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ग्राउंड रिपोर्ट : तीन सील पहले फंड पास हुआ, लेकिन 22 साल से खंडहर बना है अस्पताल

देश की आर्थिक राजधानी मुंबई महानगरपालिका बीएमसी का एक प्रसूति अस्पताल मरम्मत के अभाव में 22 साल से बंद है। जनप्रतिनिधियों का कहना है कि फंड आ गया है, लेकिन विकास कार्य आज भी ढाक के तीन पात जैसा है। क्या है पूरा मामले, कैसे है लोग इस अस्पताल के बंद होने से परेशान, क्या कह रहे है बीएमसी महानगरपालिका की सत्ता में बैठने वाले सत्ता पक्ष और विपक्ष के नेता इन सबसे बातचीत करके हमारे संवाददाता प्रसन्नजीत जाधव ने तैयार की यह ग्राउंड रिपोर्ट अस्पताल का काम क्यों ठप है...

ग्राउंड रिपोर्ट : तीन सील पहले फंड पास हुआ, लेकिन 22 साल से खंडहर बना है अस्पताल
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मुंबई: शिवसेना कई सालों से मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) पर शासन कर रही है। हालांकि, मुंबई के कमाठीपुरा स्थित गौराबाई महिला प्रसूतिगृह अस्पताल पिछले 22 साल से बंद है। स्थानीय लोगों को आश्चर्य है कि शिवसेना ने कई सालों से क्या किया है। अब तक शिवसेना की तीन महिलाएं मेयर बन चुकी हैं। मामला सामने आने पर सत्ता पक्ष विपक्ष के बीच एक बार फिर से आरोप प्रयारोप का दौर देखने को मिल रहा है। शिवसेना की महापौर और स्वास्थ समिति की अध्यक्षा के सामने इसके बंद होने का एक बार भी मुद्दा मनपा सभागृह में नहीं आने पर उन्होंने इस पर पूरी तरह से अनभिज्ञता जाताई। जबकि स्वास्थ्य समिति की अध्यक्षा राजूलताई पटेल ने इस मुद्दे पर कहा कि इस तरह का कोई चर्चा विषय स्थानीय नगरसेवक द्वारा समिति और सभागार में उनके कार्यकाल में नहीं लाया।



स्वास्थ्य समिति के अध्यक्ष का पद शिवसेना की कई महिलाओं के पास रहा है। इसमें स्टैंडिंग कमेटी की बैठक में कई अस्पतालों के मुद्दे उठाए जा सकते हैं. इस जर्जर अस्पताल की इमारत की हालत ऐसी है कि यह कभी भी गिर सकती है। आसपास के इलाकों में भी जानमाल के नुकसान की आशंका है। 2019 में इन अस्पतालों को पूरा करने के लिए 50 करोड़ के फंड को भी मंजूरी दी गई थी। हालांकि फंड स्वीकृत हुए 3 साल हो चुके हैं, लेकिन अभी तक इस अस्पताल का काम शुरू नहीं हुआ है। हमने इस संबंध में पूर्व महापौर किशोरी पेडणेकर से संपर्क किया, लेकिन चूंकि उन्हें इस मामले की जानकारी नहीं थी, इसलिए उन्होंने अस्पताल से संबंधित मुद्दों पर बोलने से इनकार कर दिया। तब हमने पूर्व स्वास्थ्य समिति के अध्यक्ष राजुलताई पटेल से इस महिला अस्पताल के बारे में पूछा और बीएमसी के प्रशासन को इस पर गौर करना चाहिए, इस मामले पर स्थानीय नगरसेवक बीएमसी के समक्ष सभागृह में मुद्दा लाना, उन्होंने कहा कि उन्हें संबंधित महिला अस्पताल की स्थिति के बारे में कोई जानकारी नहीं है।





