Mumbai:23 साल के बेटे ने MVA के फॉर्मूले पर मां को बनाया सरपंच
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मुंबई। वैजापुर तहसील के 105 ग्राम पंचायतों का चुनाव संपन्न हुए,कई सरपंच पद के लिए चुनावी मैदान में खडे और जीत गए। तहसील के भालगांव ग्राम पंचायत से एक सबसे कम उम्र के युवा अमृत शिवाजीराव शिंदे पाटिल ने 23 वर्ष की आयु में कई राजनैतिक दांव पेंच खेलकर चुनाव में पूर्ण पैनल को जितवाकर अपनी माता को भी सरपंच की कुर्सी पर विराजमान किया है। ऐसी ऐतिहासिक जीत की तहसील भर में चर्चा जोरों में हैं। भालगांव ग्राम पंचायत वैसे तो यह सबसे छोटी ग्राम पंचायत मानी जाती है। पूर्ण गांव की लोकसंख्या 606 के करीब हैं। यह गांव तहसील के सरहद पर गोदावरी नदी के स्थित ही बसा हैं। गांव में कई विकास कार्य प्रलंबित हैं। भ्रष्ट कार्य से लिप्त माहौल को देख अमृत ने महाविकास आघाडी का फॉर्मूला इस्तेमाल कर परिवर्तन करने की ठानी.उसने अपने पैनल का नाम भी परिवर्तन ग्रामविकास आघाडी रखा था.
इस पैनल में उसने अपनी माता,वह खुद और गांव के सभी जाति के लोगों से चर्चा कर नामांकन पर्चा दाखिल किया.माँ-बेटे के हौसले को साथ देख काफिला बनता चला गया.असल चुनाव के दौरान अमृत समेत उनकी माता संगीता शिवाजीराव शिंदे और जगन्नाथ बर्डे यह तीनों निर्विरोध चुनकर आ गए तो इनके दल के अल्का कैलाश मोहन और बेबी दादासाहब शिंदे ने भी चुनाव में जीत हासिल कर ली.जिसके चलते सात सदस्यों के पंचायत में परिवर्तन आघाडी पैनल के पास पांच सदस्यों ने पंचायत पर कब्ज़ा जमा लिया.शुक्रवार को हुए सरपंच तथा उपसरपंच चुनाव में संगीता शिंदे पिछड़े वर्ग के आरक्षण से सीधे सरपंच बनी.इस दौरान चर्चा उफान पर थी कि,कई लोग कम उम्र में सदस्य चुने जाते है व सरपंच भी बनते हैं.लेकिन अमृत ने अपना पैनल भी जीतकर लाया साथ ही माँ को भी सरपंच कुर्सी पर बैठाने की चर्चा तहसील भर में हैं.
जनता ने मुझ पर भरोसा किया
भालगांव पंचायत विकास कार्य से कोसो दूर था.शिक्षा के लिए शहर में आते-जाते शहरों को देख मुझे भी गांव में बड़ा विकास कार्य करने का सपना सताने लगा.सच्ची चाहत और सपनों की बात पर लोगों ने विश्वासपूर्ण मुझे जीत हासिल करके दी।
अमृत शिंदे (परिवर्तन ग्रामविकास आघाडी पैनल प्रमुख)
बेटे ने मेहनत की
अमृत महाविद्यालय में शिक्षा के लिए जाता था या राजनीति सीखने.पर चुनाव में कुछ समझ नही आया। गांव वालों को उसकी बातों व कार्य पर विश्वास आया और आज पूरा पैनल चुनाव में सफल हुआ.यहां तक आज मैं गांव की सरपंच बन गई।
संगीता शिंदे नवनियुक्त सरपंच तथा अमृत की माता
किसान पिता ने कहा मुझे यकीन नहीं हो रहा
मुझे तो यकीन ही नहीं हो रहा हैं.मैंने पहले ही कहा था कि हम किसान वर्ग हैं.राजनीति से दूरी ही अच्छी.इसलिए उसे शिक्षा के लिए उसका दाखिल वैजापुर शहर में करवाया.पर वहां भी उसने राजनीति की ही शिक्षा ली हो शायद.ठीक हैं लोगों ने रखे विश्वास को बरकरार रखना अमृत की ज़िम्मेदारी हैं।
शिवाजीराव शिंदे (अमृत के पिता)