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राज ठाकरे ने 2006 में शिवसेना क्यों छोड़ी? – सामना रिपोर्टर योगेश त्रिवेदी की कलम से

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2006 का वर्ष महाराष्ट्र की राजनीति में एक बड़ा मोड़ लेकर आया। शिवसेना के कद्दावर युवा नेता राज ठाकरे ने अचानक पार्टी से इस्तीफा देकर अपनी नई पार्टी महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) की घोषणा कर दी। यह फैसला न सिर्फ शिवसेना के लिए बल्कि ठाकरे परिवार और लाखों शिवसैनिकों के लिए एक भावनात्मक झटका था।

इस पूरे घटनाक्रम के पीछे क्या था? यह सवाल वर्षों से जनता के मन में रहा है। इस प्रश्न का जवाब उन लोगों के पास है जो उस समय शिवसेना के भीतर की राजनीति को बेहद करीब से देख रहे थे। योगेश त्रिवेदी, जो कि सामना (शिवसेना का मुखपत्र) के वरिष्ठ पत्रकार रहे हैं और स्वयं बालासाहेब ठाकरे के अत्यंत विश्वासपात्रों में गिने जाते थे, उन्होंने इस विभाजन की पूरी कहानी एक इंटरव्यू में साझा की।

राजनीतिक नहीं, पारिवारिक संघर्ष था असली कारण

त्रिवेदी बताते हैं कि यह कोई सामान्य राजनीतिक मतभेद नहीं था, बल्कि एक गहरा पारिवारिक और भावनात्मक संघर्ष था। राज ठाकरे बचपन से ही बालासाहेब ठाकरे के सबसे करीबी रहे। बालासाहेब उन्हें बेहद चाहते थे, और कई बार खुले मंच से यह भी कहा करते थे कि "राज में मेरा प्रतिबिंब दिखता है।"

राज का राजनीतिक कौशल, भाषण शैली, संगठन पर पकड़ – सब कुछ शिवसेना के भविष्य के रूप में देखा जाता था। लेकिन जैसे-जैसे उद्धव ठाकरे ने पार्टी के संगठनात्मक कामों में सक्रियता बढ़ाई, राज को लगा कि उन्हें दरकिनार किया जा रहा है।

उद्धव बनाम राज – नेतृत्व की लड़ाई

त्रिवेदी के अनुसार, बालासाहेब के मन में दोनों बेटों के लिए जगह थी – उद्धव और राज। लेकिन पार्टी के भीतर धीरे-धीरे यह स्पष्ट होने लगा कि नेतृत्व की कमान उद्धव ठाकरे के हाथों में सौंपी जा रही है।

राज ठाकरे, जो संगठन के ज़मीनी स्तर पर काम कर रहे थे, बार-बार खुद को अलग-थलग महसूस करने लगे। पार्टी के अंदर उनके सुझावों को नजरअंदाज किया जाने लगा, और कई बार उन्हें मंच से भी दूर रखा गया। यह अहम की लड़ाई नहीं थी, बल्कि अपेक्षा और उपेक्षा के बीच का संघर्ष था।

अंतिम प्रयास और इस्तीफा

राज ठाकरे ने अंतिम बार 2005 में बालासाहेब से मिलकर अपना पक्ष स्पष्ट किया। उन्होंने कहा, “अगर मुझे काम नहीं करने दिया गया, तो मैं खुद अपना रास्ता बना लूंगा।” बालासाहेब ने उन्हें समझाया, लेकिन संगठन के अंदर बदलाव संभव नहीं था।

जनवरी 2006 में राज ठाकरे ने प्रेस कांफ्रेंस बुलाकर शिवसेना से इस्तीफा देने और नई पार्टी बनाने की घोषणा कर दी – महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना। उनके शब्दों में गुस्सा नहीं था, बल्कि दर्द और सम्मान का भाव था।

बालासाहेब की प्रतिक्रिया

त्रिवेदी याद करते हैं कि राज के जाने से बालासाहेब बेहद आहत हुए थे, लेकिन उन्होंने कभी सार्वजनिक रूप से अपने बेटे के खिलाफ कुछ नहीं कहा। उन्होंने सिर्फ इतना कहा, “राज चला गया, लेकिन वह मेरा ही खून है।

Updated : 19 Jun 2025 5:56 PM IST
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