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पत्रकार के बेटे ने दी सात लोगों को नई जिंदगी,पर पिता के आंखों से गिर रहे थे आंसू

पत्रकार के बेटे ने दी सात लोगों को नई जिंदगी,पर पिता के आंखों से गिर रहे थे आंसू
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फाइल photo

सूरत। ढाई साल के ब्रेन डेड मासूम बच्चे के अंगदान से 7 लोगों को नई जिंदगी मिली है। यह बच्चा खेलते समय घर की दूसरी मंजिल से गिर गया था। डोनेट लाइफ संस्था के संस्थापक ट्रस्टी निलेश मांडलेवाला ने बताया कि पत्रकार संजीव ओझा का ढाई साल का पुत्र जश ओझा खेलते समय दूसरी मंजिल से गिर गया था। उसके सिर में गंभीर चोट आई थी, जिसे बाद में डॉक्टरों ने ब्रेनडेड घोषित कर दिया था। चेन्नई के एमजीएम अस्पताल में इलाज करा रहे रूस और यूक्रेन के बच्चों को हृदय और फेफड़े ट्रांसप्लांट किए गए। जश के अंगदान से 7 लोगों को नया जीवन मिलेगा।

बच्चे के अंगदान का साहसपूर्ण निर्णय लेने वाले पत्रकार पिता संजीव ओझा ने दुखी मन से बताया कि भले ही आज मेरा बाबू (जश) नहीं रहा, मगर उसके अंगदान से अन्य जरूरतमंद परिवारों नया जीवन मिल सकता है। किसी भी उम्र, लिंग, जाति का व्यक्ति अंगदान कर सकता है। यदि आप 18 वर्ष से कम उम्र के हैं तो अंगदान के लिए माता पिता की अनुमति जरूरी है। यदि किसी ने अपनी मृत्यु से पहले अंगदान का फैसला किया है तो ऐसा करने के लिए उसे दो गवाहों की ज़रूरत होगी। उनमें से कोई भी एक व्यक्ति डोनेटर की मृत्यु के बाद उसके अंगों को दान करने का अधिकार रखता है। किसी की मृत्यु के बाद उसके नजदीकी परिजन अंगदान का निर्णय ले सकते हैं।

अंगदान से कई 'लाइलाज बीमारियां' ठीक हो सकती हैं। जैसे कि हार्ट फेल की लास्ट स्टेज, फेफड़ों की बीमारियां, आंखों की कुछ बड़ी बीमारियां (जैसे पुतलियों के ख़राब होने के चलते अंधापन), गुर्दों व जिगर की लास्ट स्टेज की बीमारियां, अग्नयाशय की बीमारी, जली हुई स्किन। भारत सरकार ने फरवरी 1995 में 'मानव अंग प्रत्यारोपण अधिनियम' पास किया था। इसके अन्तर्गत अंगदान और मस्तिष्क मृत्यु को कानूनी वैधता प्रदान की गई है।

Updated : 17 Dec 2020 4:20 PM IST
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