सामना के लेख में बीजेपी की आलोचना
X
मुंबई : दशहरा महा रैली में शिवसेना प्रमुख और मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने अपने भाषण में बीजेपी और मोदी सरकार पर जमकर हमला बोला था, उद्धव ठाकरे ने अपने रैली में पूर्व महाराष्ट्र मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस द्वारा हालही में दिये गए बयान पर कटाक्ष किया था. उद्धव ने कहा '''लोग कहते हैं कि मैं फिर आऊंगा, मैं फिर आऊंगा. वो कब आएंगे पता ही नहीं. सत्ता के बजाय जनता जरूरी है. उसके अगले दिन देवेंद्र फडणवीस ने नागपुर में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर शिवसेना और महाअघाड़ी पर तंज कसा था और मीडिया से बात करते हुए कहा '' जनता ने बीजेपी को नाकारा नहीं है जनता ने कांग्रेस, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी को नाकारा है,... और शिवसेना को केवल पासिंग मार्क दिए है भारतीय जनता पार्टी अपनी जितनी सीटें है उनमे से 70 प्रतिशत सीटों पर विजयी हुई और शिवसेना मात्र 45 प्रतिशत सीटों पर वियजयी हुई,जनता के साथ आपने बेमानी कर सरकार तैयार की इसलिए सत्ता में आई सरकार बेमानी वाली सरकार है, फडनवीस ने आगे कहा ''सीएम बनने की महत्वकांछा थी और पूरी की'' .
आज यानी 18 अक्टूबर के दिन शिवसेना आधिकारिक सामना के आर्टिकल में सांसद संजय राउत ने बीजेपी की कड़ी आलोचना की है और इसमें कहा गया कि विपक्ष के सीएम लोकतंत्र, घटनाएँ, कानून ' को नहीं मानते है और न ही सहमत है। राजनीति की यह नई 'स्थिति' बहुत कुछ कहती है, सामना में आज के हैडलाइन में विपक्ष के मुख्यमंत्री और बीजेपी पर जमकर आलोचना की गयी है। बता दे कि दशहरा रैली के बाद बीजेपी ने सीएम उद्धव ठाकरे के भाषण पर जमकर आलोचना की थी।
सामने के एक लेख में आगे कहा गया कि '' ऐसी 'अलोकतांत्रिक' भूमिका निभाकर उन्होंने अपनी भड़ास को बाहर निकाला। उद्धव ठाकरे ने एक शिवसैनिक को मुख्यमंत्री बनने के लिए कहा था लेकिन फडणवीस और चंद्रकांत पाटिल कौन हैं, जिन्होंने इस पर आपत्ति जताई थी कि यह अपने आप हुआ?
उद्धव ठाकरे एक शिव सैनिक हैं और वह किसी विदेशी राजनीतिक दल के सदस्य नहीं हैं। लाखों लोगों की मौजूदगी में उद्धव ठाकरे ने ली सीएम की शपथ ली, देवेंद्र फडणवीस पर लेख की हेडलाइन में आरोप लगाया गया था कि उन्होंने गुंगी में रहते हुए गुपचुप तरीके से शपथ नहीं ली थी।
वहीं, उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री कैसे बने, यह समझ में नहीं आता है। उद्धव ठाकरे को आपके ही राज्यपाल ने मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाई थी और फडणवीस स्वयं उस संवैधानिक समारोह में मौजूद थे। आलोचना करते हुए कहा गया है कि शपथ ग्रहण समारोह के चमचमाते समारोह से उनकी आंखें चमक उठी होंगी।
सामना के लेख में कहा गया कि सरकार ने राज्य सरकारों के अधिकारों और अधिकारों का उल्लंघन किया है। जिन राज्यों में बीजेपी का कोई मुख्यमंत्री नहीं है, उन राज्यों में काम करने की इजाजत नहीं है. वहीं बीजेपी ने पर्दों की जगह पर्दों का इस्तेमाल शुरू कर दिया है.बीजेपी ने हमारे देश में नए मानक स्थापित किए हैं. महाराष्ट्र में बीजेपी को सत्ता गंवाए दो साल हो चुके हैं और अब उन्हें सदमे से उबरना चाहिए.
यह अच्छा नहीं है कि भाजपा के लोग दशहरा रैली के बाद निराधार आरोप लगा रहे हैं। क्या ये लोग नशा वगैरह की बात कर रहे हैं? इसकी जांच होनी चाहिए। केंद्र में भाजपा 'विपक्षी दल', 'विपक्षी स्वर' के संसदीय लोकतंत्र की अवधारणा से सहमत नहीं है, लेकिन महाराष्ट्र में लोकतंत्र की परंपरा रही है। इसलिए विपक्ष को निडर होकर अपना काम करते रहना चाहिए। सांसद संजय राउत ने लेख के पहले पन्ने में कहा है कि हम इस राय के हैं। यह कड़ी आलोचन संजय राउत ने शिवसेना आधिकारिक सामना में एक लेख के माध्यम से की है।