगों को संयमी होना चाहिए। इस परंपरा का आज तक के सभी सत्ताधारियों ने पालन किया। लेकिन अब ऐसा होता दिख नहीं रहा है। दिल्ली से गल्ली तक सत्ता में बैठे लोगों की फिलहाल एक ही नीति है। या तो विरोधियों को देश का दुश्मन ठहरा दिया जाए, बोली लगाकर उन्हें खरीद लेना और सुने ही नहीं तो बेबुनियाद मामलों में जांच लगाकर उन्हें जेल में ठूंस देना। विरोधियों की आवाज दबाने की देश की राजधानी में आई यह महामारी अब गुजरात-आसाम रिटर्न सरकार महाराष्ट्र की सत्ता में आने के बाद राज्य की राजधानी में भी पैâली नहीं होती तो अनोखा होता।



विधानमंडल की सीढ़ियों पर सत्ताधारी विधायकों द्वारा जो घमासान मचाया गया, उससे एक बात साफ हो गई है जो कि ये है कि सुगमता से राजकाज करने में इस सरकार का विश्वास दिख नहीं रहा है। संसदीय लोकतंत्र में मूल्यों का जतन आदि शब्दों से पूरी तरह से दूरी बनाकर गड़बड़ी करने पर ही जोर देना है, ऐसी नीति तो गुवाहाटी फेम सरकार ने नहीं बनाई है न, ऐसी आशंका अब विरोधियों को ही नहीं बल्कि महाराष्ट्र की जनता को भी होने लगी है। महाराष्ट्र के विधानमंडल की एक समृद्ध राजनीतिक परंपरा रही है। परंतु इस मौलिक परंपरा को पैरों के नीचे रौंदनेवाला दृश्य बुधवार को पूरी दुनिया ने देखा। सत्तारूढ़ शिंदे गुट द्वारा विधानमंडल परिसर में मचाए गए घमासान से पूरे महाराष्ट्र का सिर शर्म से झुक गया है। इसके बाद भी, 'ये तो एक ट्रेलर था,' ऐसी धमकी दी जाती होगी तो शिंदे गुट भविष्य में महाराष्ट्र को कौन-सी 'पिक्चर' दिखाने की तैयारी में है? अर्थात सरकार का इसे गुवाहाटी फेम सिनेमा कहें या तमाशा, महाराष्ट्र की जनता कल डब्बे में

Updated : 25 Aug 2022 3:56 AM GMT
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