शिखा मल्होत्रा बोलीं, पायल घोष को अचानक #metoo याद कैसे आई जब #metoo कैम्पेन चल रहा था तब कहा थीं
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मुंबई। अभिनेत्री शिखा मलहोत्रा ने मैक्स महाराष्ट्र हिंदी से बातचीत करते हुए पायल घोष मामले में बताया कि मैं व्यक्तिगत रूप से अनुराग कश्यप को जानती नहीं हूं, बस पढ़ी-सुनी बातों के आधार पर उनकी जो छवि मेरे जेहन में है वो एक अलग तरह के व्यक्ति की है। आप लोग मेरी बात से इत्तेफ़ाक रखे न रखें, लेकिन मेरा इतना ही कहना कि पायल घोष का आज इतने सालों बाद इस तरह अनुराग को कटघरे में खड़ा करना हज़म नहीं हो रहा है, जबकि देश की अधिकतम जनता सुशांत मामले में, ड्रग्स मामले में अनुराग से खार खाये बैठी हैं और वो ट्रोलर्स के सीधे निशाने पर 24 x 7 हैं। ऐसे में आपका यूं अचानक आना कोई #metoo का मामला नहीं बल्कि शुद्ध बदले की भावना लगती है।
आपको आजीवन चुप रहना चाहिए था
शिखा मलहोत्रा ने कहा कि मेरा सवाल पायल से यह है कि अगर आप अपने नजदीकी लोगों के कहने पर इतने दिन चुप रहीं तो आपको आजीवन चुप रहना चाहिए था, क्योंकि आपके नाम के साथ बदनामी शब्द ना जुड़े इसलिए इतने साल आप नहीं बोली हैं ना? और अगर आप आज बोली तो ऐसी क्या हवा चल रही है आज #metoo की जो आपको न्याय की उम्मीद जागी, आज अचानक ! जब देश मे #meetoo का जोर था तब भी आपकी हिम्मत नहीं हुई बोलने की जबकि फ़िल्म इंडस्ट्री क्या, सभी इंडस्ट्रीज में #metoo मुहिम अपने ज़ोर पर थी तब आपका बोलना एक महत्त्व का विषय हो सकता था आज तो शुद्ध रूप से कोई दूसरा ही कारण लग रहा है मुझे आपके इस खुलासे में।
उनके घरों में जाकर क्यों मिलना
दूसरी बात, लड़कियां कामकाज के लिए लोगों से मिलने उनके घर क्यों चली जाती हैं, दफ्तर में क्यों नहीं मिलती !! इसलिए मेरा मानना है कि किसी भी महिला का अपने काम के क्षेत्र में शक़ी होना बहुत ज़रूरी है! जबकि आपको पता है कि इंडस्ट्री में इस तरह की चीज़ें अस्तित्व में हैं तो ऐसे में आपको निर्माता-निर्दशकों से उनके घरों में जाकर क्यों मिलना है? काम पाने की लालसा ही आपको किसी की चौखट पर बिना सोचे समझे ले जा सकती है, इस तरह की अति महत्त्वाकांक्षा ही ऐसे एनकाउंटर्स का शिकार बनाती हैं लड़कियों को, बस जल्द काम पाने की जल्दबाजी में एक प्रॉपर चेनल ना फ़ॉलो करके शार्ट कट अपनाना चाहती हैं।
कंगना पर यह बात कही शिखा मल्होत्रा ने
कंगना रनौत और मेरा व्यू कई मामलों में एक है, उनके आफिस को तोड दिए जाने और उनको शाब्दिक प्रताड़ना दिए जाने पर मैंने महाराष्ट्र सरकार का पुरज़ोर विरोध किया था पर यहाँ इस केस में मैं कंगना के बिल्कुल विपरीत हूं। कंगना ने शिवसेना से कहा कि उसने बदले की भावना के चलते उनका आफिस तुड़वाया, तो आप आज क्या कर रही हैं? आप भी अनुराग कश्यप से शुरू हुई आपकी ट्वीटर की लड़ाई का बदला ले रही हैं। पायल का ट्वीट सबसे पहले शेयर कर आप अनुराग कश्यप की गिरफ्तारी की मांग करने लगीं। ये बदले की भावना नहीं तो क्या है?
तो यह बदले की भावना है
आप इस मामले में बोलती, ज़रूर बोलती, आपका नैतिक अधिकार है, बोलना चाहिए ! अगर आप महिला आयोग की अध्यक्ष रेखा शर्मा का ट्वीट जो पायल के बारे में था उसे शेयर करके फिर ये मांग करती की इस तरफ तुरंत ध्यान देना चाहिए, कड़ी कार्यवाही होनी चाहिए, तब लगता कि आपने किसी सामाजिक मुद्दे पर अपनी राय रखी है लेकिन अब लग रहा है कि आपने किसी बदले की भावना के तहत इस मुद्दे का राजनीतिकरण करते हुए इसे और ऊंचा उछाल दिया है, जो कि सरासर गलत है। कुल मिलाकर इतना कहना है कि सुशांत को न्याय दिलवाने की मुहिम में ये जो अचानक पायल घोष #MeToo की उल्टी थाली लेकरआई हैं। ये इल्ज़ामों से तो युक्त है पर नीयत से बिल्कुल रिक्त है।