जब हमने इस पूरे मामले पर बीएमसी स्वास्थ्य विभाग के सहायक आयुक्त से इस बारे में पूछा तो उन्होंने माना कि अस्पताल के प्लान में कुछ खामियां थीं। अब पैसे की कमी और कोई योजना नहीं होने से इस अस्पताल का काम ठप हो गया है। जबकि स्थानीय विधायक और पहले इलाके के नगरसेवक रह चुके अमीन पटेल ने कहा कि इस पर बीएमसी में पहले चर्चा हो गई है इसकी टेंडर प्रतिक्रिया को पूरा कि जा रहा है।, इस इमारत का निरीक्षण करने पर पाया गया कि इमारत पूरी तरह से जर्जर हो गई इसको तोडकर फिर से अस्पताल बनाने की कवायद पर पर काम हो रहा है। तीन साल से मामला अधर में क्यों लटका है इस पर उन्होंने कहा कि कोरोना काल, मंजूरी, प्लानिंग, और टेंडर सारे कुछ कॉलम को पूरा करने के बाद ही कुछ हो सकता है सरकारी व्यवस्था में उन्होंने मैक्स महाराष्ट्र से बातचीत के दौरान कहा कि अब कुछ समय में अस्पताल का काम अगले तीन महीनों में शुरू हो जाएगा।



जबकि मुंबई महानगरपालिका बीएमसी में विपक्ष की भूमिका में बैठे भाजपा के पूर्व नगरसेवक विनोद मिश्रा ने इसको लेकर कहा कि यह काफी दुर्भाग्यपूर्ण बात है उन्होंने मीडिया के जरिए इस बात को सूना है। उन्होंने अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि दो तीन शिवसेना की महिला महापौर बनी उन्होंने इस पर ध्यान देना चाहिए था, दो साल से ज्यादा समय उनकी सरकार रही फिर भी ध्यान नहीं दिया गया उन्होंने कहा कि बीएमसी कमिश्नर से उनकी मांग रहेगी कि अतिरिक्त आयुक्त स्वास्थ्य को कहे फर से अस्पताल का काम शुरू हो।

शिवसेना सत्ता में 22 साल से क्यों बंद है कमाठीपुरा का प्रसूतिगृह!

शिवसेना कई सालों से मुंबई महानगरपालिका दो दशक पर शासन कर रही है। मुंबई महानगरपालिका के ठप कामों को शिवसेना से सबसे पहले मंजूरी दी और कर दिखाया बैनर, भी शिवसेना कई बार लगा चुकी है, लेकिन यहा पर शिवसेना से कहां चुक हो गई? हालांकि, मुंबई के कमाठीपुरा में गौरा बाई प्रसूतिगृह पिछले 22 साल से बंद है। तब स्थानीय लोगों ने सोचा होगा कि आखिर शिवसेना ने इतने सालों में क्या किया। अब तक शिवसेना की तीन महिलाएं मेयर बन चुकी हैं। शिवसेना के पास इस सवाल का जवाब जरूर होगा कि कैसे शिवसेन महिलाओं के उन मुद्दों को नजरअंदाज अशोभनीय है। पूर्व गृहनिर्माण मंत्री जितेंद्र अव्हाड का भी स्थानीय लोगों ने उल्लेख किया कि उन्होंने भी कहा था अस्पताल जल्द बनेगा!





कुछ को तो 22 साल से बंद पड़े अस्पताल के बारे में पता ही नहीं जबकि 22 से बंद पड़े अस्पताल को पुन: निमार्ण की मंजूरी मिलने के बाद बीएमसी ने पार्किंग और कई खामियों को निकालकर फिर से प्लान बनाने की बात कही थी। आज जिसके चलते लोगों को दिक्कतों का सामना करना पड रहा है या तो जेजे अस्पताल जाए या फिर नायर अस्पताल दोनों के मध्य में कमाठीपुरा में था गौरा बाई प्रसूतिगृह। इसके बंद होने पर महिलाओं को काफी समस्याओं का पिछले 22 सालों से सामना करना पड़ रहा है। वहीं सुनते है किि जल्द अस्पताल बनेगा लेकिन मामला ढाक के तीन पात जैसा है।






मांग उठी है तो दूर तक आवाज गुंज रही है, बीएमसी प्रशासन और सत्ता में बैठे सत्ता पर और विपक्ष के कानों में जूं नहीं रेंग रहा था। 22 सालों से लेकिन इस मुद्दे को प्राथमिकता दिलाना बंद पड़े अस्पताल के पुन: निर्माण कराया जाना और लोगों को वंचित सुविधाओं से बहाली लाना यही है हमारा प्रयास बने रहे मैक्स महाराष्ट्र के साथ।

Updated : 11 Aug 2022 7:06 AM GMT
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