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कपास की फसलों में खरपतवारों की मात्रा में वृद्धि, रासायनिक उर्वरकों के असंतुलित प्रयोग का परिणाम

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जलगांव: किसान आज की आधुनिक कृषि पद्धतियों में पूर्व-खेती के लिए उन्नत उपकरण, उन्नत और अधिक उपज देने वाली किस्मों का उपयोग, कीटनाशक, अंतर-फसल, रासायनिक उर्वरकों का उपयोग आदि शामिल हैं। इनमें मुख्य रूप से रासायनिक उर्वरकों का उपयोग फसल उत्पादन में पर्याप्त वृद्धि के लिए किया जाता है। लेकिन पिछले दो-तीन वर्षों में फसल उत्पादन में ज्यादा वृद्धि नहीं हुई है। इसका महत्वपूर्ण कारण यह है कि रासायनिक उर्वरकों के असीमित और असंतुलित उपयोग के कारण जमीनों की उर्वरता और उत्पादकता में कमी आई है।

अब उसमें एक नई समस्या पैदा हो गई है, फसलों को रासायनिक खाद देने के तुरंत बाद, फसलों के चारों ओर उगने वाली घास का प्रकार वर्तमान में देखा जाना है। जिससे किसानों की फसलों में और नुकसान होता है, इन घास को निकाले नहीं तो इसके कारण फसल नुकसान होगी। नहीं तो इस घास को समाप्त करने के लिए अलग से कीटनाशक का छिड़काव करना पडता है। हर साल इसी तरह की समस्या किसानों के सामने उत्पन्न होने से किसान काफी परेशान है। भारत में 130 कीट प्रजातियों पाई जाती हैं, उनमे से आधा दर्जन से अधिक विकसित कपास, संकर और अन्य किस्मों की पूरी क्षमता से पैदावार प्राप्त करने में समस्या पैदा करती हैं। कपास की फसलों पर रोगों का प्रभावी नियंत्रण उनकी सही पहचान पर निर्भर करता है।


पाचोरा तालुका के खडकदेवळा बुद्रुक के प्रगतिशील किसान विश्वास आनंद पाटील ने अपने खेत में कपास की फसलों में रासायनिक उर्वरक लगाने के बाद फसलों के चारों ओर घास उगते देखा है। उन्होंने एक बार नहीं बल्कि तीन बार एक ही चीज का अनुभव किया है, इसलिए वे रासायनिक उर्वरकों की आपूर्ति करने वाली कंपनी के उत्पाद पर संदेह कर रहे हैं। या इन उर्वरकों में घास के बीज नहीं मिलाए जाते हैं? ऐसा सवाल उठाया गया है। वर्तमान स्थिति पर विचार करें तो उन्हें फसलों में रासायनिक खाद डालने के तुरंत बाद फसलों में दैनिक कार्य करना पड़ता है। इसलिए उन्होंने महसूस किया कि घास की मात्रा में वृद्धि का मुख्य कारण रासायनिक उर्वरकों का उपयोग है। इससे किसानों का दैनिक खर्च बढ़ गया है।

जानकार बताते है कि कपास फसल का व्यावसायिक फसलों, प्राकृतिक रेशे वाली फसलों और तिलहन फसलों में महत्वपूर्ण स्थान है। प्राकृतिक फाइबर का कम से कम 90 प्रतिशत अकेले कपास की फसल से प्राप्त होता है। कपास फसल का देश की अर्थव्यवस्था मे बड़ा योगदान है। यह भारत में 123 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में उगाई जाती है जो कृषि योग्य भूमि का करीब 7.5 प्रतिशत हिस्सा और वैश्विक कपास क्षेत्र का 36.8 प्रतिशत हिस्सा है।

विश्वास आनंद पाटील, किसान, पाचोरा, जलगांव दे रहे पूरे मामले पर जानकारी



Updated : 12 Aug 2022 9:26 AM GMT
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