मुंबई की रजा अकादमी ने WHO को लिखी चिट्ठी,वैक्सीन में गाय या सुअर की चर्बी तो नहीं
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मुंबई। भारतीय सूफी मुसलमानों की संस्था रज़ा अकादमी ने विश्व स्वास्थ्य संगठन को पत्र लिखकर कोविड-19 वैक्सीन में इस्तेमाल की गई प्रक्रिया पर आशंका व्यक्त की। मुंबई स्थित संगठन ने कहा, ' दुनिया कोविड -19 की आपदाओं की चपेट में आ रही है, इसके इलाज की दौड़ भी सबसे तेज हो रही है। अकादमी ने चिंता व्यक्त की है कि वैक्सीन बनाने में सूअरों से अर्क के इस्तेमाल की बात आई थी. WHO को भेजी चिट्ठी में अकादमी ने कहा 'मीडिया में कई रिपोर्टें आई हैं कि कुछ कंपनियां, विशेष रूप से चीन जैसे देशों के टीकों में सूअरों और गायों से निकाली गई सामग्री का उपयोग कर इसे अधिक टिकाऊ बनाने की कोशिश की जा रही है.
रज़ा अकादमी आपसे अनुरोध करता है कि दुनिया में विकसित होने वाले टीकों की एक विस्तृत सूची हमें भेजने का कष्ट करें ताकि एक शख्स यह निर्णय ले सके कि वे कौन से टीके का इस्तेमाल करेगा.'फाइजर जैसे फार्मास्युटिकल कंपनियों ने स्पष्ट किया है कि उनके टीकों में किसी भी प्रकार की पशु सामग्री नहीं है. फिर भी कुछ समूहों को टीकों की सामग्री की पारदर्शिता पर सवाल किए हैं.चिट्ठी में कहा गया है 'हमे पता चला है कि कि भारत में - भारत बायोटेक, सीरम इंस्टीट्यूट, ज़ाइडस कैडिला, पैनासिया बायोटेक, इंडियन इम्युनोलॉजिकल, मायनवैक्स और बायोलॉजिकल ई कोरोना वैक्सीन पर काम करने वाली घरेलू फ़ार्मा कंपनियां हैं।