वैश्विक राजनीति में व्यापार ही एकमात्र एजेंडा: मोदी-ट्रंप के भारत-अमेरिका संबंध
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आज की भू-राजनीति (Geopolitics) केवल कूटनीति, सैन्य गठबंधनों या सांस्कृतिक संबंधों तक सीमित नहीं है। अब अंतरराष्ट्रीय संबंधों का मूल आधार व्यापार, आर्थिक समझौते और निवेश बन चुका है। भारत-अमेरिका संबंधों पर नज़र डालें, विशेष रूप से मोदी-ट्रंप युग, तो यह स्पष्ट दिखता है कि दोनों नेताओं ने व्यापार-प्रधान विदेश नीति अपनाई।
व्यापार: भारत-अमेरिका संबंधों का केंद्र
मोदी और ट्रंप दोनों ही अपनी नीतियों में व्यापार और निवेश को सर्वोच्च प्राथमिकता देते थे। उनके नेतृत्व में भारत और अमेरिका के संबंध मुख्य रूप से व्यापारिक अवसरों और आर्थिक साझेदारी पर आधारित थे:
✔ भारत ने अमेरिकी निवेश को आकर्षित करने पर ध्यान दिया, खासकर रक्षा, ऊर्जा और टेक्नोलॉजी क्षेत्रों में।
✔ अमेरिका ने भारत को अपने उत्पादों का बड़ा बाजार बनाने की कोशिश की, जिससे उसका व्यापार घाटा कम हो सके।
✔ राजनीतिक विचारधारा से अधिक आर्थिक लाभ को महत्व दिया गया।
मुख्य व्यापारिक समझौते
1. रक्षा और ऊर्जा सौदे – भारत ने अमेरिका से बड़े पैमाने पर हथियार खरीदे, जबकि अमेरिकी ऊर्जा निर्यात में वृद्धि हुई।
2. टेक्नोलॉजी और डिजिटल व्यापार – अमेरिकी टेक कंपनियों ने भारतीय बाजार में विस्तार किया, जबकि भारतीय आईटी कंपनियों ने अमेरिकी व्यापार को तकनीकी सेवाएँ प्रदान की।
3. टैरिफ वार्ता – अमेरिका ने भारत पर आयात शुल्क कम करने का दबाव बनाया, ताकि अमेरिकी उत्पादों को भारतीय बाजार में अधिक जगह मिले।
क्या व्यापार ही प्राथमिकता है?
✔ अमेरिका के लिए व्यापारिक वर्चस्व महत्वपूर्ण है—इसलिए उसकी कूटनीतिक और सैन्य रणनीति भी आर्थिक हितों के अनुसार बदलती है।
✔ भारत के लिए आर्थिक विकास ही विदेश नीति का आधार है—जिसमें व्यापार और निवेश सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
मोदी-ट्रंप युग ने यह सिद्ध कर दिया कि आधुनिक भू-राजनीति का आधार व्यापार और आर्थिक हित हैं। व्यापार ही अब रणनीतिक गठबंधनों की दिशा तय करता है, और लाभ ही अंतरराष्ट्रीय संबंधों की प्राथमिकता बन चुका है।