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आखिर क्या कारण है कांग्रेस शिवसेना से अलग लड़ना चाहती है BMC का चुनाव?
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मुंबई। मनपा चुनाव 2022 के लिए आखिर क्या वजह है कि कांग्रेस मनपा चुनाव में शिवसेना से अलग चुनाव लड़ना चाहती है। बीएमसी चुनाव में अगर महा विकास आघाडी के तीनों दल इस बात पर राजी होते हैं कि वे मिलकर मनपा का चुनाव लड़ेंगे तो निश्चित रूप से सीटों के बंटवारे में बहुत मुश्किल पेश आएगी और तीनों ही दलों में बगावत होनी तय है. एनसीपी के लिए भले ही कोई दिक्कत न हो, पर कांग्रेस के लिए मुश्किल होगी. 227 सीटों वाली बीएमसी में सीटों के बंटवारे में कांग्रेस को अपेक्षा के मुताबिक सीटें नहीं मिल पाएगी. ऐसे बहुत सारे नेता टिकट पाने से वंचित रह जाएंगे जो 2017 के मनपा चुनावों में अपने दलों की ओर से चुनाव लड़ चुके हैं. मुंबई में कांग्रेस का अपना राजनीतिक जनाधार रहा है. बीएमसी पर भी उसके अपना कब्जा रहा है.
ऐसे में कांग्रेस को लगता है कि शिवसेना के साथ मिलकर लड़ने पर उसका अपना सियासी आधार खिसक सकता है. ऐसे में कांग्रेस बीएमसी चुनाव में अकेले उतरकर मुंबई में अपने परंपरागत वोट बैंक को सुरक्षित रखना चाहती है. मुंबई में मुस्लिम, दक्षिण भारतीय, राजस्थानी और उत्तर भारतीयों को कांग्रेस का मजबूत वोटबैंक माना जाता है. इनमें उत्तर भारतीय वोट का बड़ा हिस्सा भले ही भाजपा के साथ चला गया हो, पर अभी भी उसके अपना राजनीतिक आधार बचा हुआ है. इसके अलावा गैर मराठी वोट जो मुंबई में है, उसे कांग्रेस अपने साथ हर हाल में जोड़कर रखना चाहती है. कांग्रेस बीएमसी चुनाव में शिवसेना से अलग चुनाव लड़ने की राह तलाश रही है.
मनपा पर शिवसेना का राज कायम है जबकि 1995 तक कांग्रेस अपना मेयर बनाती रही है. बीएमसी 1996 से शिवसेना का गढ़ बन चुका है, पर बीजेपी उससे यह राज हर हाल में छीनने के लिए कमर कस चुकी है.2017 के बीएमसी चुनाव में बीजेपी और शिवसेना अलग-अलग लड़ी थी. बीजेपी ने 82 सीटों पर कब्जा कर लिया था और उसे शिवसेना से सिर्फ 2 ही सीटें कम मिली थीं. इस बार बीजेपी बीएमसी चुनाव पूरे दमखम के साथ लड़ने की तैयारी कर रही है.
बीएमसी चुनाव फरवरी 2022 में होने हैं और स्थानीय कांग्रेस नेताओं को यह डर सता रहा है कि शिवसेना और बीजेपी में जिस तरह से वर्चस्व की लड़ाई छिड़ी हुई है, कांग्रेस ने अपना कोई स्टैंड नहीं लिया तो इस लड़ाई से वो पूरी तरह बाहर हो सकती है. ऐसे में कांग्रेस को लगता है कि उसे मुंबई में अपने सियासी वजूद को बचाए रखने के लिए शिवसेना से अलग किस्मत आजमानी चाहिए. इसी बात को ध्यान रखते हुए कांग्रेस ने पिछले महीने ही एक साल से खाली चल रहे मुंबई कांग्रेस अध्यक्ष की नियुक्ति की है.मुंबई कांग्रेस की कमान भाई जगताप को सौंपी गई है।