Home > News Window > किसानों ने नए कृषि कानूनों को बताया कोरोनावायरस से अधिक खतरनाक

किसानों ने नए कृषि कानूनों को बताया कोरोनावायरस से अधिक खतरनाक

किसानों ने नए कृषि कानूनों को बताया कोरोनावायरस से अधिक खतरनाक
X

नई दिल्ली। केंद्र द्वारा लाए गए नए कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर डटे किसानों ने सोमवार को कहा कि वे 'निर्णायक'लड़ाई के लिए राष्ट्रीय राजधानी आए हैं और जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं हो जातीं, तब तक उनका प्रदर्शन जारी रहेगा। इधर विशेषज्ञों ने चिंता जताई है कि नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसान जिन स्थानों पर एकत्र हैं, वहां से कोविड-19 के गंभीर प्रसार की आशंका है। किसान सोमवार को पांचवें दिन भी सीमाओं और दिल्ली के बुराड़ी मैदान में डटे रहे। इनमें से ज्यादातर किसान पंजाब और हरियाणा से हैं। पश्चिमी उत्तरप्रदेश और राजस्थान से भी किसान उनका साथ देने पहुंचे हैं। दिल्ली के सभी पांच प्रवेश बिन्दुओं को बंद करने की चेतावनी दे रहे किसानों में से अनेक ने कहा कि वे कोरोनावायरस के प्रसार के बारे में जानते हैं, लेकिन केंद्र के नए कृषि कानून उनके लिए अधिक बड़ा खतरा हैं।

प्रदर्शनकारी किसानों के एक प्रतिनिधि ने सिंघू बॉर्डर पर सम्मेलन में कहा कि वे चाहते हैं कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी उनके 'मन की बात'सुनें। उन्होंने कहा, ''हम अपनी मांगों से समझौता नहीं कर सकते। किसानों के प्रतिनिधि ने दावा किया कि यदि सत्तारूढ़ पार्टी उनकी चिंता पर विचार नहीं करती तो उसे भारी कीमत चुकानी होगी। उन्होंने कहा कि हम यहां निर्णायक लड़ाई के लिए आए हैं।''एक अन्य किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी ने कहा कि आंदोलन को 'दबाने' के लिए अब तक प्रदर्शनकारियों के खिलाफ लगभग 31 मामले दर्ज किए गए हैं। चढूनी ने कहा कि जब तक मांगें पूरी नहीं हो जातीं, किसानों का प्रदर्शन जारी रहेगा। केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने किसान संगठनों से बुराड़ी मैदान पहुंचने की अपील की थी और कहा था कि वहां पहुंचते ही केन्द्रीय मंत्रियों का एक उच्चस्तरीय दल उनसे बातचीत करेगा।

किसानों के 30 से अधिक संगठनों की रविवार को हुई बैठक में किसानों के बुराड़ी मैदान पहुंचने पर 3 दिसम्बर की तय तारीख से पहले वार्ता की केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह की पेशकश पर बातचीत की गई, लेकिन हजारों प्रदर्शनकारियों ने इस प्रस्ताव को स्वीकारने से मना कर दिया और सर्दी में एक और रात सिंघू तथा टीकरी बार्डरों पर डटे रहने की बात कही। उनके प्रतिनिधियों ने कहा था कि उन्हें शाह की यह शर्त स्वीकार नहीं है कि वे प्रदर्शन स्थल बदल दें। उन्होंने दावा किया था कि बुराड़ी मैदान एक 'खुली जेल' है। विशेषज्ञों ने चिंता जताई है कि नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसान जिन स्थानों पर एकत्र हैं, वहां से कोविड-19 के गंभीर प्रसार की आशंका है, यहां अनेक किसानों ने मास्क नहीं पहन रखे हैं। प्रदर्शनकारी किसानों का कहना है कि उनके लिए नए कृषि कानून कोरोना वायरस से अधिक बड़ा खतरा हैं।

दिल्ली में हर रोज महामारी के मामले बढ़ने के बीच विशेषज्ञों की चिंता किसानों के जमघट के चलते और भी गहरा गई है। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के महामारी विज्ञान एवं संक्रामक रोग प्रभाग के प्रमुख डॉक्टर समीरन पांडा ने कहा कि प्रदर्शन में बड़ी संख्या में लोग शामिल हैं और जनस्वास्थ्य के नजरिए से मैं सुरक्षात्मक कदमों का ध्यान रखने का आग्रह करता हूं। ऐसा न होने पर यह बीमारी के गंभीर प्रसार का कारक बन सकता है। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष डॉक्टर के के अग्रवाल ने कहा कि सरकार को किसानों को आंदोलन की अनुमति नहीं देनी चाहिए थी। उन्होंने कहा कि सरकार के पास महामारी कानून के तहत ऐसी किसी भी स्थिति से निपटने की शक्ति है जिससे संक्रमण फैल सकता है।

Updated : 30 Nov 2020 3:33 PM GMT
Tags:    
Next Story
Share it
Top