अन्नदाता राजधानी की सड़कों पर, शरद पवार बोले, कानून लाने में इतनी जल्दबाजी क्यों?
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मुंबई। कृषि कानूनों के खिलाफ किसान आंदोलन के 11 वें दिन भी अन्नदाता राजधानी की सड़कों पर डटे हुए हैं। किसानों और सरकार के बीच शनिवार को पांचवें दौर की बातचीत बेनतीजा रही है। वहीं किसानों के आठ दिसंबर के भारत बंद को देशभर में व्यापक समर्थन मिला रहा है। एक तरफ जहां कांग्रेस और टीआरएस ने भी इस बंद को समर्थन देने का ऐलान किया है। इससे पहले ट्रांसपोर्टर भी इस बंद को अपना समर्थन दे चुके हैं। वहीं एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने कहा कि पंजाब और हरियाणा के किसान गेहूं और धान के मुख्य उत्पादक हैं, और वे विरोध कर रहे हैं। अगर जल्द ही स्थिति का हल नहीं किया गया, तो देश भर के किसान उनके साथ जुड़ जाएंगे।
आपको बता दें कि किसानों और सरकार की शनिवार को हुई लंबी बातचीत और मंथन के बाद तय सिर्फ यह हो सका कि अगले दौर की बातचीत 9 दिसंबर को होगी। एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने कहा कि पंजाब और हरियाणा के किसान गेहूं और धान के मुख्य उत्पादक हैं, और वे विरोध कर रहे हैं। अगर जल्द ही स्थिति का हल नहीं किया गया, तो देश भर के किसान उनके साथ जुड़ जाएंगे। जब बिल पारित किया जा रहा था, हमने सरकार से अनुरोध किया कि वे जल्दबाज़ी में न करें, इसे सेलेक्ट कमेटी को भेजा जाना चाहिए और चर्चा की आवश्यकता है, लेकिन ऐसा नहीं हुआ और विधेयक जल्दबाजी में पारित किया गया। अब सरकार को जल्दबाजी के कारण समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।